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अफसर मान रहे खोखली हो चुकी हैं जड़ें, फट रही दुकान की दीवार, फिर भी तीन साल से कर रहे हादसे का इंतजार Featured

खैरागढ़ के गोलबाजार में आड़ जाति के वृक्ष को काटने पीड़ितों ने 28 सितंबर 2018 को दिया था पहला आवेदन, जांच के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई।

खैरागढ़. गोलबाजार में गोविंद किराना स्टोर्स के ठीक पीछे एक बहुत पुराना आड़ जाति का वृक्ष है, जिसकी जड़ें दुकान के भीतर तक घुस चुकी हैं। इसके कारण दीवारें फट रही हैं। पेड़ दुकान की तरफ झुक रहा है। शटर में आई गैप से इसे समझा जा सकता है। हादसे की आशंका से दुकानदार डरे हुए हैं, लेकिन प्रशासन कागजी खानापूर्ति में लगा हुआ है। तीन साल पहले 28 सितंबर 2018 को दिए गए आवेदन के बाद आज तक केवल कागज में काम हुआ, मौके पर नहीं।

अफसर ये तक नहीं समझ पा रहे हैं कि गोलबाजार शहर का व्यस्तम इलाका है, जहां सुबह 6 बजे से रात साढ़े 10 बजे तक लोगों की आवाजाही रहती है। किराना स्टोर्स के आसपास डेलीनिड्स, ज्वेलरी और कपड़े आदि की दुकान है। जाहिर है इन दुकानों में महिलाओं और बच्चों की ग्राहकी औसतन ज्यादा रहती है। इसके बावजूद मामले की गंभीरता कागजी कार्रवाई की भेंट चढ़ रही है। आसपास के लोगों का कहना है कि पेड़ की जड़ें खोखली हो चुकी हैं। कभी भी हादसा हो सकता है, किन्तु अफसर सुनने को तैयार नहीं।

पेड़ गिरने से ही क्षतिग्रस्त हुई थी दुकानें

आवेदक संजय फोटानी, विजय फोटानी, नितिन पटेल आदि ने बताया कि वहीं किराना दुकान के ठीक सामने तीन साल पहले एक पेड़ अचानक गिर गया था, जिससे आसपास की तीन-चार दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके बाद ही पेड़ की स्थिति बताते हुए काटने के लिए अावेदन दिया गया था। जांच प्रतिवेदन भी बन चुका है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

दोनों विभागों ने माना खोखली हो चुकी हैं जड़ें

नायब तहसीलदार ने 10 जून 2020 में वन परिक्षेत्र अधिकारी व राजस्व निरीक्षक को स्थल जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इसके बाद 12 जून को परिक्षेत्र सहायक की जांच से सहमत होते हुए वन परिक्षेत्र अधिकारी ने लिखा था कि पेड़ आड़ जाति का है, इसे काटने में कोई आपत्ति नहीं। दो दिन बाद ठीक ऐसा ही प्रतिवेदन राजस्व निरीक्षक ने भी दिया।

एसडीएम की भी नहीं सुन रहे तहसीलदार

दोनों विभागीय अफसरों के प्रतिवेदन बाद भी 5 फरवरी 2021 को एसडीएम ने तहसीलदार को पत्र लिखा और सुरक्षा की दृष्टि से आड़ जाति के पेड़ को तत्काल काटे जाने के संबंध में स्पष्ट अभिमत मांगा। आज 33 दिन बीत चुके हैं, लेकिन तहसीलदार मौके पर नहीं पहुंचे। इस संबंध में जानने के लिए तहसीदार प्रीतम साहू को कॉल किया गया, लेकिन चुनाव कार्याें में व्यस्तता के चलते वे जवाब नहीं दे पाए। सोमवार को कार्यालय पहुंचे आवेदक से भी उन्होंने यही कहा।

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