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राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक ने डीईओ कार्यालय में जारी अवैध संलग्नीकरण पर उठाई आवाज़, कलेक्टर से की लिखित शिकायत Featured

 

खैरागढ़.छत्तीसगढ़ सरकार के स्पष्ट आदेशों और "जीरो टॉलरेंस" नीति के बावजूद खैरागढ़ जिले में शिक्षक संलग्नीकरण का खेल अब भी जारी है। इस बार इस गंभीर मुद्दे को उठाया है राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक बिहारी राम यादव ने। उन्होंने जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के जिलाधीश को लिखित शिकायत देकर एक व्याख्याता की अवैध तैनाती को लेकर कार्यवाही की मांग की है।

 

शिकायत में यादव ने कहा है कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला उदयपुर में गणित विषय के व्याख्याता एल. डी. शिरीष पांडे विगत कई वर्षों से विद्यालय में अध्यापन न कर डीईओ कार्यालय में संलग्न हैं। ये न सिर्फ शासन के 5 जून को जारी आदेश की अवहेलना है, बल्कि छात्रों के अधिकारों के साथ सीधा खिलवाड़ भी है।

 

दोहरे पद की व्यवस्था, लेकिन स्कूल से दूरी

 

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि मई 2025 में विद्यालय की प्राचार्य संगीता सिंह के सेवानिवृत्त होने के पश्चात शिरीष पांडे को प्रभारी प्राचार्य का प्रभार दिया गया है। इसके बावजूद वे अपने कार्यस्थल उदयपुर में न तो नियमित उपस्थित होते हैं और न ही उन्होंने वहां मुख्यालय स्थापित किया है। वे राजनांदगांव से आकर कभी-कभार कार्य पर उपस्थित होते हैं, जिससे स्कूल की प्रशासनिक व्यवस्था और अनुशासन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

 

गणित की कक्षाएं ठप, छात्र बेहाल

 

पांडे गणित विषय के व्याख्याता हैं, और उनकी अनुपस्थिति के चलते विद्यालय में गणित की पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है। बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र और उनके अभिभावक खासे चिंतित हैं। स्कूल में गणित जैसी महत्वपूर्ण विषय की पढ़ाई न होना शिक्षा विभाग की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

सरकारी आदेशों की अवहेलना का आरोप यादव ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 5 जून को जारी आदेश में सभी संलग्नीकरण स्वतः समाप्त माने गए हैं। इसके अनुपालन हेतु संभागीय संयुक्त संचालक रायपुर ने भी 6 जून को सभी जिलों को आदेश जारी किया था कि 27 जून तक संलग्नीकरण समाप्ति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए। यदि खैरागढ़ डीईओ कार्यालय ने प्रमाण पत्र भेजा है तो फिर पांडे की तैनाती किस आधार पर अब तक कार्यालय में बनी हुई है?

 

प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल

 

यह मामला अब केवल एक शिक्षक की तैनाती का नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र में नियमों की अनदेखी और जवाबदेही के अभाव का प्रतीक बन चुका है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर श्री शिरीष पांडे को उनके मूल विद्यालय में तत्काल भेजा जाए ताकि छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो।

 

छात्रहित को लेकर उठाई गई आवाज़

 

राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक बिहारी राम यादव की यह पहल सिर्फ एक शिक्षक की शिकायत नहीं है, बल्कि यह छात्रहित और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर उठाया गया गंभीर प्रश्न है। यदि शासन इस मुद्दे पर समय रहते कार्रवाई नहीं करता, तो इससे शासन की पारदर्शिता और नीति निर्धारण की प्रक्रिया पर जनता का भरोसा डगमगा सकता है।

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Last modified on Tuesday, 22 July 2025 10:11

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