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छत्तीसगढ़ में सरकार का भीतरी द्वंद्व सतह पर Featured

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार के भीतर का द्वंद्व शैने: शैने: सतह पर आता दिख रहा है। कम से कम टीएस सिंहदेव के लगातार आए दो बयानों के बाद मचे सियासी बवाल और सरकार की ओर से प्रवक्ता नियुक्त किए जाने से तो ऐसा ही आभास होता है। हालांकि अब स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले टीएस बाबा ने अपनी अपनी ओर से डेमेज कंट्रोल का प्रयास शुरू कर दिया है। लेकिन इसके पहले सरकार की काफी किरकिरी हो चुकी है। Also read: सुशांत आत्महत्या केस के तहत मुंबई पुलिस करेगी संजय लीला भंसाली से पूछताछ,देखिये और कौन-कौन से नाम शामिल हैं

कांग्रेस जन घोषणा पत्र के संयोजक रहे पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के 30 जून के एक ट्वीट ने सबको चौकाया था। ट्वीट में उन्होंने जन घोषणा पत्र के वायदे पूरा नहीं होने पर दुख जताते हुए शर्मिंदा होने की बात लिखी थी। इसके बाद विपक्ष के नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा था- सभी बेरोजगार, शिक्षाकर्मियों, विद्या मितान, प्रेरकों एवं अन्य युवाओं की पीड़ा से मैं बहुत दुखी और शर्मिंदा हूं। जन घोषणा पत्र के माध्यम से जो वायदा आपको किया था, मैं उस पर अटल हूं। यही विश्वास दिला रहा हूं सरकार प्रयास कर रही है। हम आपके साथ हैं और साथ रहेंगे। Also read: भारतीय कम्पनी का दावा : कोरोना की मेड इन इंडिया वैक्सीन बन गयी है, साल के आखिरी तक मिलेगी

इस बयान के पीछे मंत्री जी की मंशा क्या थी यह तो वह ही जानें, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके एक दिन पहले ही राजधानी में मुख्यमंत्री आवास के सामने धमतरी के एक युवक ने आत्मदाह की कोशिश की थी जिसका कारण रोजगार ही सामने आया था। इस घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लगातार दो ट्वीट किए। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा - मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज प्रदेश की जनता हरदेव सिन्हा की इस दशा को आपकी विफलता माने या सफलता? इसके बाद अगले ट्वीट में उन्होंने कहा - छत्तीसगढ़ आकर झूठे वादे करने वाले राहुल गांधी अब कहां हैं? आपके वादों पर विश्वास करने वाले युवाओं को विश्वासघात की आग में धकेलने वाले मुख्यमंत्री को क्या अब भी आप पद पर रहने देंगे? Also read: राजधानीवासियों के लिए सौगात, मुख्यमंत्री बघेल ने किया ऑक्सीजोन का लोकार्पण

 बहरहाल टीएस बाबा के ट्वीट के बाद प्रदेश के सियासत में गर्मी आ गई। विपक्ष ने चुटकियां लेना शुरू कर दिया। ट्वीटर वार भी चला। प्रदेश भाजपा की ओर से लिखा गया- टीएस सिंहदेव जी आपका शर्मिंदा होना उचित है। आप भले इंसान हैं लेकिन जुल्म को चुपचाप सहना भी जुल्म है। मंत्री बने रहने के लिए आप धोखा देने वाले की धौंस न सहें। वादों का बंदूक आपके कंधे पर रख कर ही चलाया गया था। खुलकर बोलिए। युवाओं से न्याय कीजिए। इतिहास क्षमा कर देगा आपको। भाजपा के युवा नेता ओपी चौधरी ने ट्वीट किया - धन्यवाद, आपने शर्मिंदा होने की संवेदनशीलता तो कम से कम दिखाई। जब जय शर्मिंदा हैं, तो वीरू इस्तीफा क्यों नहीं दे देते, क्योंकि भारतीय संविधान में कैबिनेट के सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत है। कैबिनेट के किसी सदस्य का बयान पूरे कैबिनेट और सरकार का बयान होता है। Also read:   TikTok व Helo से मोह भंग, ShareChat से प्यार, डाउनलोड का आंकड़ा 1.5 करोड़ पार

इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक सहित कई नेताओं की ओर से भी छुरियां चलाई गईं। मामला अभी शांत हुआ नहीं था कि अगले ही दिन राजा साहब यानि टीएस बाबा ने नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक के साथ एक टीबी डिबेड में फिर बड़ी बात कह दी। कौशिक के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा - अगली फसल के पहले किसानों को अंतर की राशि की दूसरी किस्त देने के लिए कैबिनेट में तय किया गया है। यदि अगली फसल के पहले प्रति क्विंटल अंतर की राशि किसानों के खाते में नहीं गई तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। हालांकि इसके बाद उन्होंने यह भी कहा था कि अंतर की राशि मिलने के बाद मैं तो इस्तीफा दे दूंगा पर यदि किसानों को पूरा भुगतान हो गया तो क्या आप अपने पद से इस्तीफा देंगे? Also read:  चीनी TikTok की आग बुझा रही भारत की Chingari, 30 लाख यूजर्स ने किया डाउनलोड

मंत्री जी के इस बयान ने तो मानों विपक्ष को और धार दे दिया। जनता के बीच भी इसकी चर्चा होने लगी। कांग्रेस सतर्क हुई। सरकार ने तुरंत फैसला लिया। दो मंत्रियों मोहम्मद अकबर और रवींद्र चौबे को सरकार की ओर से प्रवक्ता घोषित किया गया। हालांकि सरकार के फैसलों की जानकारी पहले भी यही दो मंत्री दिया करते थे। लेकिन बदले हालातों में इन्हें प्रवक्ता घोषित करने का सीधा मतलब यह निकलता है कि मुख्यमंत्री या यों कहें कि सरकार ने टीएस बाबा के लगातार आ रहे बयानों को गंभीरता से लिया और एक लकीर खींच दी। सरकार की इस घोषणा को बाबा के पर कतरने के रूप में भी देखा जा सकता है। वैसे टीएस बाबा के पहले बयान को गौर करें तो स्पष्ट होता है कि बयान सरकार की ओर से नहीं था। उनका यह कहना कि पीड़ा से मैं दुखी और शर्मिंदा हूं। घोषणा पत्र के वायदे पर मैं अटल हूं। यह दर्शाता है कि पार्टी की घोषणा पत्र की जिम्मेदारी उन्होंने स्वयं ली है। यदि ऐसा नहीं होता तो मैं के स्थान पर वे पार्टी या सरकार का नाम ले सकते थे। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा है कि सरकार प्रयास कर रही है। दूसरे बयान में भी उन्होंने खुद को सामने रखा है।

सिंहदेव के इन बयानों का मतलब निकाला जाए तो स्पष्ट होता है कि वे सरकार से नाराज चल रहे हैं। बहरहाल सुलह की कोशिशें डेमेज कंट्रोल के लिए शुरू हो गई हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दोनों की ओर से पहल की जा चुकी है। एक जुलाई को दोपहर में टीएस सिंहदेव ने ट्वीटर पर लिखा- मेरी नजर अर्नब गोस्वामी की उस ट्वीट पर गई है, जिसमें अर्नब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बारे में अनुचित बातें कह रहे हैं। यह छद्म पत्रकार शालीनता व शिष्टता के सभी भावों को खो चुका है। श्री भूपेश बघेल एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि संवैधानिक रूप से चुने गए जन प्रतिनिधि हैं, जो जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री राजधानी में एक कार्यक्रम के बाद मंत्रियों के बीच अंतर्कलह की खबरों को अफवाह बताया। उनके अनुसार सभी मंत्री एकजुटता से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा जिन्हें ऐसी गलतफहमी है वे अपनी गलतफहमी दूर कर लें। Also read:  TikTok व Helo से मोह भंग, ShareChat से प्यार, डाउनलोड का आंकड़ा 1.5 करोड़ पार

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Last modified on Friday, 03 July 2020 05:14

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