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कोरोना पर रिसर्च: क्या हवा में फैलता है वायरस? Featured

फाइल फोटो फाइल फोटो

नई दिल्ली. वैज्ञानिकों ने नतीजा निकाला है कि कोविड-19 तीन घंटे हवा में जीवित रह सकता है। तो क्या कोरोना का संक्रमण हवा में होता है? इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। हाल में हुए कुछ नए अध्ययनों के आधार पर संगठन का मानना है कि यह हवा से नहीं फैलता। लेकिन उसने पूर्व के अपने दिशा-निर्देशों में अभी किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया है। हां, कोरोना पेशेंट के कमरे में इस वायरस की पहचान के लिए नए सिरे से अध्ययन की सिफारिश जरूर की है।

कोविड-19 के हवा में फैलने को लेकर लगभग 10 अध्ययन सामने आ चुके हैं और डब्ल्यूएचओ इन सभी की निकरानी कर रहा है। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए हालही में डब्ल्यूएचओ ने एक वैज्ञानिक शोधपत्र जारी किया है। यह शोध पत्र न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित भी हुआ है। पहले चीन में 75 हजार 465 लोगों पर हुए अध्ययन में भी दावा किया गया था कि यह बीमारी हवा से नहीं फैलती है।

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छींक के छींटे से हो सकता है संक्रमण

प्रकाशित शोधपत्र में डब्ल्यूएचओ ने दो-तीन बातें साफ की हैं। कहा गया है कि छींक या खांसी के दौरान छींटों (ड्रापलेट) यानी छोटी बूंदों से एक मीटर के दायरे में खड़े व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है। बताया गया कि ड्रापलेट का आकार 5-10 क्यूबिक मीटर होता है। ऐसे संक्रमण को हवा से फैलना नहीं कहते हैं। यदि ड्रापलेट का आकार पांच क्यूबिक मीटर से कम हो तो वह वायु कण कहा जाएगा, जिससे होने वाले संक्रमण को हवा से होने वाला संक्रमण कहा जाएगा।

हवा में वायरस खोजने का प्रयास

डब्ल्यूएचओ के अनुसार ताजा अध्ययन में प्रयोगशाला परीक्षण में वायुकणों को मशीन से छिड़का गया और फिर उसमें कोविड वायरस को तलाश करने की कोशिश की गई, लेकिन इसमें वायरस नहीं मिला। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस अध्ययन के नतीजे अहम तो हैं। लेकिन अंतिम नतीजे पर पहुंचने से पहले कोविड मरीज के कमरे में मौजूद हवा में वायरस को तलाश किया जाना चाहिए।

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बचाव के लिए दिशा निर्देशों का पालन करने कहा

इस पर अलग से अध्ययन करने के बाद ही कोई नतीजा निकाला जा सकता है। डब्ल्यूएचओ ने फिलहाल हवा में इस बीमारी के फैलाव की संभावना के मद्देनजर आवश्यक बचाव उपाय करने के दिशा निर्देश दे रखे हैं। संगठन ने दुनिया से कहा है कि मौजूदा दिशा निर्देश को जारी रखा जाए। हवा में फैलने को लेकर और अध्ययन के बाद ही इनमें किसी प्रकार के बदलाव पर विचार किया जा सकता है।

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