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खैरागढ़ के माधव मेमोरियल हॉस्पिटल के संचालक ने कहा- ‘न मैंने मशीनें खरीदीं और न ही स्टाफ को दी तन्ख्वाह, केवल किराए के बदले प्रॉफिट में ली 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी।’
बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित माधव मेमोरियल हॉस्पिटल की जांच में बड़ा घपला सामने आया है। हॉस्पिटल में मौजूद लाखों की मशीनों की खरीदी-बिक्री से संबंधित एक भी दस्तावेज नहीं मिले हैं। मरीजों से लिए गए शुल्क और स्टाफ को दिए गए वेतन का हिसाब भी नहीं मिल रहा। संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू ने हिसाब-किताब देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें इसके बारे में कुछ भी नहीं मालूम। सारा लेनदेन मेडिकल डायरेक्टर ही किया करते थे।
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आपको बता दें कि जब से माधव मेमोरियल हॉस्पिटल खुला है तब से इसके तीन मेडिकल डायरेक्टर बदल चुके हैं। उनकी ही डिग्री का हवाला देकर टेम्प्रेरी रजिस्ट्रेशन पर हॉस्पिटल को संचालित किया जाता रहा है। वर्तमान मेडिकल डायरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती पहले ही मुकर चुके हैं। उन्होंने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि डॉ. साहू ही हॉस्पिटल के सर्वेसर्वा हैं। वे जब भी आए केवल ओपीडी की फीस लेकर गए।
उन्होंने अपने बयान में इकरारनामे का भी जिक्र किया है, जिसके तहत उन्हें प्रॉफिट का 5 फीसदी हिस्सा दिए जाने का करार हुआ था। इसी के एवज में उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री दी थी, जबकि डॉ. साहू ने नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर के सामने दिए अपने बयान में कहा कि वे भवन का किराया लेने की बजाय प्रॉफिट में से 5 प्रतिशत हिस्सा लेते थे।
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बड़ी बात ये कि माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में तीन मेडिकल डायरेक्टर रहे हैं। डॉ. साहू के साथ सबसे पहला करार मार्च 2018 में रिसाली भिलाई निवासी एमबीबीएस डॉ. अभिषेक बंजारे के साथ हुआ। डॉ. साहू का कहना है कि हॉस्पिटल के सामान जैसे ऑपरेशन थिएटर की मशीनें, फिजियोथैरेपी से संबंधित उपकरण, बिस्तर-गद्दा आदि डॉ. बंजारे ने ही खरीदे थे। नर्सिंग होम एक्ट के टेम्प्रेरी रजिस्ट्रेशन में भी उन्हीं का नाम है।
डॉ. साहू का कहना है कि डॉ. बंजारे ने मई 2019 तक मेडिकल डायरेक्टर की जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद उनकी सरकारी नौकरी लग गई और उन्होंने हॉस्पिटल संचालन की जवाबदारी थांबाल मणिपुर निवासी डॉ. निशिकांत शर्मा को सौंप दी, तब वे रायपुर में ही रहते थे। इसके साथ ही हॉस्पिटल का हिसाब-किताब को लेकर दोनों डायरेक्टरों के बीच क्या बातचीत हुई, उन्हंे नहीं मालूम। उन्हें केवल प्रॉफिट के 5% का हिस्सेदार बनाया था।
डॉ. साहू का कहना है कि डॉ. शर्मा ने जाने से पहले अक्टूबर 2020 में बलौदा बाजार रायपुर के रहने वाले एमबीबीएस डॉ. आशुतोष भारती को हॉस्पिटल संचालन की जिम्मेदारी सौंपी थी। तब डॉ. भारती के साथ 5% हिस्सेदारी का इकरारनामा हुआ। उन्होंने ही असाध्य रोगों के विशेषज्ञों को हॉस्पिटल बुलाया, पैरामेडिकल स्टॉफ रखे। मरीजों से लेनदेन का हिसाब भी उन्होंने ही किया है।
डॉक्टरों के कथन पर परखें माधव मेमोरियल हॉस्पिटल का सच?
0 डॉ. आशुतोष भारती का कहना है कि वे माधव मेमोरियल हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू के अलावा किसी दूसरे को नहीं जानते। उन्हें नहीं मालूम था कि हॉस्पिटल का नर्सिंग होम एक्ट में रजिस्ट्रेशन नहीं है और वहां सर्जरी भी होती है। ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी करने से पहले सीनियर सर्जन को भी सोचना चाहिए था।
0 डॉ. भारती ने ही वहां एम्प्लॉई के रूप में काम करने वाले दुर्ग के गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. कृष्णकांत डहरिया और रायपुर के डॉ. वैभव सिंह का नाम बताया था। यहां डॉ. डहरिया ने एक बार हॉस्पिटल विजिट की बात स्वीकार, लेकिन किसी भी तरह के ऑपरेशन से साफ मुकर गए। वहीं डॉ. वैभव सिंह ने कहा कि वे डॉ. साहू से बात करने के बाद भी कुछ कहेंगे।
0 तीनों ही डॉक्टर हॉस्पिटल के संचालक डॉ. साहू से संपर्क में थे। डॉ. भारती तो पहले के दोनों डायरेक्टरों से मिले ही नहीं हैं। इसके बावजूद नायब तहसीलदार के सामने शपथ पूर्वक बयान में डॉ. दुग्धेश्वर साहू ने ये कहा है कि हॉस्पिटल की मशीन और लेनदेन का हिसाब मेडिकल डायरेक्टरों के बीच हुआ है, वे इसके बारे में कुछ नहीं जानते।
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