The RAGNEETI is periodical magazine and the news portal of central India with the political tone and the noise of issues. Everything is in this RAGNEETI. info@ragneeti.co.in
Owner/Director : Bhagwat Sharan Singh
Office Address : New Bus Stand, Shiv Mandir Road, Khairagarh. C.G
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
जिसमें मिला दो लगे उस जैसा...
फि़ल्म ‘शोर’ में इंद्रजीत सिंह तुलसी का लिखा गीत तो याद ही होगा! इसे आवाज दी थी लता मंगेशकर और मुकेश ने। संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था। दिमाग पर ज्यादा जोर न डालिए, केवल गीत के बोल याद रखिए। मुद्दा पानी की तरह सरल हो जाएगा।
है ही पानी का! छुईखदान के छिंदारी बांध से लाना है और शहर के हर वार्ड तक पहुंचाना है। योजना तकरीबन 32 करोड़ की है। पाइप लाइन बिछाई जा रही है, साथ में सियासी बिसात भी। ‘कप्तान’ का इशारा पाकर खिलाड़ी मैदान में उतर आए हैं। यानी पानी पर सियासत शुरू हो चुकी है। नहीं, नहीं! श्रेय लेने की होड़ नहीं मच रही, बल्कि गुणवत्ताहीन काम और भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। सरकार में हैं, वे भी। Also read: रेत-मुरुम का हिसाब देने में आनाकानी, एनीकट की ऊंचाई बढ़े बिना नहीं मिलेगा पानी ...
मुख पर रोज नया मुखौटा नजर आ रहा है। कागजी घोड़ों पर चाबुक चलाई जा रही है। शिकायतों का पुलिंदा तैयार किया जा चुका है। बयानों की फेहरिस्त बनाई जा रही है ताकि स्क्रिप्ट कमजोर न लगे। मंच पर दमदार प्रस्तुति के लिए नायक के डायलॉग लिखे जा चुके हैं। खलनायक कौन होगा ये तो ‘कप्तान’ ही जाने! लेकिन एक बात तय है- पानी आए, न आए, इसके दम पर सरकार आनी तय है।
हालांकि ये बात वे भी नहीं जानते। खेल पुराना है और खिलाड़ी भी। नया है तो केवल मुद्दा, वह भी जनहित का। तीन-चार महीने ही तो बचे हैं! यही तो सही वक्त है किरदार में आने का। ऐसे मुद्दों को उठाने का। गौर करें तो चुनाव की नजदीकी ही नेताओं को जनता के करीब लाती है। जनहित के मुद्दे याद दिलाती है। देख लो! उतर आए हैं जमीन पर। भ्रष्टाचार का भूत नाचने लगा है। तमाशा नया नहीं है। खैरागढ़ इससे वाकिफ है। Also read: Action लेने की बजाय कागजी कार्रवाई में उलझे जनप्रतिनिधि ...
कभी अंधा मोड़ रास्ता दिखाता है, तो कभी रास्ते के गड्ढे सिंहासन तक पहुंचा देते हैं। सिंहासन पर बैठते ही लोकतंत्र का ‘राजा’ लड़ाई लडऩा भूल जाता है। पुल निर्माण कर अंधे मोड़ को अस्तित्व में लाने वाले बख्श दिए जाते हैं। गड्ढों भरी सडक़ को चांद का दाग करार दिया जाता है। ठेकेदार मौज करता है और सजा भुगतती है जनता। इस बार पाइप लाइन निशाने पर है। यही जरिया बनेगा भावनात्मक भाषणों का। नोट और वोट दोनों यहीं से सप्लाई किए जाएंगे।
कोई कह रहा था, ‘जिसे नहीं मिला है वो ज्यादा हल्ला मचा रहे’। इसका मतलब तो ये भी हुआ कि जो कुछ नहीं बोल रहा, उसका मुंह भरा जा चुका है। अगर ऐसा नहीं है तो निरीक्षण करने वालों ने रेत-मुरुम का हिसाब क्यों नही पूछा ? जिम्मेदार तो उनके साथ ही थे। आपत्ति तो उन्हें भी थी। यहां विपक्ष की खामोशी भी पढि़ए। इनके पास सचिव को पत्र लिखने का हुनर है। बयान देनेे की कला है, लेकिन जनहित के मुद्दों को पूरी ताकत से उठाने की कूबत नहीं। Also read: अंधा मोड़ है माना, दुकान-मकान हटाने दिए 25 लाख, Drawing-Design में हुई गड़बड़ी भूल गए ...
आरोप लगाने के बाद की खामोशी सांठगांठ की ओर इशारा कर रही है। नहीं, तो साबित करने से परहेज कैसा? सिर्फ जय श्रीराम के नारे से राम राज्य की कल्पना बेमानी है। मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन से सबक लेना होगा। रावण रूपी भ्रष्ट सिस्टम की कलई खोलनी होगी। छुटपुट कामों का निरीक्षण कर ईमानदारी का ढोंग करने वाले अफसरों को चुनौती देनी होगी। भ्रष्टाचार की कब्र खोदनी होगी।
इसके लिए दमदार नेतृत्व चाहिए। कोई ऐसा, जो केवल जनता का हित सोचे, अफसरों को उनके दायित्व का भान करा सके। कोई ऐसा, जिसके पास ‘बनिया का दिमाग हो और मिया भाई की डेयरिंग’ भी। ये कोई कठपुतलियों का खेल नहीं है। इसे असल किरदार ही खेल पाएंगे। वे मंच पर आए तो जनता क्षमता देखेगी। नहीं आए तो चुनाव में अपनी ताकत दिखाएगी। Also read: प्रदेश में गोबर चोरी का पहला मामला सामने आया है, जांच में लगी गौठान समिति
नेतृत्व ये जान ले कि आने वाले चुनाव में पानी से ही आग लगेगी। पाइप से शोले निकलेंगे, जिनकी लपटों में झूठ का पुलिंदा जलकर खाक हो जाएगा। जुबान हिले ये जरूरी नहीं, पर नजरें घूमेंगी। सवाल भी पूछेंगी। तब बिसात पर चलने वाले मोहरे चुल्लूभर पानी की तलाश करेंगे। गद्दी चाहने वालों को पसीना आएगा। और फिर जनहित के मुद्दों पर रोटियां सेंकने वालों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा।
और तब याद आएगा ये अंतरा...
‘वैसे तो हर रंग में तेरा जलवा रंग जमाए
जब तू फिरे उम्मीदों पर तेरा रंग समझ ना आए
कली खिले तो झट आ जाए पतझड़ का पैगाम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
सौ साल जीने की उम्मीदों जैसा’
हालात काबू में नहीं रहेंगे। आखिरी सभा का जादू भी काफूर हो जाएगा। सियासत भी शर्म से पानी-पानी हो जाएगी।
रागनीति के ताजा अपडेट के लिए फेसबुक पेज को लाइक करें और ट्वीटर पर हमें फालो करें या हमारे वाट्सएप ग्रुप व टेलीग्राम चैनल से जुड़ें।