फिर विदेशी मालिकों की तलाश में हमारी सरकारें ✍️जितेंद्र शर्मा
नि:संदेह कोरोना वायरस ने हमारी अर्थ व्यवस्था की कमर तोड़ दी है। वक्त नव निर्माण का है। यह अच्छी बात है कि हमारी सरकारें इस दिशा में भी गंभीर हैं। देश और प्रदेशों की अर्थ व्यवस्था पटरी से न उतरे इसलिए समय-समय पर हमारे नायकों ने उदारता का परिचय भी दिया है। आरबीआई की ओर से कुछ ऐसे प्लान दिए गए हैं जो देश की अर्थ व्यवस्था के लिए संजीवनी से कम नहीं हैं। साथ ही अभी केंद्र और राज्य की हमारी सरकारों ने घोषणा की है कि जो भी विदेशी निवेशक हमारे देश और प्रदेश में आकर उद्योग लगाना चाहेंगे उन पर रियायतों की बौछारें की जाएंगी। यानी हमारी सरकारें संयोग से बने इस नव निर्माण के दौर में हमारे लिए मालिकों का आयात करने तक का निर्णय कर लिया है। यह निर्णय पैसा बनाने के लिए अच्छा भी है। क्योंकि हमारे यहां कच्चा माल, मजदूर, वैज्ञानिक, इंजीनियर आदि किसी चीज की कमी नहीं है। कमी है तो मालिकों की जिन्हें जरूरत पड़ने पर फायनेंस भी हमारे ही बैंक करेंगे। वैसे यह बात अलग है कि इन उद्योगों की स्थापना में कितना वक्त लगेगा, कितने लोगों को रोजगार मिलेगा, इनके टर्न ओवर का कितना हिस्सा मार्केट में आएगा? आदि आदि। फिर भी हमें यह मानकर चलना चाहिए कि हमारी ही चुनी हुई सरकारों ने सोचा है तो हमारे लिए अच्छा ही होगा और हमें इसका स्वागत करना ही चाहिए। क्योंकि यह हमारी परंपरा रही है जिसका इतिहास भी गवाह है। आगे पढ़ें... घरेलू हिंसा
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