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प्राकृत शरण सिंह

प्राकृत शरण सिंह

कला के साधक परेशान हैं। सुर नहीं मिला पा रहे। मिलाएं भी तो कैसे, यह राग सिखाया ही नहीं गया।

खेमे में बंट चुकी भाजपा से आम खैरागढ़िया अंजान नहीं। अब मुखौटे पहनकर इन्हें बरगलाना मुश्किल है। ये मोहरे पहचानते

2014 की वह फ़िल्म याद है, जो पूरी तरह कुत्ते पर केंद्रित थी। उसमें कुत्ते को करोड़ों का वारिस बताया

वह शक कर रहा होगा अपने हुनर पर। कह रहा होगा कि ईश्वर ने नाइंसाफी की, उसके जैसा दूसरा जीव

पंडित का अर्थ यहां उस विद्वान से है, जिसने सियासत के तार संगीत से जोड़े और संगठन गीत गाकर सिंहासन

कोशिश कामयाब हुई। धंधे ने नया चोला पहन लिया। कारोबारी बदल गए। मियां भाई के शागिर्दों के तारे गर्दिश में

राजपाट पाना, फिर उसे बचाना; इसी के इर्द गिर्द घूम रही है, खैरागढ़ की सियासत। बिछाई गई बिसात पर चली

प्रतिष्ठा का प्रश्न था, मरवाही उपचुनाव। वैसे ही लड़ा भी गया। जोगी परिवार का नामांकन रद्द होने से रोमांच बढ़ा।

'कुंभकर्ण, रामायण का अद्भुत किरदार था। बुद्धिमान था, और बहादुर भी। राक्षस वंश में जन्मा विशाल शरीर का मालिक अपनी

मरवाही उपचुनाव में जोगी कांग्रेस मैदान से बाहर है, लेकिन पार्टी की अंतर्कलह ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है।

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