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अंधे मोड़ पर हादसा: ड्राइवर को अचानक दिखी गाड़ी, ब्रेक लगाया तो टूटा पट्टा, फिर सर्किल में फंसा पिछला चक्का Featured

60 लाख मुआवजा देकर भूला प्रशासन, इसलिए धीमी गति से चल रहा मकान तोड़ने का काम।

खैरागढ़. आमनेर नदी पर बने पुल की ड्राइंग-डिजाइन में खामी का खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है। उस पर लगभग 60 लाख रुपए का मुआवजा देकर प्रशासन भूल चुका है। अंधा मोड़ हटाने की कार्रवाई भी धीमी चल रही है। इसलिए वाहन चालकों को दिक्कत हो रही है और हादसे भी हो रहे हैं।

ताजा उदाहरण गुरुवार को देखने को मिला। अमलीपारा चौक पर दस चक्का ट्रक (सीजी 09 जेजे 1336) फंसा दिखा। बताया गया कि बुधवार रात तकरीबन साढ़े 12 बजे की घटना है। ट्रक कवर्धा से गन्ने का भूसा लेकर राजनांदगांव की तरफ जा रहा था। तभी दुर्ग की दिशा से आ रही तेज रफ्तार गाड़ी अचानक सामने आई और ड्राइवर ने उसे बचाने के लिए पूरा ब्रेक दबाया। इस दबाव के चलते ट्रक का पट्‌टा टूट गया और ड्राइवर साइड का पिछला पहिया सर्किल से जा टकराया।

ट्रक ड्राइवर रविंद्र सिंह ने बताया कि पहले तो दुर्ग की तरफ से आ रही गाड़ी दिखी ही नहीं और जब दिखी तो उसे बचाने के प्रयास में यह हादसा हो गया। रविंद्र का कहना है कि अमलीपारा के इस मोड़ पर दस चक्के का ट्रक एक बार में मुड़ता नहीं है। सामने पड़े है और वहीं पर हाईटेंशन तार भी है। इसलिए और ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है। लोगों का कहना है कि जब से पुल बना है, तब से यह दिक्कत हो रही है।

अब तक नहीं हटा पाए अंधा मोड़

आमनेर पर बने 150 मीटर लंबे पुल को बने लगभग तीन साल हो चुके हैं। मोड़ की जद में आ रहे मकान मालिकों को लगभग 60 लाख का मुआवजा भी मिल चुका है, लेकिन मकान तोड़ने का काम काफी धीमा है। वैसे तो कलेक्टर ने जून 2020 में ही मुआवजे की रकम तय कर क्रय नीति के तहत भू-धारकों की सहमति से भूमि का हिस्सा खरीदने का आदेश जारी कर दिया था। इसी के तहत भू-खंडों की रजिस्ट्री भी कर ली गई, लेकिन 9 महीने बाद भी विजिबिलिटी क्लीयर नहीं कर पाए।

चौक को चौड़ा नहीं किया तो बढ़ेगी परेशानी

लोगों का कहना है कि मकान तोड़ने पर अंधा मोड़ तो हट जाएगा। विजिबिलिटी भी क्लीयर हो जाएगी, लेकिन चौक चौड़ा नहीं हुआ तो परेशानी बढ़ेगी। जैसा कि ड्राइवर रविंद्र ने बताया कि पेड़ और हाईटेंशन तार की वजह से उन्हें काफी संभलकर ड्राइविंग करनी पड़ती है। अगर ट्रक 16 चक्के का हुआ तो कई दफे आगे-पीछे करने के बाद ही राजनांदगांव की दिशा में मुड़ता है। अफसर ये तो मान रहे हैं कि वहां अंधा मोड़ बना, लेकिन ड्राइंड डिजाइन में गड़बड़ी की बात वह नहीं स्वीकार रहे।

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