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खैरागढ़ में किराए की डिग्री के भरोसे हो रहा था प्राइवेट हॉस्पिटल का संचालन, संचालक ने नाम के मेडिकल डायरेक्टरों पर मढ़ा खामियों का दोष।
खैरागढ़ के किल्लापारा में बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित माधव मेमोरियल हॉस्पिटल पर अब कार्रवाई की गाज गिरेगी। जांच टीम ने बुधवार (17 फरवरी) को हॉस्पिटल में मिली खामियों का पुलिंदा एसडीएम को सौंप दिया है। रिपोर्ट में आर्थिक अनियमितता, मरीजों से ठगी और डिग्री बेचे जाने जैसी तीखी टिप्पणियां शामिल हैं। अब यह पूरी रिपोर्ट कलेक्टर के पास जाएगी और वे ही इस पर कार्रवाई का निर्णय लेंगे।
सीएएफ जवान की शिकायत का खुलासा होने के बाद 14 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए किल्ला पारा स्थित माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में छापेमार कार्रवाई की थी। मौके पर संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू से हुए सवाल-जवाब में खामियों का अंदेशा होते ही हॉस्पिटल सील कर दिया गया था।
इसके बाद नायब तहसीलदार के सामने बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीएस परिहार ने जिम्मेदारों से पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए गए। बयान में मेडिकल डायरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती ने जैसे ही हॉस्पिटल की गतिविधियों से अनभिज्ञता जताई, डॉ. दुग्धेश्वर ने भी यू-टर्न ले लिया और खुद को केवल हॉस्पिटल बिल्डिंग का मालिक बताया।
हालांकि इस संबंध में पूर्व के दो अन्य मेडिकल डायरेक्टरों डॉ. निशिकांत शर्मा और डॉ. अभिषेक बंजारे का बयान नहीं हुआ है, लेकिन डॉ. बंजारे ने रागनीति से हुई बातचीत में स्पष्ट कर दिया था कि वे 25 हजार रुपए महीने की सैलरी पर काम कर रहे थे, अस्पताल की तमाम गतिविधियां डॉ. साहू के ही जिम्मे थी और वे ही उसके मालिक भी हैं।
इधर जांच टीम को स्टाफ नर्सों के बयान से पता चला कि हॉस्पिटल की आईपीडी आरएमए डॉ. शैलेष बंजारे के भरोसे थी और डॉ. साहू भी राउंड लेने आया करते थे। इन तमाम बयानों व जब्त दस्तावेजों के आधार पर जांच टीम ने रिपोर्ट में अपनी तीखी टिप्पणी की है। नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर का कहना है कि उन्होंने रिपोर्ट एसडीएम को सौंप दी है।
हॉस्पिटल पर हुई कार्रवाई को यहां सिलसिलेवार समझिए
30 दिसंबर: CAF कैंप घाघरा के आरक्षक ने एसडीएम को लिखित शिकायत कर माधव मेमोरियल हॉस्पिटल की अनियमितताओं के बारे में बताया।
11 जनवरी: शिकायत के 13 दिन बाद इसका खुलासा हुआ, जिसमें इस बात के सबूत मिले की हॉस्पिटल की पर्ची में डॉक्टरों के नाम नहीं हैं और मरीजों को मांगने पर ही रसीद दिए जाने के प्रमाण मिले।
12 जनवरी: खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और एसडीएम ने जांच टीम बनाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
14 जनवरी: नायब तहसीलदार के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में छापेमार कार्रवाई की, जहां कई तरह की अनियमितताएं मिलीं। देर रात तक हॉस्पिटल को आधा सील किया गया।
