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विश्व पर्यावरण दिवस पर दीवानिन तालाब की करुण गाथा: कचरे के नीचे दम तोड़ रही है इतिहास की धरोहर Featured

कचरे के नीचे दम तोड़ रही है इतिहास की धरोहर

 

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जहां एक ओर जिला प्रशासन, नगर पालिका, सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों द्वारा श्रमदान, पौधरोपण और स्वच्छता गतिविधियों का आयोजन हुआ, वहीं खैरागढ़ की ऐतिहासिक पहचान दीवानिन तालाब की उपेक्षा ने पर्यावरणीय और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।करीब 1770 ई. के आसपास निर्मित यह 255 वर्ष पुराना ऐतिहासिक जलस्रोत, अब नगर पालिका द्वारा डंप किए जा रहे कचरे के नीचे दबता जा रहा है। कभी यह तालाब खैरागढ़ रियासत के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक हुआ करता था, आज यह कचरे का अड्डा और जहरीले धुएं का स्रोत बन चुका है।

 

इतिहास की परतों में दीवानिन तालाब

दीवानिन तालाब का निर्माण खैरागढ़ के तत्कालीन राजा टिकैतराय द्वारा कराया गया था, जब यह क्षेत्र मंडला अधीनस्थ था और यहां के शासकों को "दीवान" की उपाधि प्राप्त थी। राजा टिकैतराय की पत्नी, जिनका संबंध जयपुर के कछवाहा राजपरिवार से था, के नाम पर इस जलस्रोत को “दीवानिन तालाब” कहा गया। यह तालाब खैरागढ़ से पूर्व दिशा में लगभग दो मील की दूरी पर स्थित कमलनारायणपुर (अब वीरान गाँव) में मौजूद है। दौर में यह तालाब स्थानीय जनजीवन की जल आवश्यकताओं को पूरा करता था, और आसपास के गांवों की सिंचाई व पशुधन के लिए भी महत्त्वपूर्ण था। लेकिन आज स्थिति यह है कि यह ऐतिहासिक स्थल न केवल उपेक्षा की मार झेल रहा है, बल्कि धीरे-धीरे अस्तित्वहीन होने की कगार पर है।

 

कचरे का ढेर, जहर बनता धुआँ

नगर पालिका द्वारा दीवानिन तालाब क्षेत्र को अनाधिकारिक रूप से कचरा डंपिंग ज़ोन बना दिया गया है। लगातार कचरा फेंके जाने से तालाब पूरी तरह कचरे से पाट दिया गया है, जल स्रोत का नामोनिशान मिट गया है।चिंता की बात यह है कि कभी-कभी इस कचरे में आग भी लगा दी जाती है, जिससे उठता धुआँ आसपास के रहवासियों के लिए जानलेवा बन गया है।साँसे लेना मुश्किल हो गया है, बताते हैं समीपवर्ती बस्तियों के लोग। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों पर इसका खासा बुरा असर पड़ा है। स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन को इसकी जानकारी दी, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।

 

लाखों की डी-कम्पोस्ट मशीन ताले में बंद

स्वच्छता के नाम पर खर्च की गई लाखों की राशि भी आज सवालों के घेरे में है।15वें वित्त आयोग की राशि से खरीदी गई डी-कम्पोस्ट मशीन, जो गीले कचरे को खाद में बदलने के लिए लाई गई थी, वह धरमपुरा क्षेत्र में चारों ओर हरे नेट से ढँक कर ताले में बंद कर दी गई है। यह मशीन यदि उपयोग में लाई जाती, तो संभवतः दीवानिन तालाब को कचरे का डंपिंग ज़ोन बनने से बचाया जा सकता था। लेकिन हकीकत यह है कि मशीन अब धूल फांक रही है, और कचरा जलकर शहरवासियों के फेफड़े जला रहा है।

 

ऐतिहासिक विरासत की दुर्दशा

इतिहासकारों और स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, दीवानिन तालाब को खैरागढ़ की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में चिन्हित किया जाना चाहिए था। इस जलस्रोत के चारों ओर फैले घाट, छोटे मंदिरों के अवशेष, और जमींदोज हो चुकी बावड़ियाँ आज भी इस स्थान की ऐतिहासिक महत्ता का प्रमाण हैं। तालाब केवल एक जलस्रोत नहीं, स्मृति और सभ्यता का दर्पण है, जिसे हम अपनी उपेक्षा से गँवा रहे हैं,"

 

पर्यावरण दिवस की विडंबना

यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि एक ओर जिला प्रशासन पर्यावरण बचाने के संकल्प ले रहा है, हजारों गड्ढों और बीजों के रोपण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, और दूसरी ओर इतिहास और पर्यावरण दोनों की धरोहर – दीवानिन तालाब – सड़ते कचरे के नीचे सिसक रहा है।सबसे दुखद यह कि समाधान के लिए लाई गई महंगी तकनीक – डी-कम्पोस्ट मशीन – प्रयोग की बजाय ताले में बंद है।

 

जन-जागरूकता और संरक्षण की माँग

अब आवश्यकता इस बात की है कि दीवानिन तालाब को 'पुरातात्विक जल धरोहर' के रूप में मान्यता दी जाए, और इसे तत्काल स्वच्छ किया जाए, कचरे के ढेर हटाए जाएं, और इसके पुनरुद्धार की कार्ययोजना बनाई जाए।इस दिशा में नागरिकों, सामाजिक संस्थाओं और प्रशासन को मिलकर ठोस पहल करनी होगी।एक संभावित योजना के तहत तालाब के चारों ओर घेराबंदी, सूचना पट्ट, और पार्क के रूप में पुनरुद्धार जैसे कदम इसे फिर से शहर की पहचान बना सके।

 

पर्यावरणीय नियति के दो छोर

दीवानिन तालाब और धरमपुरा की डी-कम्पोस्ट मशीन, दोनों खैरागढ़ की पर्यावरणीय नियति के दो छोर हैं – एक ऐतिहासिक धरोहर, जो कचरे में दब रही है और दूसरी, एक आधुनिक संसाधन, जो ताले में बंद है।

 

 

"आज ही यह मामला संज्ञान में आया है कि नगर का कचरा तालाब में फेंका जा रहा था। इसे तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया गया है।"

"इस तालाब का शत-प्रतिशत जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इस दिशा में नगर पालिका पूरी गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी।"

रही बात डी कंपोजिट मशीन की तो"इस संबंध में मैं संबंधित अधिकारी से जानकारी लेकर ही कोई टिप्पणी करूंगा।"

 

नरेश वर्मा, सीएमओ नगर पालिका खैरागढ़

 

 

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Last modified on Friday, 06 June 2025 09:45

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