एजेंसी गोवाहाटी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ाई और सात वचन मांगे। इस घोषणा के तकरीबन चार घंटे बाद समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीटर पर एक वीडियो वायरल किया, जिसमें असम गोवाहाटी ट्रैफिक पुलिस के जवान ढोल बजाकर बिहू नृत्य करते दिखे। जिसमें वे संदेश दे रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान घर पर ही रहें। स्वस्थ रहे तो हम बिहू मना लेंगे।
प्रधानमंत्री बोले- 20 अप्रैल से दी जाएगी छूट
दरअसल, असम के लोग इस आशा में थे कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन की समाप्ति के साथ ही उनके मुख्य त्योहारों में से एक माघ बिहू की शुरुआत होगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए तारीख बढ़ा दी। उस पर सख्ती भी बढ़ा दी। कहा- 20 अप्रैल के बाद सीमित छूट तभी मिलेगी जब इलाके में कोरोना का एक भी केस नहीं आएगा। असम की दुविधा ये कि 20 अप्रैल को ही उनके बोहाग बिहू पर्व का आखिरी दिन है।
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इसी बीच असम की इस दुविधा को दूर करता एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ट्रैफिक पुलिस के जवान ढोल बजाकर बिहू नृत्य कर रहे हैं। बताया गया कि पुलिस ने लोगों को लॉकडाउन के दौरान संयम बरतने और घर पर ही रहने का संदेश देते हुए कहा कि स्वस्थ रहेंगे तो हम भी बिहू मनाएंगे।
जानिए असम में क्यों मनाया जाता है बिहू
आज 14 अप्रैल को असम में बोहाग बिहू मनाया जा रहा है। हालांकि इस बार बिहू पर भी कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन का असर है। इसके बावजूद लोग घर पर रहकर भगवाना का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। यह त्योहार लोग प्रकृति और भगवान को फसलों की अच्छी पैदावार के लिए शुक्रिया अदा करने के लिए मनाते हैं और खेतों से पक चुकी फसलों की कटाई करते हैं।
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आइए जानते हैं इस त्यौहार का महत्व...
रोंगाली बिहू का त्यौहार इस तरह मनाया जाता है:
राती: यह चट महीने (बैसाख) की पहली रात से शुरू होता है और उरुका तक जारी रहता है। यह आमतौर पर किसी पुराने पेड़ या एक खुले मैदान के नीचे इकट्ठा होकर मनाया जाता है।
चट: महीने के दूसरे दिन, उरुका से पहले या रोंगाली बिहू की औपचारिक शुरुआत तक बिहू गाने और नृत्य किए जाते हैं। स्थानीय लोग घर के बाहर यह नृत्य करते हैं।
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30 अप्रैल की जगह मोदी ने चुना 3 मई
प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की सरकार ने 30 अप्रैल तक लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई थी, लेकिन पीएम मोदी ने 3 मई को चुना। मोदी के इस फैसले के पीछे ठोस वजह है। एक मई को मजदूर दिवस की छुट्टी है और इसके बाद 2 और 3 मई को क्रमश: शनिवार और रविवार पड़ रहा है। यही कारण है कि उन्होंने 3 मई की तारीख चुनी।
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