16 जनवरी: जांच टीम ने हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती का बयान लिया, जिसमें डॉ. भारती ने तमाम गतिविधियों से अनभिज्ञता जाहिर की और संचालक को ही जिम्मेदार ठहराया।
25 जनवरी: हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू का बयान लिया गया, जिसमें उन्होंने खुद को केवल बिल्डिंग का मालिक बताया है।
इसके बाद स्टाफ नर्सों के बयान भी लिए गए, जिसमें आरएमए के भरोसे आईपीडी होने और डॉ. साहू के राउंड लेने की बात भी सामने आई।
जांच के दौरान हुए मेडिकल से जुड़े ये बड़े खुलासे
टेम्प्रेरी रजिस्ट्रेशन: माधव मेमोरियल हॉस्पिटल तीन साल से टेम्प्रेरी रजिस्ट्रेशन पर ही संचालित हो रहा था, जो ऑन लाइन आवेदन के बाद मिल जाता है। इसकी जांच के लिए कोई टीम नहीं पहुंची थी।
किराए की डिग्री: जांच के दौरान पता चला कि डॉ. भारती की केवल डिग्री का इस्तेमाल किया गया है। वे नियमित रूप से हॉस्पिटल कभी नहीं आए। सीधा मतलब है कि हॉस्पिटल के संचालन के लिए एमबीबीएस की डिग्री का इस्तेमाल किया गया। इससे पहले दो-तीन डॉक्टर और हैं, जिससे एग्रीमेंट कर उनकी डिग्री हासिल की गई।
कोविड टेस्ट: अधिकृत नहीं होने के बावजूद हॉस्पिटल के लैब में कोविड टेस्ट किए गए, जिसके लिए अवैधानिक तरीके से किट का इस्तेमाल भी किया गया।
सेवा पर सरकारी डॉक्टर: मेडिकल डायरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती ने खुद दो डॉक्टरों के नाम लिए हैं, जो सरकारी अस्पताल में पदस्थ हैं, लेकिन हॉस्पिटल में सेवाएं देते रहे।
मिली बॉयल मशीन: हॉस्पिटल में बॉयल मशीन का मिलना प्रमाण है कि यहां सर्जरी भी होती रही है। गायनेकोलॉजिस्ट सहित अन्य सर्जन भी सेवाएं देते रहे हैं।
माधव मेमोरियल हॉस्पिटल पर बन सकते हैं ये चार मामले
नर्सिंग होम एक्ट: हॉस्पिटल में नर्सिंग होम एक्ट के नार्म्स का पालन नहीं किया जा रहा है। वहां काम करने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी योग्य नहीं हैं। हॉस्पिटल में आईपीडी है, ऑपरेशन थिएटर है, जहां महिलाओं की नसबंदी भी की गई है, जबकि उनके फार्म में डॉक्टर के नाम का उल्लेख नहीं है। इस तरह उपचार से संबंधित तमाम अनियमितताएं पाई गईं हैं।
आर्थिक अनियमितता: हॉस्पिटल में हर महीने लाखों का लेनदेन हुआ है। जांच टीम ने इससे संबंधित कच्चा चिट्ठा जब्त किया है। पक्के में किसी तरह का हिसाब नहीं मिला है। खुद डॉ. भारती ने यह बात स्वीकारी है कि उन्हें केवल ओपीडी की फीस दी गई, वह भी कैश।
धोखाधड़ी का मामला: माधव मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रबंधन ने असाध्य रोगों के इलाज का दावा किया, जबकि संस्था ही पंजीकृत नहीं है। इसके अलावा हॉस्पिटल में कहीं भी विशेषज्ञों के नाम का उल्लेख नहीं किया। जिस एमबीबीएस डॉक्टर को मेडिकल डारेक्टर बनाया, वह खुद संचालक को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
महामारी रोग अधिनियम: प्रबंधन ने हॉस्पिटल में कोरोना टेस्ट किए जाने को प्रचािरत किया और वहां मिले दस्तावेजों से यह प्रमाणित भी हो रहा है कि वहां कोरोना जांच किए गए, जबकि इसकी जानकारी बीएमओ को नहीं दी गई। ऐसे में महामारी रोग अधिनियम के तहत भी कार्रवाई संभव है।