रायपुर. कोरोना लॉकडाउन में ‘श्रीराम’ के बाद अब ‘श्रीकृष्ण’ बच्चों की भाषा सुधारेंगे। दर्शकों की मांग को देखते हुए दूरदर्शन ने धारावाहिक ‘रामायण’ के बाद अब ‘श्रीकृष्णा’ के प्रसारण का निर्णय लिया है। इन दिनों दूरदर्शन अपने दर्शकों के करीब आता जा रहा है। इसकी टीआरपी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। मांग के अनुरूप पुराने सीरियलों का प्रसारण जोरों पर है।
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भोपाल के वरिष्ठ संपादक, लेखक व स्तंभकार विवेक गुप्ता कहते हैं कि रामायण-महाभारत जैसे सीरियलों ने 20-22 दिनों में बच्चों की भाषा पर गहरा प्रभाव डाला है। इन धारावाहिकों की वजह से किसी अभिभावक को ये बताना नहीं पड़ा होगा कि स्वर्ण मृग "गोल्डन डियर' है और ऋक्षराज जांबवंत (जांबवान) "किंग बियर' हैं। विवेक ने अपने फेसबुक वाल पर यह बातें शेयर की हैं।
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वे कह रहे हैं- ‘एक प्रयोग कीजिए। बच्चों को रामायण या महाभारत का कोई चित्र दिखाकर उसके बारे में चार-पाँच पंक्तियाँ लिखने के लिए कहिए। उन्हें कोई दिशा-निर्देश मत दीजिए। कहिए कि जैसा मन में आ रहा है, वैसा ही लिखो, यह कोई परीक्षा नहीं है। बच्चा कुछ भी लिखे, एक चीज़ आपको अचंभे में डाल देगी। उसकी भाषा।’
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वे कहते हैं, “इस प्रत्यक्ष अनुभव से कम-से-कम अब तो यह भ्रम दूर हो जाना चाहिए कि आजकल के बच्चों की भाषा बदल गई है और अच्छी हिंदी उन पर बोझ है। वास्तव में, हिंदी भाषा तो हमारे रक्त में है। देखिए, परिस्थितियाँ थोड़ी-सी अनुकूल हुईं और हिंदी कैसे मुखर हो उठी! उर्मिला, श्रुतकीर्ति, सुग्रीव, इंद्रजीत, कुंभकर्ण, हस्तिनापुर, द्रोणाचार्य, युधिष्ठिर, किष्किंधा जैसे नाम भी छोटे-छोटे बच्चों के मुख से सहजता से निकल रहे हैं।”
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देखा जाए तो कोरोना लॉकडाउन से जनरेशन गैप कम हुए हैं। काम की आपाधापी में गुम हो चुका परिवार एक जगह बैठकर एक दूसरे को सुन रहा है। समझ रहा है।
विवेक कह रहे हैं, “यह भ्रमों के निवारण का दौर है। अपनी आँखें खोलिए। पद, पैसा, प्रतिष्ठा, जीवनशैली के साथ-साथ भाषा को लेकर भी सोच बदल रही है। "अपनी भाषा' की ज़रूरत और अहमियत, दोनों महसूस की जा रही है। आप भी ग़ौर कीजिए कि अपनी भाषा कितने जुड़ावों को जन्म देती है, कितने उत्साह और प्रसन्नता से भर देती है।”
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इस पारिवारिक माहौल में दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिकों से बच्चों के बोलचाल में अंतर स्वाभाविक रूप से दिखाई दे रहा है।
“आपके सामने, आपके घर में यह सिद्ध हो चुका है कि "बंदर’ बोझ नहीं है। बच्चे को सिखाने के लिए "ट्री पर मंकी बैठा है' जैसी अजीबोग़रीब भाषा बोलना बचकाना है। बच्चों को ऐसी भाषा की ज़रूरत नहीं है, वे तो बंदर से आगे बढ़कर "वानर’ भी समझ रहे हैं। ग़ौर कीजिए, सिर्फ़ दो धारावाहिकों ने उनके शब्द भंडार को कितना समृद्ध कर दिया है- वह भी मनोरंजक तरीक़े से। बच्चों को पढ़ने, देखने के लिए हिंदी में रोचक और स्तरीय सामग्री उपलब्ध कराइए, बाक़ी काम वे ख़ुद कर लेंगे।”
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रामायण, महाभारत के बाद अब ‘श्रीकृष्णा’
दूरदर्शन ने अपने पुराने सीरियलों के जरिए पिछले दिनों भरपूर व्यूअरशिप हासिल की है। रामायण, महाभारत जैसे पॉप्युलर पौराणिक सीरियलों के बाद अब दूरदर्शन का फेमस सीरियल श्री कृष्णा भी टीवी पर वापसी करने जा रहा है।
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रामानंद सागर का ऐतिहासिक सीरियल रामायण 18 अप्रैल को ही दूरदर्शन पर पूरा हुआ है। दर्शकों ने इसे काफी पसंद किया और इसके बाद उत्तर रामायण का प्रसारण शुरू हो चुका है। इसके बाद अब रामानंद सागर का ही एक अन्य चर्चित धारावाहिक श्रीकृष्णा का दोबारा प्रसारण जल्द शुरू होने जा रहा है। बता दें कि इस धारावाहिक का प्रसारण दूरदर्शन पर 1996 में शुरू हुआ था।
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इन धारावाहिकों का शुरू किया था प्रसारण
इससे पहले लॉकडाउन के बीच दूरदर्शन ने रामायण, महाभारत के अलावा शक्तिमान, श्रीमान श्रीमती, देख भाई देख, बुनियाद, सर्कस और उपनिषद गंगा जैसे मशहूर और लोकप्रिय सीरियलों का प्रसारण शुरू किया था। इसके अलावा दूरदर्शन ने केवल पुराने सीरियल दिखाने के लिए ‘डीडी रेट्रो' नाम का एक चैनल भी लॉन्च कर दिया है।
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ये हैं श्रीकृष्णा के कलाकार
सर्जनकर्ता- रामानंद सागर, अभिनय-सर्वदमन बनर्जी, स्वप्निल जोशी, पिंकी पारेख, संदीप मोहन, दीपक देउलकर, रेशमा मोदी, अशोक कुमार बालकृष्णन आदि।
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