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खराब इंजीनियरिंग-2: 14 घरों का गंदा पानी बहाने, 22 लाख का 3 फीट चौड़ा और साढ़े 3 फीट गहरा नाला Featured

बारिश का पानी निकालने के लिए कांक्रीट का स्लोप बनाकर बनाया 150 मीटर नाला। बारिश का पानी निकालने के लिए कांक्रीट का स्लोप बनाकर बनाया 150 मीटर नाला।

खैरागढ़ नगर पालिका ने टिकरा पारा में फिर बनाया अधूरा नाला, अफसर कह रहे इसी 150 मीटर नाले से होगी मुख्य मार्ग पर जमा होने वाले पानी की निकासी।

खैरागढ़. जैन मंदिर के बाजू वाले रियासत कालीन नाले पर हुए अतिक्रमण को नजरअंदाज करने वाले इंजीनियरों ने टिकरापारा में 150 मीटर लंबा पत्थर नाला बनवाया है, वह भी अधूरा। इस नाले की चौड़ाई 3 मीटर है और गहराई साढ़े तीन, जिसमें केवल 14 घरों का गंदा पानी ही बहेगा। पालिका के अफसरों का कहना है कि मुख्य मार्ग पर इकट्‌ठा होने वाला बरसाती पानी इसी से बहकर मोती नाला में मिलेगा।

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मौके पर हालात कुछ ऐसे दिखाई दिए। राजनांदगांव-कवर्धा मुख्य मार्ग पर जैन मंदिर से थोड़ा आगे जाकर टिकरापारा की तरफ गली में ढलान है। थोड़ा आगे जाने पर परस राजपूत के मकान के सामने थोड़ी जगह पर कांक्रीट का स्लोप बनाकर पत्थर वाले नाले का निर्माण किया गया है। इस नाले का दूसरा छोर मोती नाले में मिलाने की बजाय गेंदलाल के घर के पीछे छोड़ दिया गया है।

नगर पालिका के सब इंजीनियर किशोर ठाकुर का कहना है कि बारिश के दिनों में जैन मंदिर के सामने पानी इकट्‌ठा हो जाता है। इसी बरसाती पानी को निकालने के लिए ढलान से जोड़कर कांक्रीट का स्लोप बनाया गया है और नाले की शुरुआत की गई है।

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सब इंजीनियर ठाकुर उसी बरसाती पानी की बात कर रहे हैं, जिसे निकालने के लिए नगर पालिका ने आनन-फानन में जैन मंदिर के बाजू वाला नाला ढूंढ निकाला था। पार्षद शेष नारायण यादव ने खुद खड़े होकर ट्रैक्टर शो-रूम के पीछे वाली दीवार जेसीबी से तोड़वाई थी।

कहीं जैन मंदिर वाले नाले से तो नहीं है इसका कनेक्शन

0 सब इंजीनियर ठाकुर की बात मानें तो 22 लाख का नाला मुख्य मार्ग पर जमा होने वाले बरसाती पानी को निकालने के लिए बनाया गया, जबकि पहले इसकी निकासी जैन मंदिर के बाजू वाले नाले से होती थी।

0 पिछले तीन-चार सालों में ही यह स्थिति बनी, जब नाले को नाली बनाकर उसकी दिशा बदली गई और उस पर अवैध निर्माण हुआ। इसी दौरान मोती नाले से लगी जमीन पाटी गई।

0 इधर नगर पालिका के अफसरों ने दोनों ही मूल कारणों को छोड़कर नाला निर्माण का प्रस्ताव बनाया।

0 निर्माण में देरी होने पर दो साल पहले दीवार के किनारे जेसीबी से मोती नाले तक खोदाई कर पानी निकासी की व्यवस्था की गई।

राजस्व के नक्शे में नहीं कटा है रास्ता

वैसे तो मोती नाला से सटी निजी जमीन तक जाने के लिए छोटी-छोटी तीन-चार गलियां हैं, लेकिन राजस्व विभाग के नक्शे में एक भी रास्ता नहीं कटा है। वार्डवासियों का कहना है कि यह डुबान क्षेत्र है। हालांकि नगर पालिका के पास डुबान क्षेत्रों की जानकारी नहीं है। मनोज शुक्ला ने बताया कि टिकरापारा, इतवारी बाजार आदि कुछ चिन्हांकित वार्ड हैं, जहां पानी भरता है।

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Last modified on Tuesday, 03 November 2020 17:57

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