रायपुर. कोरोना से लड़ने तमाम उपायों के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राम नवमी के दिन तीन अहम चिटि्ठयां लिखीं। पहली चिट्ठी केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के नाम की, जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस टेस्टिंग सेंटर की संख्या में वृद्धि का आग्रह किया। रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को नोवेल कोरोना वायरस टेस्टिंग हेतु अधिकृत करने के लिए कहा।
उन्होंने लिखा- “भारत सरकार द्वारा नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है तथा छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसे सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में संक्रामक रोग घोषित किया गया है। राज्य में कोरोना वायरस (कोविड-19) के महामारी से बचाव हेतु समुदाय स्तर पर सक्रिय निगरानी कर मरीज की त्वरित पहचान व उपचार किया जा रहा है।”
“छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में कोरोना वायरस की जांच केवल दो स्थानों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर एवं स्व. श्री बलीराम कश्यप स्मृति शासकीय चिकित्या महाविद्यालय जगदलपुर में ही किए जाने की सुविधा है। वर्तमान विषम परिस्थिति को देखते हुए राज्य में और कोरोना वायरस जांच केन्द्र अधिकृत किए जाने की आवश्यकता है जिससे संदिग्ध व्यक्तियों की तत्काल जांच कर रिपोर्ट अनुसार कार्यवाही की जा सके।”
“इसी परिप्रेक्ष्य में रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर के माइक्रोबायलाजी विभाग में कोरोना वायरस की जांच हेतु सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है। उक्त सुविधाओं को देखते हुए सचिव, स्वास्थ्य विभाग द्वारा 24 मार्च को डायरेक्टर जनरल आईसीएमआर न्यू दिल्ली को टेस्टिंग हेतु अधिकृत किए जाने का अनुरोध किया गया है, किन्तु अभी तक जवाब अपेक्षित है।”
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सीएम की दूसरी चिट्ठी गुरुजनों के नाम की, जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें मॉनिटरिंग सौंपी। कहा- लोगों को जागरूक करें। आपके आस-पास किसी भी व्यक्ति में कोरोना के प्रारंभिक लक्षण न हो, किसी स्थल पर भीड़-भाड़ न हो तथा शासन के निर्देशों का उल्लंघन न किया जा रहा हो। यदि ऐसा होता है तो जिला प्रशासन के समझ अधिकारी एवं स्थानीय स्थास्थ्य अधिकारी को जरूर सूचना दें।
मुख्यमंत्री ने लिखा- “देश और समाज खतरे में हैं। यह संकट की घड़ी है जिसमें हम सब को सक्रिय रहकर इस बीमारी को दूर भगाना है तथा हमारे गांव, परिवार और समाज को स्वस्थ्य और सुरक्षित रखना है। उन्होंने गुरूजनों से अपील की है कि कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए सबसे कारगर उपाय सामाजिक दूरी बनाए रखने के साथ ही हाथों की स्वच्छता बनाए रखना भी है, इसका अनिवार्य रूप से पालन कराने में सक्रिय भूमिका अदा करें।”
“गुरूजन बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही उनके परिवारों से भी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से जुड़े रहते हैं। सभी बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा और ज्ञान का स्त्रोत आप ही हैं। आपकी समझाइश और बच्चों को दिए जाने वाले मार्ग दर्शन से पूरा परिवार प्रभावित होता है। एक तरह से आप पथ प्रदर्शक का काम करते हैं। शिक्षक को भगवान से भी उच्च दर्जा प्राप्त है।”
“कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न वर्तमान संकट की रोकथाम में आपकी सक्रिय भूमिका होनी चाहिए। आप शिष्यों के माध्यम से या परिवारों के साथ निजी चर्चा में कोरोना की रोकथाम के लिए जरूर यह संदेश दें कि सभी लोग घर के भीतर ही रहे, सामाजिक दूरियों का पालन करें और समय-समय पर हाथ धोते रहें। मध्यान्ह भोजन की प्रतिपूर्ति के रूप में शालाओं से सूखा राशन का वितरण किए जाने के निर्देश हैं। शाला स्तर पर सूखा राशन वितरण के लिए उचित प्रक्रिया अपनाए जाने की आवश्यकता है ताकि सामाजिक दूरी का पालन हो, स्वच्छता का पालन हो तथा सभी पात्र बच्चों को अनिवार्य रूप से सूखा राशन के रूप में मध्यान्ह भोजन प्राप्त हो।”
“आपके आस-पास किसी भी व्यक्ति में कोरोना के प्रारंभिक लक्षण न हो, किसी स्थल पर भीड़-भाड़ न हो तथा शासन के निर्देशों का उल्लंघन न किया जा रहा हो। यदि ऐसा होता है तो जिला प्रशासन के समझ अधिकारी एवं स्थानीय स्थास्थ्य अधिकारी को जरूर सूचना दें। आपके सहयोग से छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस से संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी तथा छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य बनाए रखने के रखना संभव हो सकेगा।”
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तीसरी चिट्ठी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के नाम, लिखा- खुद के साथ बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य का रखें ख्याल।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को छत्तीसगढ़ी में पत्र लिखकर कहा- “इस संकट की घड़ी में आप लोगों को फिर से गंभीर जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। आपकी जिम्मेदारी है कि आप खुद के स्वास्थ्य के साथ-साथ बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और उनकों पोषण आहार उपलब्ध कराएं।”
“मिलके लड़बो अऊ कोरोना ला हराबो। उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण सब तरफ संकट मंडराया हुआ है। इस बीमारी से बचने के लिए एक ही उपाय है कि हम लोग घर के अंदर रहें और सुरक्षित रहने के तरीका का समुचित रूप से पालन करें। आप सभी गांव-गावं में सभी लोगों के संपर्क में रहते हैं और आपके समझाइश को लोग मानते भी हैं। इस संकट की घड़ी में आप लोगों को फिर से गंभीर जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है।”
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