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फ़ाइल फोटो में जो तस्वीर आप देख रहे हैं यह तस्वीर न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अतुल यादव ने खींची है यह तस्वीर 11 मई को ली गई है और 11 मई से लगातार सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को देखा जा रहा है।यह तस्वीर सोशल मीडिया पर लोगों को भावुक कर रही है इसे देखकर लोग स्तब्ध हो जा रहे हैं और प्रवासी मजदूरों के बारे में सोचने पर मजबूर हो जाए रहे हैं।
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बता दें कि निजामुद्दीन ब्रिज पर बैठा यह प्रवासी मजदूर रामपुकार पंडित है।सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि लॉक डाउन के तीसरे चरण में प्रवासी मजदूरों की क्या हालत है।
इस मजदूर के माथे की एक-एक नस आप देख सकते हैं उसके साथ ही उसके चेहरे को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किस तकलीफ से गुजर रहा है यदि इस तस्वीर को देखने वाले को इतना दुख हो रहा है तो सोचिए जिसकी तस्वीर है वह कितने दुख में डूबा होगा।
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आइए जानते हैं रामपुकार पंडित के बारे में :
दरअसल उनके 1 साल के बच्चे की मौत की खबर सुनने के बाद वह पूरी तरह से टूट गए जब रामपुकार पंडित की यह तस्वीर खींची गई उस वक्त वह फोन पर बात कर रहे थे राम पुकार पंडित दिल्ली के नवादा में मजदूरी करते थे लॉक डाउन की वजह से पूरा काम बंद हो गया जिसके बाद उन्होंने अपने घर जाने की सोची रामपुकार बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं और बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़े लेकिन 3 दिन से यूपी गेट पर फंसे थे गाजियाबाद पुलिस उन्हें पार करने नहीं दे रहे थे वह अधिकारियों से गुजारिश करते रहे मिन्नतें करते रहे पर उनकी एक भी नहीं सुनी गई
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'हिंदुस्तान' में छपी खबर के मुताबिक रामपुकार ने अंत में गाजीपुर फ्लाईओवर के नीचे ही रहने का सोच लिया क्योंकि तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें गेट पार नहीं करने दिया गया रामपुकार को उम्मीद थी कि कभी न कभी पुलिस उनकी बात सुन लेगी। 'हिंदुस्तान' के मुताबिक उनकी मदद की गई 13 मई की शाम दिल्ली पुलिस उन्हें पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन भेजा वह शाम 6:30 बजे बिहार जाने वाली स्पेशल ट्रेन हमें चढ़े।
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हिंदुस्तान से बातचीत के दौरान रामपुकार ने बताया कि बेटे की खबर सुनकर वह पूरी तरह से टूट चुके हैं।
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कोरोना : हवाई जहाज से हवाई चप्पल तक ✍️जितेंद्र शर्मा
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