खैरागढ़ के माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में बड़े गोलमाल का अंदेशा, CAF जवान की शिकायत के 15 दिन बाद भी प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई।
CAF के जवान ने जिस निजी अस्पताल पर पैसा उगाही का आरोप लगाया है, वह बड़ी-बड़ी बीमािरयों के इलाज का दावा करता है। इसके प्रचार के लिए गांव-गांव में पैम्फ्लैट भी बांटे गए हैं। वैसे तो अस्पताल में डॉक्टरों के नाम वाले तीन-चार कैबिन हैं, लेकिन मरीजों का इलाज एक आरएमए के भरोसे है।
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इस बात का खुलासा तब हुआ जब CAF घाघरा कैंप के आरक्षक मोतीलाल यादव की शिकायत मिलने के बाद माधव मेमोरियल हॉस्पिटल की पड़ताल की गई। हॉस्पिटल के रिसेप्शन के ठीक पीछे बने कैबिन में नाम तो एमबीबीएस डॉक्टर का लिखा है, लेकिन वहां मौजूद कर्मचािरयों ने इस संबंधित डॉक्टर को कभी हॉस्पिटल में नहीं देखा।
इन रोगों के इलाज का दावा, लेकिन विशेषज्ञों के नाम नहीं
हॉस्पिटल प्रबंधन ने गांव-गांव में जो पैम्फ्लैट बांटे हैं, उसमें हृदय राग, हड्डी रोग, शिशुरोग, स्त्री रोग, पेट रोग, चर्म रोग, आंख, नाक-कान-गला आदि रोगों के विशेषज्ञों की सुविधाएं उपलब्ध होने की बात की है, लेकिन हॉस्पिटल में इन विशेषज्ञों के नाम नहीं लिख हैं।

गांवों में फैला है एजेंटों का जाल
छुईखदान क्षेत्र के एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह अपनी पत्नी को लेकर आए हैं, उनके गांव के डॉक्टर यहां का पता दिया था। इसी तरह अमलीडीह, कांचरी, पांडादाह, कुम्ही आदि से भी महिलाएं आई थीं। बताया गया कि हॉस्पिटल में नसबंदी भी की जाती है।
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मांगने पर रसीद दी, जिसमें जीएसटी नंबर नहीं
हॉस्पिटल का मुआयना करने के बाद रिपोर्टर ने हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू से पेट का इलाज करवाया। रिसेप्शन में 120 रुपए जमा करने के बावजूद रसीद नहीं दी गई। मांगने पर रसीद भी दी, तो बिना जीएसटी नंबर वाली। हॉस्पिटल स्टॉफ का ऐसा रवैया CAF जवान के कथन की पुष्टि कर रहा है।
हॉस्पिटल तक पहुंचने का सुगम रास्ता नहीं
किल्लापारा में पेट्रोल पंप के पीछे स्थित हॉस्पिटल तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता नहीं है। रात को हास्पिटल के सामने लगे बल्व की रोशनी के सहारे उबड़-खाबड़ रास्ता पार करना पड़ता है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए यह स्थिति खतरनाक हो सकती है।
डीएचएमएस की डिग्री और एलोपैथी की दवाइयां
हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू डीएचएमएस हैं, लेकिन इलाज के दौरान वे प्रिस्क्रिप्शन में एलोपैथी की दवाइयां लिखते हैं। संभवत: इसी वजह से दवा लिखने के बाद हस्ताक्षर करने से बचते हैं। हॉस्पिटल की अनियमितताओं को लेकर सवाल करने पर उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे कमियां सुधार ली जाएंगी।
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