खैरागढ़. शिक्षा बचाने की मुहिम को धार देते हुए सामाजिक संगठन 'मिशन संडे' की टीम ने रविवार को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुँचकर शासकीय विद्यालयों में हो रहे युक्तिकरण (स्कूल विलय) के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। टीम के सदस्य काले टी-शर्ट पहनकर शांतिपूर्ण लेकिन मुखर प्रदर्शन के साथ डीईओ से मुलाक़ात किए और नीति को जनविरोधी बताते हुए तत्काल पुनर्विचार की मांग की।
टीम के संयोजक मनराखन देवांगन ने कहा कि युक्तिकरण के नाम पर सैकड़ों सरकारी स्कूलों को बंद करने की तैयारी की जा रही है, जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था गम्भीर रूप से प्रभावित होगी। खासकर वे बच्चे जो पहले पैदल स्कूल पहुँचते थे, अब लंबी दूरी तय नहीं कर पाएंगे और शिक्षा से कट जाएंगे।
उन्होंने चिंता जताई कि इस प्रक्रिया का सीधा असर महिला शिक्षकों पर भी पड़ेगा, जिन्हें अब दूरस्थ वन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा। ये महिलाएं न सिर्फ मानसिक और शारीरिक तनाव से गुजरेंगी, बल्कि असुरक्षित माहौल में काम करना भी उनके लिए चुनौती बन जाएगा।
'स्कूल बंद, शराब दुकान चालू' – मिशन संडे का आरोप
मनराखन देवांगन ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा की एक ओर बच्चों की स्कूलें बंद की जा रही हैं, तो दूसरी ओर गांव-गांव में शराब दुकानों के लाइसेंस बांटे जा रहे हैं। यह कैसा विकास है?" उन्होंने कहा कि इससे युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और अपराध जैसे लूट, चाकूबाजी, मारपीट और सड़क दुर्घटनाएं आम होती जा रही हैं।
टीम ने कहा कि यदि अब बच्चों को शिक्षा से वंचित किया गया तो भविष्य में यही बच्चे या तो अपराध की ओर बढ़ेंगे या मजबूरी में पलायन करेंगे। उनका तर्क है कि शिक्षा ही अपराध और बेरोजगारी का स्थायी समाधान है, जिसे कमजोर करना समाज के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
मांग – नीति पर पुनर्विचार हो, नहीं तो आंदोलन होगा तेज
मिशन संडे टीम ने जिला प्रशासन से मांग की कि वह राज्य सरकार तक जनभावनाएं पहुँचाए और युक्तिकरण नीति पर पुनर्विचार कराए। टीम ने साफ कर दिया है कि शिक्षा के साथ कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया तो चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी भी दी गई।
हम स्कूल बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि आने वाली पीढ़ी शिक्षित, जागरूक और सशक्त बन सके।
मनराखन देवांगन, संयोजक, मिशन संडे