शीश महल से जब चला पत्थर ✍️जितेंद्र शर्मा
उत्तरप्रदेश कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री केयर फंड का आडिट कराने की मांग की है। उनका आरोप है कि यूपी के भदोही जिला प्रशासन ने एक आदेश में वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराते हुए सौ रुपए का योगदान सुनिश्चित करें। रेल मंत्रालय द्वारा भी इस फंड में 151 करोड़ रुपए का योगदान देने पर उन्होंने और राहुल गांधी ने आपत्ति की है। उनका कहना है कि यदि रेलवे जब करोड़ों रुपए का चंदा दे सकती है तो आपदा की इस घड़ी में मजदूरों को नि:शुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकती। प्रियंका जी ने इसी मामले पर ट्वीट भी किया है कि जब जनता त्राहिमाम कर रही है। राशन, पानी, नकदी की किल्लत है। और सरकारी महकमा सबसे सौ सौ रुपए पीएम केयर के लिए वसूल रहा है तब हर नजरिए से उचित रहेगा कि पीएम केयर की सरकारी ऑडिट भी हो। उन्होंने आगे यह भी लिखा है कि देश से भाग चुके बैंक चोरों के 68 हजार करोड़ माफ हुए उसका भी हिसाब होना चाहिए। कांग्रेस नेत्री की यह मांग बिल्कुल उचित है। विपक्ष में रहते हुए ही नहीं देश की जनता होने के नाते भी यह उनका अधिकार भी है। लेकिन कुछ लोगों को हर मामले में टिप्पणी करने की आदत ही होती है। ऐसे लोगों का क्या किया जाए जो यह ज्ञान पेल रहे हैं कि जो लोग खुद शीश महल में रहते हैं उन्हें दूसरों के घरों में पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। ट्वीटर में ही कुछ लोगों ने टिप्पणी कर डाली है कि हिसाब तो आपकी माता द्वारा किए गए सैकड़ों घोटालों का भी होगा। कोई उनसे पूछ रहा है कि भू माफिया वाड्रा के पास इतना पैसा आया कहां से? इस प्रकार के कई आरोप उनपर भी लगाए जा रहे हैं। खैर आरोप चाहे कोई भी किसी पर भी लगाए पर सवाल तो सारे लाजिमी हैं। देश की जनता के पैसे हैं। सभी को अधिकार है हिसाब मांगने का। बेहतर होगा जिसपर भी आरोप लग रहे हैं, हिसाब जनता के सामने रख दे।
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जबरदस्त सर। मज़ा आ गया पढ़कर।