खैरागढ़. मिशन-6 के नाम पर पंचायत सचिवों से 6000-6000 रुपये की कथित वसूली का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। पहले वायरल सूची और सोशल मीडिया में मचे हड़कंप के बाद जहां सभापति ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी, वहीं अब सचिव संघ के ब्लॉक अध्यक्ष जोगेश्वर धनकर से सीधी बातचीत में कई चौंकाने वाले जवाब सामने आए हैं। इस बातचीत ने मामले को और पेचीदा बना दिया है।
धनकर ने स्वीकार किया कि सचिवों से मांगी गई राशि संगठन के नाम पर थी, लेकिन भ्रम फैलाने वाला ‘मिशन-6’ शब्द जोड़ने से बात स्पष्ट नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि अलग-अलग कार्यक्रमों और आयोजनों के लिए सहयोग के तौर पर राशि मांगी गई थी, न कि किसी एकमुश्त योजना के तहत। हालांकि जब पूछा गया कि सूची में कई सचिवों ने निर्वाचन के नाम पर भुगतान स्वीकार किया है, तो उन्होंने जवाब दिया कि अधिकांश सचिवों को पता था, कुछ को भ्रम रहा होगा।
संगठन ने रखा पक्ष
पंचायत सचिव संघ खैरागढ़ ने स्पष्ट किया है कि सचिवों से मांगी गई राशि पूरी तरह संगठन की आंतरिक गतिविधियों और पारदर्शी उद्देश्यों के लिए थी। संघ ने दिवंगत सचिवों के परिवार को आर्थिक सहयोग, सेवानिवृत्त सचिवों के सम्मान, हड़ताल, बैठक, स्थापना दिवस व संगठन संचालन हेतु राशि व्यय की है। संघ ने 6000 रुपये सहयोग राशि की मांग को वैध बताया और इसे किसी भी निर्वाचन कार्य से असंबंधित बताया। सचिव संघ ने उन खबरों का खारिज किया है जिसमें वसूली को गलत ढंग से प्रस्तुत किया है।
(सीधी बात सचिव संघ ब्लॉक अध्यक्ष जोगेश्वर धनकर)
सवाल: सचिवों से जो पैसे लिए गए, वो किस नाम पर थे – मिशन-6 या संगठन?
जवाब: राशि संगठन के नाम पर मांगी गई थी, लेकिन मिशन-6 जैसे नामों से भ्रम हुआ। कुछ सहयोग सचिवों से अलग-अलग आयोजनों के लिए मांगे गए।
सवाल: वायरल सूची में कई सचिवों ने खुद कहा कि निर्वाचन के नाम पर पैसे दिए, तो फिर यह बैठक मामले को दबाने के लिए क्यों रखी गई?
जवाब: संघ का काम किसी अधिकारी को बचाना या जनपद के लिए वसूली करना नहीं है। हम संघ की बदनामी नहीं होने देंगे।
सवाल: जब सचिवों ने खुद स्वीकार किया कि पैसे निर्वाचन के नाम पर मांगे गए, तो फिर आज आप कह रहे हैं कि वो संगठन के लिए थे?
जवाब: अधिकांश सचिवों को जानकारी थी। कुछ को भ्रम हुआ होगा, लेकिन बातों की चर्चा होती रही थी।
सवाल: आपने खुद कहा था कि 6000 रुपए लेने का कोई प्रस्ताव नहीं हुआ था, तो फिर इतने पैसे क्यों मांगे गए?
जवाब: एकमुश्त 6000 रुपये का कोई प्रस्ताव नहीं हुआ था। छोटे-छोटे आयोजनों के लिए सहयोग मांगा गया था। ‘मिशन’ शब्द से खुद हम भी भ्रमित हुए।
सवाल: आप अध्यक्ष हैं, और आपको नहीं पता कि इतनी बड़ी रकम किस लिए मांगी जा रही है? ये शक पैदा करता है।
जवाब: मैंने ग्रुप में कई बार मैसेज किए थे – “जमा करते जाओ, जमा करते जाओ”। मगर कई लोग फिर भी नहीं जमा कर रहे थे।
सवाल: वायरल सूची में 'सीईओ' और 'फोनपे' जैसे शब्द हैं। संगठन के सहयोग के लिए तो ऐसा नहीं होना चाहिए।
जवाब: मैंने सूची ध्यान से नहीं देखी। फोनपे से पैसे संगठन के खाते में ही गए होंगे।
सवाल: लेकिन जानकारी है कि पैसे संघ के खाते में नहीं, पर्सनल खातों में जमा हुए।
जवाब: पैसे संघ के नाम पर ही मांगे गए थे। किसी अधिकारी को देने का कोई सवाल नहीं। संघ को इस पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
सवाल: अब तो स्पष्ट हो गया है कि पैसे संघ के नाम पर मांगे गए।
जवाब: हां, संघ के नाम पर ही मांगे गए थे।
सवाल: प्रस्ताव कब पेश किया गया था?
जवाब: एकमुश्त 6000 रुपए का प्रस्ताव नहीं था। छोटे-छोटे कार्यों के लिए अलग-अलग तारीखों में प्रस्ताव आए थे।
सवाल: अब जो पंचायतें बाकी हैं, क्या वो राशि जमा करेंगी?
जवाब: मामला फिलहाल उलझ गया है। पहले संघ पर लगे सवालों को स्पष्ट करेंगे, फिर आगे की कार्यवाही तय होगी