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गलती स्वीकार लेकिन कार्रवाई नहीं – जब अधिकारी खुद मान रहे हैं चूक, फिर चुप्पी क्यों?" Featured

 

खैरागढ़. केसीजी जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी केन्द्रों को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। ठेलकाडीह व पांडादाह सेक्टर में दर्ज संख्या से अधिक बच्चों को भोजन कराने के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जांच प्रतिवेदन में खुद स्वीकार किया गया है कि यदि अधिकारी अपने दायित्वों का ठीक से पालन करते, तो यह गड़बड़ी नहीं होती – फिर भी अब तक किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

 

जांच में हुआ खुलासा:

 

मां शारदा महिला स्व-सहायता समूह जुरला कला को जून 2023 में 25,298 रुपये की जगह 77,743 रुपये भुगतान कर दिया गया। देयक और लाभान्वित संख्या के मिलान में बड़ा अंतर सामने आया। सिंगारपुर आंगनबाड़ी केन्द्र में दर्ज 28 बच्चों के स्थान पर प्रतिदिन 56 बच्चों को भोजन कराने की फर्जी रिपोर्ट बना दी गई थी। इसी तरह, विचारपुर केन्द्र में 20 दर्ज बच्चों के स्थान पर 64 तक की औसत संख्या दर्शाकर भुगतान किया गया।

 

बिना गुणवत्ता जांच के हुआ भुगतान:

 

सिर्फ भोजन ही नहीं, साफ-सफाई सामग्री की आपूर्ति में भी भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। जंग लगे नेल कटर, चूहों द्वारा कुतरे हुए साबुन और खाली टॉयलेट क्लीनर के डिब्बे भेजे गए। डिटर्जेंट पाउडर में झाग तक नहीं निकल रहा। सामग्री की गुणवत्ता की कोई जांच किए बगैर ही एजेंसी को भुगतान कर दिया गया।

 

बिना निविदा, मनमानी रंगरोगन:

 

645 आंगनबाड़ी केन्द्रों में रंगरोगन व बिजली फिटिंग के नाम पर करीब 18 लाख रुपये खर्च किए गए। एक दीवार रंगने पर 3,000 रुपये तक का भुगतान दिखाया गया, वह भी बिना निविदा के। ठेकेदार ने सिर्फ सामने की दीवार रंगी, अंदर की तीन दीवारों को छोड़ दिया गया। रंग की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि पुरानी लिखाई भी नहीं छिप सकी।

 

जांच के बावजूद खामोशी क्यों?

 

जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट कहा गया कि यदि अधिकारी, पर्यवेक्षक व कंप्यूटर ऑपरेटर ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती, तो यह स्थिति नहीं बनती। बावजूद इसके, अब तक किसी भी अधिकारी के विरुद्ध निलंबन या प्राथमिकी जैसी कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई। वहीं सफाई सामग्री और रंगरोगन घोटाले की तो जांच ही शुरू नहीं हुई।

 

 

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Last modified on Wednesday, 25 June 2025 12:00

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