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खैरागढ़. ब्लाक के पांडादाह स्कूल में कार्यरत ग्रंथपाल ने 2011 में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई। आठ साल तक उसी पद पर रहते हुए नौकरी किया। जब शिकायत के बाद प्रमाणपत्रों की जांच हुई तो जबलपुर विश्वविद्यालय ने कहा कि संबंधित सर्टीफिकेट उनके यहां से जारी ही नहीं किया गया है। मंडला कॉलेज के प्राचार्य ने लिखा कि प्रमाणपत्र में अंकित सत्र के दौरान वह हमारे यहां की छात्रा ही नहीं रही है। न ही तब की तारीख में संबंधित विषय की कक्षाएं कॉलेज में संचालित हुई थीं, जिसका उल्लेख प्रमाणपत्र में किया गया है।
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खैरागढ़ क्षेत्र में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने का संभवत: यह पहला बड़ा मामला है। फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाली खैरागढ़ ब्लॉक के पांडादाह स्कूल की सहायक शिक्षिका एलबी के निलंबन बाद शिक्षा विभाग ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। पुलिस ने दाउचौरा निवासी रेखा पति खिलेंद्र नामदेव के विरुद्ध धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
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जानकारी के मुताबिक तकरीबन सालभर पहले 12 मई 2019 को खैरागढ़ के व्यवसायी अजय जैन ने जनपद पंचायत में उनके विरुद्ध शिकायत की थी। अजय ने रेखा के प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया था। इसमें कहा गया था कि नियुक्ति के दौरान अगस्त 2011 में रेखा ने जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से प्राप्त बीएड/बीलिब का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है, जो फर्जी है। उनकी इस शिकायत के आधार पर जांच की गई। जबलपुर विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर प्रमाणपत्र की सच्चाई पता लगाई गई। विश्वविद्यालय से जानकारी मिली कि रेखा नामदेव को जारी प्रमाणपत्र का रिकॉर्ड उनके यहां नहीं है। इस लंबी जांच प्रक्रिया के बाद 13 मार्च 2020 को डीईओ हेमंत उपाध्याय ने रेखा नामदेव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर छुईखदान बीईओ ऑफिस अटैच कर दिया था।
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जांच अधिकारी ने प्रमाणपत्र को पाया फर्जी
जांच अधिकारी ने डीईओ को लिखे प्रतिवेदन में स्पष्ट लिखा कि रेखा नामदेव के प्रमाण पत्र सत्यापन में फर्जी पाए गए हैं। इसमें उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर मध्यप्रदेश और शासकीय जगन्नाथ मुन्नालाल चौधरी महिला स्नातक महाविद्यालय मंडला के पत्रों का हवाला भी दिया। इसके आधार पर छग सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत रेखा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
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मंडला कॉलेज की छात्रा ही नहीं रही है रेखा
व्यवसायी अजय जैन की शिकायत पर अफसरों ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के साथ मंडला स्थित शासकीय जगन्नाथ मुन्नालाल चौधरी कॉलेज के प्राचार्य को भी पत्र लिखकर जानकारी ली। प्राचार्य ने बताया कि प्रमाणपत्र में अंकित सत्र के दौरान रेखा उस कॉलेज की छात्रा ही नहीं रही हैं। इसके अलावा कॉलेज में तब इस विषय का पाठ्यक्रम भी संचालित नहीं होता था।
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मामले को लेकर टीआई लोमेश सोनवानी ने बताया कि विभाग द्वारा रेखा पति खिलेंद्र नामदेव के खिलाफ प्राथमिक दर्ज करने के लिए कार्यालयीन आवेदन प्राप्त हुआ है। इसी के आधार रेखा के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच तो होंगे नए खुलासे
- अगर जबलपुर विश्वविद्यालय और मंडला कॉलेज ने प्रमाणपत्र की वैधानिकता नकार दी है तो इस अवैधानिक काम को अंजाम किसने दिया?
- रेखा का अवैध प्रमाणपत्र बनाने वाले व्यक्ति या संस्था ने ऐसे कितने सर्टिफिकेट जारी किए?
- उन सर्टिफिकेट के आधार पर ऐसे कितने लोग नौकरी कर रहे हैं?
- क्या ऐसा को रैकेट प्रदेश में काम कर रहा था/है, जो फर्जी प्रमाणपत्र बनाने का काम करता था/है?
- फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर दी गई नौकरी में नियोक्ता जनपद पंचायत के तत्कालीन अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है।
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