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3 माह से चल रही निविदा प्रक्रिया का हुआ पटाक्षेप
खैरागढ़. 15 वें वित्त के 2 करोड़ 39 लाख की निविदा प्रक्रिया का सोमवार को पटाक्षेप हो गया। पूर्व में बिलो दर के कारण काम पाने वाले ठेकेदार अनिमेष सिंह के हक इंटरप्राइजेस को 1 कार्य और ठेकेदार ददू तिवारी के अथर्व एसोसिएट्स को 5 कार्य से संतोष करना पड़ा। वहीं ठेकेदार तरुण सिंह को वार्ड क्रमांक 20 में तुलेश्वर लहरे के घर से शिव मंदिर तक 17.80 लाख का काम सर्वाधिक 24.27 प्रतिशत बिलो ( कम ) दर पर मिला। 57 कार्यों की सूची में इस काम को मिलाकर कुल 33 काम ठेकेदार तरुण सिंह के खाते में आए। दूसरे स्थान पर ठेकेदार आयश सिंह बोनी के सिंह एसोसिएट को 11 काम मिला। ठेकेदार अमित चंद्राकर के चंद्राकर एसोसिएट को 4 काम,ठेकेदार प्रकाश सिंह को 2 व ठेकेदार गोरेलाल वर्मा को 1 मिला। इससे पहले 12 सितंबर को ज़ब फॉर्म खोला गया तो अथर्व एसोसिएट को 37 कार्य और हक इंटरप्राइजेस को 20 कार्य मिले थे। जो अधिकतम 2 प्रतिशत बिलो ( कम ) दर पर मिला था। जिसे पीआईसी की बैठक बुलाकर निरस्त कर दिया गया था। उस समय वर्तमान में कार्य पाने वाली निर्माण एजेंसियों ने अधिकतम 17 प्रतिशत ऐबव ( अधिकतम ) के साथ लगभग सभी कार्य एबव में भरा था।
क्या है एबव और बिलो का गणित
निविदा राशि में यदि फॉर्म एबव दर पर भरा जाता है तो ठेकेदार को कार्य भरी गई अधिकतम दर से करना होता है। जिसका भुगतान किया जाता है। मतलब एक लाख के कार्य के लिए जारी निविदा यदि कोई ठेकेदार 10 प्रतिशत एबव ( अधिक ) में भरता है,तो उसे 1 लाख 10 हज़ार का भुगतान किया जाता है। वहीं उसी कार्य को कोई ठेकेदार 10 प्रतिशत बिलो ( कम ) दर पर प्राप्त करता है तो उसे 90 हज़ार का भुगतान प्राप्त होता है।
जानिए शासन के लिहाज से किसे माना जाता है बेहतर
निविदा प्रक्रिया में शासन स्तर पर बिलो दरों को बेहतर माना जाता है। इससे शासन की राशि बचती है। ठेकेदार कार्य पाने के लिए बिलो दरों पर निविदा डालते हैं। हालांकि ठीक इसके विपरीत ज़ब एबव ( अधिकतम ) दरों पर निविदा भरी जाती है। तो ठेकदार रिंग बनाकर कार्य का विभाजन कर लेते हैं,और इससे शासन को लाभ न मिलकर ठेकेदारों को लाभ होता है।
गुणवत्ता पर रहेगी नज़र,पर कमीशन खोरी पर लगाम
हालांकि निर्माण से जुड़े विशेषज्ञ ये मानते हैं कि अत्यधिक कम दर पर कार्य लेने का असर गुणवत्ता पर पड़ता है। लेकिन दूसरा पहलु यह है कि बिलो दरों पर काम लेने से किसी भी ठेकेदार पर कमीशन का दबाव नहीं रहता। जबकि एबव राशि का पूरा पैसा कमीशन की भेंट चढ़ता है।
पालिका में जमा करनी होगी अंतर की राशि
निविदा दर एस.ओ.आर. से 10 प्रतिशत अधिक,कम होने की दशा में प्राकलन राशि एवं निविदा दर के 90 प्रतिशत राशि का यदि अंतर 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक कम हो तो बैंक गारंटी / एफडीआर / टीडीआर व यदि अंतर 20 प्रतिशत से अधिक कम हो तो केवल एफडीआर / टीडीआर निविदा खोले जाने की तिथि से 15 दिवस के भीतर स्वमेव जमा कराया जाना अनिवार्य होगा।
3 माह से उलझे काम की अब होगी शुरुआत
31 जुलाई की पहली टेंडर प्रक्रिया के बाद हाईकोर्ट तक पहुँचने वाले काम की अब शुरुआत होगी। इसमें बीते 8 अगस्त को निविदा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि थी। 21 अगस्त को निविदा खोली गई,24 अगस्त फॉर्म न मिलने की शिकायत पर याचिका डाली गई। 27 अगस्त को जेडी दुर्ग ने निविदा निरस्त कर दी। 30 अगस्त को हाईकोर्ट ने फॉर्म देने निर्देश दिया। 04 सितंबर को अथर्व इंटरप्राइजेस और हक एसोसिएट को फॉर्म दिया गया। 12 सितंबर को फिर से निविदा खोला गया। जिसमें 37 काम अथर्व एसोसिएट और 20 काम हक इंटरप्राइजेस को मिले। 30 सितंबर को पीआइसी की बैठक में इन दोनों फर्म के काम को निरस्त कर पुनः निविदा जारी कर प्रक्रिया शुरू की गई। अंततः सोमवार को वर्तमान निर्णय आया।
शासन के लिए लाभप्रद बिलो दर पर काम - प्रमोद शुक्ला,सीएमओ,नगरपालिका परिषद
सीएमओ प्रमोद शुक्ला ने बताया कि बिलो दर पर काम जाना शासन के लिए लाभप्रद है। गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी। और कार्यों की सतत मॉनिटरिंग टेक्निकल टीम करेगी।