भोपाल : खबर 12 मार्च यानी आज की है मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह फैसला लिया कि विवाहित महिलाओं को भी अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार है ऐसा ना करना ना केवल भेदभाव बल्कि इस अधिकार से वंचित करने वाली नीति समानता के अधिकार का हनन भी है जस्टिस सुजॉय पाल जस्टिस नंदिता दुबे और जस्टिस जे पी गुप्ता की पीठ ने कहां की शादीशुदा पुत्री के नाम अनुकंपा ना होना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए युवा विवाहित पुत्री भी मान्य होनी चाहिए
क्या है पूरा मामला :
सतना जिले के अमरपाटन तहसील के कोटा गांव निवासी मीनाक्षी दुबे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस नतीजे को अंजाम दिया मीनाक्षी दुबे के अनुसार उनके पिता जो विद्युत वितरण कंपनी में लाइनमैन पद पर कार्यरत थे जिनका निधन 5 अप्रैल 2016 को हो गया उसके बाद याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए विद्युत कंपनी में आवेदन दिया था कंपनी ने आवेदन को ठुकराते हुए कहा कि राज्य की 12 दिसंबर 2014 की नीति के तहत अनुकंपा नियुक्ति कला सिर्फ पुत्र अविवाहित पुत्री विधवा पुत्री या तलाकशुदा पुत्री को ही दिया जा सकता है कंपनी के इस फैसले के खिलाफ मीनाक्षी दुबे ने कोर्ट का दामन थामा और याचिका दायर की किसी के लिंग के आधार पर भेदभाव के सभी प्रकार मानव अधिकारों का उल्लंघन है और सरकार को महिलाओं के साथ इस भेदभाव को खत्म करने के लिए नीतियों का संशोधन करने तथा महिला विरोधी इन नियम कानूनों रीति-रिवाजों और चली आ रही प्रथाओं को समाप्त करने के लिए उचित उपाय करना चाहिए
कोर्ट का निष्कर्ष :
कोर्ट ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि संबंधित क्लॉज 2.2 71 विवाहित महिला को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने से वंचित की करता है यह समानता के अधिकार का हनन करता है और इसे सही नहीं कहा जा सकता साथ ही साथ क्लोज 2.4 लाकर सरकार ने आंशिक तौर पर शादीशुदा बेटी के नाम पर विचार के अधिकार को मान्यता तो दी है लेकिन यह अधिकार ऐसी बेटियों तक ही सीमित था जिसका कोई भाई नहीं था क्लोज 2.2 मृतक सरकारी कर्मचारी की पत्नी/पति को पुत्र या अविवाहित बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए नामित करने का विकल्प देता है बेटे के नाम पर विचार करते वक्त उसके विवाहित होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता जबकि वहीं दूसरी ओर पुत्री के मामले में उसके साथ अविवाहित शब्द को जोड़ा जाता है कोर्ट ने कहा कि यह सर बगैर किसी और चित्य के हैं इसलिए यह मनमाना एवं भेदभाव पूर्ण है