खैरागढ़ नगर पालिका के अफसरों ने स्वीकारा था जैन मंदिर के बाजू वाले नाले पर निर्माण कर शर्तों का हुआ है खुला उल्लंघन, इसके बावजूद नहीं हुई कार्रवाई।
खैरागढ़. अच्छी खबर ये है कि राजनांदगांव-कवर्धा मार्ग पर स्थित जैन मंदिर के बाजू वाला अधूरा नाला पूरा बनेगा। नगर पालिका से मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए 150 मीटर पत्थर नाला बनाने के लिए लगभग 13 लाख का प्राकलन तैयार किया गया है। तकनीकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। जल्द ही बजट के लिए शासन के पास भेजा जाएगा।
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खामी ये है कि उसी नाले पर हुए अवैध निर्माण को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया गया, जबकि खुद नगर पालिका की सब इंजीनियर दीपाली तंबोली ने स्वीकार किया था कि नाले पर हुआ निर्माण शर्तों का खुला उल्लंघन है। स्थल की वास्तविक स्थिति भी बदली गई है।
यह भी रिपोर्ट नहीं बनाई कि 10 से 12 फीट के नाले को डायवर्ट कर नाली का रूप किसने दिया। यदि बनाई होती तो संबंधित पर नियमानुसार कार्रवाई भी की जाती। नगर पालिका के अफसर ये अच्छे से जानते हैं कि जैन मंदिर के बाजू वाले नाले हुआ निर्माण अनुमति पत्र की शर्तों का उल्लंघन है। शर्त नंबर-3 में स्पष्ट कहा गया है कि किसी के सुखाधिकार में बांधा उत्पन्न न करते हुए निर्माण कार्य करेंगे। इसी तरह शर्त-14 कहता है कि प्रस्तुत खसरा और मानचित्र के अनुसार मोटे तौर पर भवन अनुज्ञा दी जा रही है। वास्तविक स्थिति में भिन्नता पाए जाने पर यह भवन अनुज्ञा मान्य नहीं होगी।
जानिए ऐसी है नाले पर निर्माण की वस्तुस्थिति
मुख्य सड़क पर खड़े होकर देखने से ही नाले पर दीवार दिखाई देती है और उसके ठीक बाद नाले पर ही एक शटर वाली दुकान बनाई गई है, जिसका आधार नाले पर बनाया गया प्लेटफार्म ही है।

इधर नाले के दूसरी तरफ जिनकूशल सूरि दादा बाड़ी है। वहीं दूसरी तरफ भव्य भवन का निर्माण हो रहा है। दादा बाड़ी से सटाकर कालम खड़े किए गए हैं। दोनों भवनों को बीम से जोड़ा गया है। नाले पर कांक्रीट का मोटा प्लेटफार्म बनाया गया है ताकि उस पर निर्माण किया जा सकता है।
अफसरों के जवाब से परखिए खराब इंजीनियरिंग
अधूरे नाले को पूरा करने का प्रस्ताव बनाने वाले सब इंजीनियर किशोर ठाकुर का कहना है कि 13 लाख का प्राकलन तैयार किया गया है। वहां पत्थर वाला नाला बनेगा, जो सीधे मोती नाला में मिल जाएगा। नाले पर अतिक्रमण की जानकारी तो उन्हें है, लेकिन कार्रवाई के सबंध में दीपाली मैडम ही बता पाएंगी।
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इस संबंध में सब इंजीनियर दीपाली तंबोली का कहना है कि अगस्त तक की तारीख में नाले पर अतिक्रमण को लेकर किसी तरह की नोटिस जारी नहीं की गई थी। वह खुद दो महीने बाद आई हैं, तो इस बीच हुई कार्रवाई का उन्हें पता नहीं है।
राजस्व के अफसर मुकरे, पर पालिका ने ढूंढ निकाला नाला
नाले को नक्शे में उभारने के सारे प्रावधान भुलाकर राजस्व विभाग के अफसर अभी भी अड़े हुए हैं, जबकि अगस्त में आई बाढ़ का खतरा भांप कर नगर पालिका के अधिकारियों ने ही नाला ढूंढ निकाला था। इसी वजह से टिकरापारा के घर डूबने से बचे। अब नगर पालिका नाले को पूरा करने का प्रस्ताव बना रहा है और राजस्व के अफसर कॉलम नंबर-12 में इसका उल्लेख करने की बजाय अभी भी नक्शे में नाला तलाश रहे हैं।
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