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नगर पालिका ने खुद जिस नाले को आधार बनाकर गार्डन से विश्वद्यिालय तक नाला निर्माण कराया, वहीं के अफसर बता रहे उसे प्राइवेट लैंड।
खैरागढ़. प्रचलित नाले पर अतिक्रमण के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। एसडीएम के आदेश पर जांच करने पहुंचे राजस्व अमले ने साफ कह दिया कि रिकॉर्ड में नाला है ही नहीं। मौके पर पहुंची नगर पालिका की सब इंजीनियर दीपाली तंबोली ने कहा कि नाला निजी भूमि पर है। Khairagarh: Building के नीचे दबा नाला, घरों में घुस रहा पानी, 37 साल के दिव्यांग बेटे संग डर में रात गुजार रहा परिवार ...
आपको बता दें कि यह वही नाला है, जिसे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय प्रशासन ने संजोकर रखा। परिसर के भीतर से निकल रहे इस नाले के स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना दोनों किनारों पर कांक्रीट की दीवार खड़ी की गई है और ऊपर स्लैब डाला गया है। परिसर के भीतर नाले की चौड़ाई लगभग 12 फीट है। Khairagarh: Building के नीचे दबा नाला, घरों में घुस रहा पानी, 37 साल के दिव्यांग बेटे संग डर में रात गुजार रहा परिवार ...
विश्वविद्यालय परिसर में स्थित नाले के इसी हिस्से को आधार मानकर खुद नगर पालिका ने गार्डन से विश्वविद्यालय तक के भाग को पक्का बनवाया है। रिकॉर्ड में नाला था ही नहीं तो ऐसी प्लानिंग क्यों की गई? शिवमंदिर रोड, टिकरापारा सहित शहर वासियों का कहना है कि मौके पर प्राकृतिक नाला था। बारिश का पानी इसी नाले से होते हुए नदी में मिल जाता था।
सोमवार दोपहर मौके पर पहुंचे आरआई इंद्रपाल टेकाम सहित राजस्व अमले ने मौका मुआयना किया। जांच के बाद राजस्व व पटवारी रिकॉर्ड दिखाते हुए बोले कि दोनों में नाले का नामो निशान नहीं है। 32 करोड़ की योजना पर भाजपा पार्षदों की चुप्पी, अब उसी मुद्दे पर विधानसभा में बोलेंगे डॉ. रमन
एडीएम है रजिस्ट्रार, इसलिए नाले से नहीं किया छेड़छाड़
नाले का जो हिस्सा विश्वविद्यालय परिसर में है, वहां उसके स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना मिट्टी का कटाव रोकने के लिए दोनों तरफ कांक्रीट की दीवार खड़ी की गई है। उसके मूलस्वरूप से छेड़छाड़ नहीं किया गया है। अभी भी कुछ हिस्सा निर्माणाधीन है। यही नाला परिसर से बाहर निकलकर निर्मल त्रिवेणी परिसर (पंचायत सदन) के पास से होते हुए आगे निकला है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीएस ध्रुव एडीएम हैं और 13-14 साल तक खैरागढ़ के एसडीएम रहे हैं। उनका कहना है कि जब बंदोबस्त होता है तो चाहे पगडंडी रास्ता हो, छोटे नाले हों, राजस्व रिकॉर्ड में सभी चीजों का उल्लेख रहता है।
शहर का सेटलमेंट जब होता है तो कहां पर मंदिर है, कहां कब्रिस्तान? कहां पर नाला है और कहां लोग पैदल चलते हैं, एक-एक चीज का उल्लेख किया जाता है। राजस्व अभिलेख में इसका उल्लेख तो होगा ही। नजूल नक्शे से पहले राजस्व अभिलेख तैयार हुआ है। उसमें नाला जरूर होगा। खैरागढ़ की सियासत: नेता जी! कल उम्मीद की टोंटी थी, आज टोटा है!
जानिए क्या कहता है राजस्व अधिनियम
रूढ़ी पत्रक के अनुसार धारा 203-204 में स्पष्ट उल्लेख है कि पुरानी प्रथाओं से जिन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सार्वजनिक हित में होता रहा है, उसे बदला नहीं जा सकता।
इसी तरह सुखाधिकार की धारा 131, 132 और 133 के तहत नदी-नाले को रोक कर बाधा पहुंचाने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
बोथरा खुद मान रहे होती थी पानी की निकासी
व्यवसायी नरेंद्र बोथरा का कहना है कि उन्होंने जब यह जमीन खरीदी तो रिकॉर्ड में यहां नाला नहीं था, लेकिन मैं खुद जानता हूं कि यहां से पानी की निकासी होती रही है। इसलिए 200 मीटर तक नाला अपने खर्च पर बनवाया। पालिका चाहे तो मैं जमीन देने को तैयार हूं। 80 साल की बुजुर्ग महिला की हत्या के आरोप में महिला के बेटे, बहू और पोते को किया गिरफ्तार
एसडीएम दिखवाएंगी पुराना रिकॉर्ड
एसडीएम निष्ठा पांडेय तिवारी का कहना है कि जांच के बाद अभी रिपोर्ट पुटअप नहीं हुई है। जैसा कि आप जानकारी दे रहे हैं कि राजस्व रिकॉर्ड में नाला नहीं है, लेकिन विश्वविद्यालय परिसर में इसका मूल स्वरूप है तो पुराना रिकॉर्ड निकलवाकर जांच करेंगे।
बिंदुवार समझें पालिका की बेपरवाही और राजस्व की लापरवाही!
0 जब राजस्व रिकॉर्ड में नाले का उल्लेख ही नहीं है तो नगर पालिका ने गार्डन से विश्वविद्यालय तक नाले का निर्माण किस आधार पर करवाया?
0 गार्डन से विश्वविद्यालय तक निर्मित नाले का उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड क्यों नहीं किया गया?
0 अगर इस नाले की चपेट में निजी जमीन आई है तो उसका मुआवजा प्रकरण बनाया जाना था, लेकिन इसका भी उल्लेख नहीं है।
0 सबसे बड़ी बात ये कि राजस्व अधिनियम के जानकार तत्कालीन एसडीएम और विवि के रजिस्ट्रार पीएस ध्रुव ने खुद नाले के स्वरूप को संजोकर रखा, फिर जैन मंदिर के पास से निकला प्राकृतिक नाला किसने पाटा?