रायपुर. 1956 में स्थापित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ संगीत एवं कला को समर्पित छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम विश्वविद्यालय लगभग 6 दशकों की शैक्षणिक विरासत के साथ संगीत, नृत्य, ललित कला एवं रंगमंच से जुड़े क्षेत्रों में शिक्षण, प्रशिक्षण व अनुसंधान हेतु पर्याप्त अवसर प्रदान कर रहा है।
इस विश्वविद्यालय में संपूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ विदेशी छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी अध्यनरत हैं। यह विश्वविद्यालय देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की धरोहर है तथा छत्तीसगढ़ का गौरव भी है। कुलपति प्रो.डॉ. ममता चंद्राकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा कला और संस्कृति के उत्थान की दृष्टि से इसी शैक्षणिक सत्र से प्रदेश में 4 कला एवं संगीत महाविद्यालयों की स्थापना की जा गई है। इन महाविद्यालयों को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से संबद्ध किया गया है। और, इसी के साथ छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा इस रायपुर में एक अध्ययन केंद्र (ऑफ कैंपस सेंटर) की स्थापना की जा रही है। इस केंद्र में थिएटर, लोक संगीत, फैशन डिजाइन, योग एवं दर्शन तथा दृश्य कला (पेंटिंग) की शिक्षा दी जाएगी।
कौशल विकास मुख्य उद्देश्य
राजधानी रायपुर में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का यह अध्ययन केंद्र 23 सितंबर 2023 से प्रारंभ हो रहा है। कला एवं सांस्कृतिक विरासत और उसमें हो रहे नवाचारों को दृष्टिगत रखते हुए इसकी स्थापना की गई है, ताकि छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कार्य किया जा सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रमुख उद्देश्य रोजगार उन्मुख होने के साथ ही साथ कौशल विकास भी है।
टैगोर चौंक में संचालित होगा कैंपस
कुलपति ने कहा कि इस बात पर भी विशेष बल दिया गया है कि आधुनिक परिदृश्य में भारतीय संस्कृति, कला एवं दर्शन को युवाओं के जीवन का अभिन्न अंग बनाने के लिए विश्वविद्यालय अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक अपनी पहुंच बनाएं। हमारा उद्देश्य है कि हम अपनी कला के विरासत को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा पाएं। यह केंद्र खैरागढ़ विश्वविद्यालय का विस्तार है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इस अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है। यह अध्ययन केंद्र टैगोर चौक, डीईओ ऑफिस कैंपस के पास पाठयपुस्तक निगम भवन में संचालित होगा।