खैरागढ़ में आमनेर नदी पर पुल निर्माण के बाद अमलीपारा में बने अंधे मोड़ को अफसरों ने माना, लेकिन ड्राइंग डिजाइन में हुई गड़बड़ी नहीं स्वीकारी।
खैरागढ़. आमनेर पर बने 150 मीटर लंबे पुल को बने लगभग तीन साल हो चुके हैं। अब जाकर अंधे मोड की सुध ली जा रही है। अमलीपारा में दुर्ग की तरफ स्थित दो मकानों के हिस्से तोड़े जा रहे हैं ताकि वाहन चालकों को रोड दोनों ओर से आ रही गाड़ियां दिखाई दें। हालांकि काम अभी भी धीमा है।
यह भी पढ़ें: रूठों को मनाओ और टिकट के लिए अपनी खूबी बताओ, किसी की खामी नहीं: मधुसूदन
वैसे तो कलेक्टर ने जून 2020 में ही मुआवजे की रकम तय कर क्रय नीति के तहत भू-धारकों की सहमति से भूमि का हिस्सा खरीदने का आदेश जारी कर दिया था। इसी के तहत अनोपान पिता मंगलदान चारण की भूमि खसरा नंबर 410 नजूल भूखंड भूमि 234/1 और 234/2 रकबा 794 व 234 वर्गफीट और जियो कुंवर पति अनोपदान चारण की भूमि खसरा नंबर 410 नजूल भूखंड 233 का रकबा 450 वर्गफीट क्रय किया गया। इसके एवज में अनोपदान को 38 लाख 43 हजार 821 और जियो कुंवर को 6 लाख 13 हजार 166 रुपए मुआवजे के मिले।
इसी तरह मिलापा बाई पुत्री उमेंदीराम को खसरा नंबर 410 नजूल भूखंड 235 व 236 के 1340 एवं 400 वर्गफीट के एवज में 15 लाख 18 हजार 676 रुपए मुआवजा मिला है। दोनों ही मकानों के हिस्सों को तोड़ने का काम जारी है।
सेतु संभाग के सबइंजीनियर रंगारी ने बताया कि मकानों के निर्धारित हिस्से टूटने के बाद विजिबिलिटी क्लीयर हो जाएगी। इसके बाद दोनों साइड से आने-जाने वाले वाहन चालकों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
यह भी पढ़ें: रूठों को मनाओ और टिकट के लिए अपनी खूबी बताओ, किसी की खामी नहीं: मधुसूदन
डिजाइन बदलने वाले को अभी भी नहीं मिली सजा
लगभग तीन साल पहले भास्कर ने ही अंधे मोड़ का मुद्दा उठाया था। खबर के बाद वर्तमान विधायक देवव्रत सिंह ने भी आंदोलन छेड़ा। उन्होंने तो हाईकोर्ट तक जाने की बात कही थी। इसके बाद अफसरों ने अमलीपारा मं अंधा मोड़ है माना, लेकिन ड्राइंग डिजाइन में गड़बड़ी करने वाले को अब तक सजा नहीं मिली है।