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Khairagarh पालिका का प्रमाण: नाले पर हुआ है अवैध निर्माण, पहले तोड़ी दीवार, अब तोड़ेंगे दुकान! Featured

खैरागढ़ में जैन मंदिर के बाजू वाले नाले पर निर्माण कर किया शर्तों का खुला उल्लंघन, सुखाधिकार को किया नजरअंदाज और स्थल की वास्तविक स्थिति ही बदल दी।  

राजस्व विभाग के अफसर भले ही जैन मंदिर के बाजू वाले नाले का अस्तित्व नकार रहे हों, लेकिन पालिका ने जेसीबी से खोदकर नाले की मौजूदगी प्रमाणित कर दी है। अब वहां के अफसर नाले पर हुए निर्माण को भी अवैध करार दे रहे हैं। इसे जरूर पढ़ें...  बहते नाले को छोडक़र हुआ था जमीन का सौदा, जैन मंदिर को दिए दान पत्र में भी है जिक्र!

राजनांदगांव-कवर्धा मुख्य मार्ग पर जैन मंदिर के बाजू में नाला था और है। खैरागढ़ की जनता मान रही है और नगर पालिका के अफसर भी स्वीकार रहे हैं। बारिश के पहले नाले पर बनी दीवार तोड़वाना इसका पहला प्रमाण है, जिसे लेकर टिकरापारा वासियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया रही।

अब सवाल उठ रहा है कि जब वहां नाला है तो नाले पर निर्माण की अनुमति कैसे दी गई?

वस्तुस्थिति देखें तो नाले के बाजू में एक तरफ श्री जिनकूशल सूरि दादा बाड़ी है। वहीं दूसरी तरफ भव्य भवन का निर्माण हो रहा है। दादा बाड़ी से सटाकर कालम खड़े किए गए हैं। दोनों भवनों को बीम से जोड़ा गया है। नाले पर कांक्रीट की मोटी परत बिछाई गई है ताकि उस पर भी निर्माण किया जा सके। देखिए मैडम... अध्यक्ष-उपाध्यक्ष सहित 96.7% ने देखा है बहता हुआ नाला, 80% मान रहे नक्शे से गायब होना साजिश

रोड पर खड़े होकर देखने से नाले के ऊपर दीवार दिखाई देती है और उसके ठीक बाद नाले पर ही एक शटर वाली दुकान बनाई गई है, जिसका आधार नाले का प्लेटफार्म ही है।

रोड से दिखती है नाले पर बनी दीवार और पीछे की दुकान।

नाले के बाजू में जिस भव्य निर्माण की अनुमति नगर पालिका प्रशासन ने दी है, वह शैलेंद्र पिता कुशाल चंद जैन के नाम से है। इसके भूतल में व्यवसायिक व आवासीय तथा प्रथम एवं द्वितीय तल में आवासीय निर्माण होना बताया गया है।

जानें अनुमति पत्र की शर्तें और कैसे किया उल्लंघन

शर्त नंबर 3: किसी के सुखाधिकार में बाधा उत्पन्न न करते हुए निर्माण कार्य करेंगे।

उल्लंघन: नाले को डायवर्ट कर नाली बनाई और दीवार बनाकर नाले को बंद किया। इसी के बाद से आधे घंटे की बारिश होने पर मुख्य मार्ग जाम होने लगा। टिकरापारा के घरों में पानी घुसने लगा।

शर्त नंबर 14: आवेदक द्वारा प्रस्तुत खसरा, मानचित्र अनुसार मोटे तौर पर भवन अनुज्ञा दी जा रही है। वास्तविक स्थिति में भिन्नता पाए जाने पर यह भवन अनुज्ञा मान्य नहीं होगी, जिसका संपूर्ण दायित्व एवं क्षतिपूर्ति हेतु आवेदक स्वयं जिम्मेदार होगा।

उल्लंघन: नगर पालिका को दिए ब्लू प्रिंट में नाले पर निर्माण का उल्लेख है ही नहीं, खुद सब इंजीनियर ने यह बात स्वीकारी है।

सब इंजीनियर दीपाली तंबोली ने दिए सवालों के जवाब...

सवाल: जैन मंदिर के बाजू वाला नाला कब से बना हुआ है?

जवाब: नाला कब से बना है, उसकी जानकारी लेकर बताती हूं। क्योंकि मैं खुद सितंबर 2019 को यहां आई हूं।

सवाल: जहां दीवार तोड़ी गई, वहां तक तो नाला है, ये साबित हो गया ना?

जवाब: हां...!

सवाल:  निर्माणाधीन भवन के बाजू में नाले पर जो निर्माण हुआ है, वह ब्लू प्रिंट में है क्या?

जवाब: नहीं...!

सवाल:  फिर तो नाले पर जो निर्माण हुआ है, वह अवैध है?

जवाब: हां, लेकिन नाले का क्लीयर हो जाए कि वह किसका है?

सवाल: अभी खोदाई में वहां निकला है ना?

जवाब: नाला भले ही किसी ने भी बनवाया हो पर नाला वहां निकल रहा है, आप सही बात बोल रहे हैं।

सवाल:  आप भवन अनुज्ञा की शर्त-3 और 14 देखिए, निर्माण में इसका खुला उल्लंघन दिखाई दे रहा है?

जवाब: आप जो कह रहे है, वह सही है।

सवाल:  अब पालिका प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करेगी?

जवाब: उल्लंघन जैसे हो रहा है तो एक्स्ट्रा निर्माण का शुल्क जमा करवाना होता है और अवैध निर्माण को तोड़ेंगे।

इधर नक्शे को लेकर अड़ा है राजस्व का अमला

एक तरफ नगर पालिका के अफसर नाले पर निर्माण को अवैध मान रहे हैं और दूसरी तरफ राजस्व का अमला नक्शे को लेकर अड़ा हुआ है। नायब तहसीलदार और आरआई ने नक्शा देखकर वास्तविक नाले पर ही सवाल उठा दिए थे। जबकि डिजिटल सर्वे में हिस्सा लेने वाले 80 प्रतिशत लोगों ने नक्शे से नाले के गायब होने को साजिश बताया है। Khairagarh: जल आवर्धन पर भ्रष्टाचार की आंच, खामी खंगाल रहे पांच, मैडम बोलीं... जारी है जांच

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Last modified on Saturday, 05 September 2020 17:07

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