खैरागढ़. हर रविवार को ‘जनता की आवाज़’ बनने का दावा करने वाला “मिशन संडे” अब खुद सवालों के घेरे में है। नगर में भ्रष्टाचार के खिलाफ ढोल-नगाड़े बजा कर प्रदर्शन तो होते हैं, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी एक भी मामले में ठोस कार्रवाई न होने से यह आंदोलन अब 'दिखावटी मुहिम' बनता नजर आ रहा है।
शहरवासी प्रदीप अग्रवाल ने तीखा सवाल उठाया – “हर संडे एक मुद्दा, दो घंटे का प्रदर्शन, फिर रहस्यमयी चुप्पी। क्या यही है जवाबदेही?” वहीं सावन सोनी ने कहा – “अगर लड़ाई है, तो अंत तक लड़ो। आंदोलन की गंभीरता तभी है जब उसका असर दिखे। वरना यह सिर्फ फोटोशूट और सोशल मीडिया की रणनीति लगती है।”
मुद्दे गरम, नतीजे ठंडे – भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो एक्शन
मिशन संडे के मंच से कांग्रेस ने नगर पालिका, शिक्षा विभाग, खनिज विभाग और पीडब्ल्यूडी पर कई गंभीर आरोप लगाए, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से किसी एक भी मामले में न एफआईआर दर्ज हुई, न किसी अधिकारी पर कार्रवाई।
छींदारी डेम का इको-टूरिज्म घोटाला
41 लाख की योजना में बांस और सस्ती लकड़ियों से घटिया निर्माण। मौके पर अधूरे ढांचे, फिर भी 14 लाख का भुगतान। कांग्रेस खुद कह रही है – “10 लाख से अधिक का खर्च नहीं हुआ।”
पर आज तक न जांच हुई, न ठेकेदार पर कार्रवाई।
शिक्षा विभाग में नाश्ते के नाम पर बिल घोटाला
एक होटल से नाश्ते का 19 हजार का बिल पास हुआ, जबकि होटल ने सप्लाई ही नहीं की! 5 महीने तक फाइल दबा दी गई – जांच हुई दोषी साबित नहीं हुई।
दाऊचौरा घाट का एनीकेट घोटाला
बार-बार मरम्मत के नाम पर लाखों खर्च, लेकिन हर बार एनीकेट तीन महीने में टूट जाता है। मंदिर परिसर में शराब की बोतलें और गंदगी – फिर भी जिम्मेदारों को कोई नोटिस तक नहीं।
नगर पालिका की फर्ज़ी खरीदी
स्टेशनरी, सफाई, मिनी गार्डन, जिम शाला, तालाब निर्माण – हर योजना में फर्जी भुगतान के आरोप। ₹37 लाख का जिम बंद, ₹23 लाख का तालाब सूखा, ₹80 लाख का खेल मैदान असमतल। लेकिन भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारी कर्मचारी ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं।
खनिज विभाग की मिलीभगत
अवैध रेत व मुरूम खनन की शिकायतें बार-बार – लेकिन न जब्ती, न एफ आई आर। हाईवा से रोजाना मुरूम की तस्करी हो रही, लेकिन प्रशासन की आंखें बंद।
“मिशन संडे” बना सिर्फ ‘संडे शो’?
जनता सवाल कर रही है – “क्या मिशन संडे सिर्फ नारेबाज़ी और कागजों तक सीमित रह गया है?” आंदोलन होते हैं, ज्ञापन दिए जाते हैं, लेकिन प्रशासन चुप और कांग्रेस भी संतुष्ट दिखती है।
मांगे बहुत, असर कम
बायपास रोड, जल आवर्धन योजना, मीरा चौक की मूर्ति पुनःस्थापना – जैसी तीन प्रमुख मांगों के साथ कांग्रेस मैदान में उतरी थी। पर अब तक न बायपास शुरू, न जल योजना में कोई गिरफ्तारी, न मीराबाई की मूर्ति लौटी।
नेतृत्व की मंशा या मजबूरी?
विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन और कांग्रेस टीम ने हर रविवार कोई न कोई पोल खोलने की कोशिश की, लेकिन यदि किसी भ्रष्ट अधिकारी या ठेकेदार पर कार्रवाई न हो सके, तो सवाल उठना लाजमी है – "क्या मिशन संडे सिर्फ दिखावा है?"
रामनाथ बोले – दिखावटी आंदोलन बंद करो
लालपुर नगर वासी रामनाथ बोले – “मुद्दों का ढोल बजाना आसान है, समाधान कराना कठिन।” जब तक कोई अधिकारी बर्खास्त नहीं होता, जब तक कोई ठेकेदार जेल नहीं जाता, तब तक यह जनांदोलन केवल मंचीय भाषण और प्रेस विज्ञप्तियों तक सिमटा रहेगा।
इस संबंध में मिशन संडे के संयोजक मनराखन देवांगन ने बताया कि कुछ मामले हाईकोर्ट में चल रहा है। जिला प्रशासन की सुस्ती की वजह से कार्यवाही नहीं हो रहा है.इसको लेकर जल्द ही कलेक्टर से मुलाकात किया जाएगा