विश्वविद्यालय परिसर में स्थित नाले के इसी हिस्से को आधार मानकर खुद नगर पालिका ने गार्डन से विश्वविद्यालय तक के भाग को पक्का बनवाया है। रिकॉर्ड में नाला था ही नहीं तो ऐसी प्लानिंग क्यों की गई? शिवमंदिर रोड, टिकरापारा सहित शहर वासियों का कहना है कि मौके पर प्राकृतिक नाला था। बारिश का पानी इसी नाले से होते हुए नदी में मिल जाता था।
एडीएम है रजिस्ट्रार, इसलिए नाले से नहीं किया छेड़छाड़
नाले का जो हिस्सा विश्वविद्यालय परिसर में है, वहां उसके स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना मिट्टी का कटाव रोकने के लिए दोनों तरफ कांक्रीट की दीवार खड़ी की गई है। उसके मूलस्वरूप से छेड़छाड़ नहीं किया गया है। अभी भी कुछ हिस्सा निर्माणाधीन है। यही नाला परिसर से बाहर निकलकर निर्मल त्रिवेणी परिसर (पंचायत सदन) के पास से होते हुए आगे निकला है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीएस ध्रुव एडीएम हैं और 13-14 साल तक खैरागढ़ के एसडीएम रहे हैं। उनका कहना है कि जब बंदोबस्त होता है तो चाहे पगडंडी रास्ता हो, छोटे नाले हों, राजस्व रिकॉर्ड में सभी चीजों का उल्लेख रहता है।
शहर का सेटलमेंट जब होता है तो कहां पर मंदिर है, कहां कब्रिस्तान? कहां पर नाला है और कहां लोग पैदल चलते हैं, एक-एक चीज का उल्लेख किया जाता है। राजस्व अभिलेख में इसका उल्लेख तो होगा ही। नजूल नक्शे से पहले राजस्व अभिलेख तैयार हुआ है। उसमें नाला जरूर होगा। खैरागढ़ की सियासत: नेता जी! कल उम्मीद की टोंटी थी, आज टोटा है!
जानिए क्या कहता है राजस्व अधिनियम
रूढ़ी पत्रक के अनुसार धारा 203-204 में स्पष्ट उल्लेख है कि पुरानी प्रथाओं से जिन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सार्वजनिक हित में होता रहा है, उसे बदला नहीं जा सकता। इसी तरह सुखाधिकार की धारा 131, 132 और 133 के तहत नदी-नाले को रोक कर बाधा पहुंचाने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
एसडीएम निष्ठा पांडेय तिवारी का कहना है कि जांच के बाद अभी रिपोर्ट पुटअप नहीं हुई है। जैसा कि आप जानकारी दे रहे हैं कि राजस्व रिकॉर्ड में नाला नहीं है, लेकिन विश्वविद्यालय परिसर में इसका मूल स्वरूप है तो पुराना रिकॉर्ड निकलवाकर जांच करेंगे।
बिंदुवार समझें पालिका की बेपरवाही और राजस्व की लापरवाही!
0 जब राजस्व रिकॉर्ड में नाले का उल्लेख ही नहीं है तो नगर पालिका ने गार्डन से विश्वविद्यालय तक नाले का निर्माण किस आधार पर करवाया? 0 गार्डन से विश्वविद्यालय तक निर्मित नाले का उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड क्यों नहीं किया गया? 0 अगर इस नाले की चपेट में निजी जमीन आई है तो उसका मुआवजा प्रकरण बनाया जाना था, लेकिन इसका भी उल्लेख नहीं है। 0 सबसे बड़ी बात ये कि राजस्व अधिनियम के जानकार तत्कालीन एसडीएम और विवि के रजिस्ट्रार पीएस ध्रुव ने खुद नाले के स्वरूप को संजोकर रखा, फिर जैन मंदिर के पास से निकला प्राकृतिक नाला किसने पाटा?