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बिलासपुर: नवाचार के मामले में बिलासपुर का मल्टीपरपस स्कूल देश का पहला सरकारी स्कूल है जो बीते तीन वर्षों से अपने प्रोजेक्ट के दम पर देश के 15 हजार 602 स्कूलों में टाॅप पर है। इस मुकाम को हासिल करने के पीछे स्कूल के बच्चों की मेहनत और शिक्षक धनंजय पांडे की सोच शामिल हैं। शिक्षक धनंजय पांडे पिछले तीन सालों से दिन रात बच्चों के साथ नए-नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि बिलासपुर के इस स्कूल से तीन सालों में 9 प्रोजेक्ट नीति आयोग ने चयनित किए हैं।
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10 से अधिक बच्चे देश की बड़ीं कंपनियों इंटेल, आईबीएम, एमआईटी और डेल में इंटर्नशिप कर रहे हैं। तीन साल पहले केन्द्र सरकार ने मल्टीपरपस स्कूल बिलासपुर में अटल टिंकरिंग लैब की शुरूआत की थी। स्कूल के गणित के सीनियर लेक्चरर धनंजय पांडे को इसकी जिम्मेदारी दी गई। आमतौर पर सरकारी स्कूलों में इस तरह के प्रोजेक्ट पर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं लेकिन मल्टीपरपस स्कूल और लैब ने उपलब्धियों की एक लंबी फेहरिस्त बना ली है। गौैरतलब है कि नीति आयोग ने छत्तीसगढ़ में 556 निजी व सरकारी स्कूल में एटीएल (अटल टिंकरिंग लैब) की मान्यता दी है लेकिन छग की पहचान बिलासपुर के मल्टीपरपस स्कूल से है।
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पिछले महीने 31 जुलाई को नीति आयोग ने देशभर में स्कूली स्तर पर चयनित प्रोजेक्ट के परिणाम की घोषणा की है। इसमें टाॅप 10 स्कूलों में गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर का नाम है। इसमें तीन प्रोजेक्ट को शीर्ष पर रखा गया है, जिसमें किचन गार्डन, अटल दिव्यांग रथ और मैथ्स बोर्ड शामिल है। इसके साथ ही आयोग ने यहां के छात्रों के महत्वाकांक्षी अविष्कारों के व्यावसायिक उपयोग के लिए चार नामी कंपनियों को जिम्मेदारी दी है। इसमें इंटेल, एडोब, आईबीएम और डेल शामिल हैं। इंक्ट्यूबेर सेंटर को भी एक प्रोजेक्ट के लिए अधिकृत किया है।
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शासकीय मल्टीपरपज स्कूल की अटल टिंकरिंग लैब (एटीएल) को इनोवेशन के लिए भारत का ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया है। स्कूल के छात्रों ने इससे पहले भी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जिसमें छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुबई में भी अपना प्रजेंटेशन दे चुके हैं। दरअसल नीति आयोग ने स्कूल को ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए सहमति मांगी थी। मल्टीपरपज स्कूल के प्राचार्य डॉ. आरके गौरहा और अटल टिंकरिंग लैब के प्रभारी डॉ. धनंजय पांडे की सहमति के बाद अटल टिंकरिंग लैब स्थापित किया गया।
पिछले तीन सालों में मल्टीपरपस स्कूल की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाने में बहुत मेहनत लगी है। बच्चों के साथ शिक्षक धनंजय पांडे सुबह 8 बजे ही स्कूल पहुंच जाते हैं। इसके बाद लगातार रात 10 बजे तक सिर्फ पढ़ाई और प्रोजेक्ट पर काम करते हैं। कहीं कोई परेशानी होती है तो सीधे नीति आयोग के प्रोफेसरों से सलाह ली जाती है। आयोग में बैठे प्रोफेसर भी जानते हैं कि बिलासपुर में बेहतर काम हो रहा है, इसलिए हरसंभव मदद की जाती है। शिक्षक श्री पांडे के मुताबिक बच्चों का कैरियर बन जाए इससे बेहतर क्या होगा।
शिक्षक श्री पांडे की अगुवाई में तैयार स्कूली बच्चों के प्रोजेक्ट का राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शन भी किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रोजेक्ट से प्रभावित होकर बिलासपुर के तीन बाल वैज्ञानिकों को 25-25 हजार रुपए के व्यक्तिगत पुरस्कार से भी नवाजा है। इसके तत्काल बाद नीति आयोग ने इस प्रोजेक्ट के व्यावसायिक उपयोग के लिए डेल कंपनी को अधिकृत कर दिया है। लगातार उपलब्धियों के कारण ही केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस लैब को प्लेटिनम मेडल से भी नवाजा है।