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रुख्खड़ बाबा के दरबार में ‘बाबा खान’ की सेवा
खैरागढ़. संगीत नगरी में महाशिवरात्रि का त्योहार खास रहा। श्री रुख्खड़ स्वामी ट्रस्ट समिति के पांच दिवसीय आयोजन में मुस्लिम समाज ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बाबा के दरबार में समाज के युवा शिव भजनों पर जमकर थिरके। महाशिवरात्रि के दिन भोले की बारात निकली तो समाज के लोगों ने लिची के जूस से बारातियों का स्वागत किया। शनिवार को बाबा के आंगन में भंडारा लगा तो भक्तों को प्रसाद परोसने वालों में समाज के अनुयायी भी शामिल थे।
श्री रुख्खड़ स्वामी ट्रस्ट समिति का यह पहला आयोजन था। इसकी तैयारी तकरीबन एक महीने से चल रही थी। इस दौरान ही कार्यक्रम की रूपरेखा बन चुकी थी और मुस्लिम समाज की भागीदारी भी तभी से तय थी। मंदिर की साफ-सफाई से लेकर रंग-रोगन के काम में भी वे जुटे हुए थे। पांच दिवसीय आयोजन में पहले दिन नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। दूसरे दिन नगर के सेवाभावियों का सम्मान हुआ। इसमें मुस्लिम समाज के सेवाभावी व्यक्तित्व भी सम्मानित किए गए। तीसरे दिन जब बाबा के आंगन में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों ने शिव भजनों की झड़ी लगाई तो जहीन खान और शमसुल होदा खान (बाबा खान) के साथ अन्य भक्त थिरकते नजर आए। चौथे दिन महाशिवरात्रि पर सुबह से भक्तों का रेला लगा रहा। शाम को शिव बारात व रुख्खड़ बाबा की शोभायात्रा निकाली गई। इसमें आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। अस्पताल चौक, ठाकुरपारा, बरेठपारा, ईतवारी बाजार, बख्शी मार्ग, गोल बाजार, मस्जिद लाइन होते हुए, जब बारात नया बस स्टैंड पहुंची तो श्रद्धालुओं ने जोरदार स्वागत किया। बारात के स्वागत के लिए घरों में दीप जलाए गए। झांकियों को देखने के लिए भी भीड़ उमड़ी। पहले बाराती चल रहे थे। फिर पहली झांकी में देवियों के दर्शन हुए। दूसरी में भगवान भोलेनाथ अपने गणों के साथ विराजमान दिखाई दिए। आखरी वाहन में भगवान भोलनाथ, श्री रुख्खड़ बाबा विराजित थे। गुदुंब बाजा की थाप पर नाचते भक्तों का उत्साह देखते ही बना।
दुल्हन की तरह सजा था विरेश्वर महादेव मंदिर
विरेश्वर महादेव मंदिर को भी बारात स्वागत के लिए दुल्हन की तरह सजाया गया था। पूरे मंदिर को महाशिवरात्रि पर्व से पहले ही रंगरोगन कर सजाया गया था। जिसकी वजह से मंदिर परिसर विवाह मंडप की तरह ही नज़र आ रहा था। बुजुर्ग, महिलाएं, युवा भी शोभायात्रा का हिस्सा बने।
भंडारे में परोसा गया पारंपरिक मालपुए का प्रसाद
श्री रूख्खड़ मंदिर में महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भंडारे की व्यवस्था की गई, जिसमें पारंपरिक मालपुए का प्रसाद भोगराग के साथ बांटा गया। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में दिनभर बूंदी का प्रसाद वितरित किया गया, वहीं विरेश्वर महादेव में भी प्रसादी का वितरण दिनभर चलता रहा।
विवि के छात्रों के भजनों पर थिरके बाबा के भक्त
श्री रूख्खड़ महोत्सव के तीसरे दिन मंदिर परिसर में ही भजन संध्या का आयोजन किया गया, इंदिरा कला संगीत विवि के छात्रों ने बाबा के भजनों को एैसा शमां बांधा कि देर रात दस बजे तक कोई भी परिसर से नहीं हटा,भजनों पर लोग जमकर थिरके,महिलाऐं भी अंत तक बनी रहीं।
11 माह के महाभियान ने बनाया सकारात्मक माहोल
वैसे तो महाशिवरात्रि पर श्री रुख्खड़ महोत्सव को लेकर श्री रुख्खड़ स्वामी ट्रस्ट समिति के संयोजन में श्री सांई सेवा समिति, श्री राम सेवा समिति, बोल बम सेवा समिति, प्रगति क्लिनिक आदि ने अपनी-अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई, लेकिन संगीत नगरी को धर्ममय बनाया निर्मल त्रिवेण महाभियान ने। नदियों की सफाई से शुरु हुआ यह महाभियान का सफर 11 महीनों में इस मुकाम पर पहुंचा कि लोग सहर्ष जुटने लगे। इसी अभियान के सदस्यों ने ईदगाह परिसर की सफाई की। मंदिरों के रंग-रोगन का कार्य किया और पूरे माहोल को सकारात्मक बना दिया।