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मुख्यमंत्री लोकवाणी की 13वीं कड़ी में रू-ब-रू हुए प्रदेशवासियों से, जनता की भावनाओं, आकांक्षाओं, उम्मीदों के अनुरूप शासन और प्रशासन को बनाया संवेदनशील
रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज प्रसारित मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 13 वीं कड़ी में इस बार ‘छत्तीसगढ़ सरकार दो वर्ष का कार्यकाल‘ विषय पर प्रदेशवासियों से बात की। मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता में कहा कि आम जनता, किसानों, आदिवासियों और कमजोर तबकों का सशक्तिकरण छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल की प्रमुख विशेषता है। दो वर्षाें में जनता की भावनाओं, आकांक्षाओं, उम्मीदों को आत्मसात कर शासन और प्रशासन को समाधान के विषयों में संवेदनशील बनाने का राज्य सरकार ने प्रयास किया। छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देकर लोगों के मन में अपनी संस्कृति और अस्मिता को लेकर गौरव का भाव फिर से जगाया।
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श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी, धान खरीदी, सुराजी गांव, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी अनेक योजनाएं लागू की, जिनसे गांवों को निरंतर शक्ति मिल रही है। इसके साथ ही साथ राज्य सरकार की नीतियों का उद्योग और व्यापार जगत में भी सकारात्मक असर दिखा। पूरा देश कोरोना संकट काल में मंदी से प्रभावित था, जबकि छत्तीसगढ़ मंदी से अछूता रहा। मनरेगा, वनोपज खरीदी जैसी योजनाओं से बेरोजगारी की दर घटाकर दो प्रतिशत तक लाने का छत्तीसगढ़ में उदाहरण पेश किया। औद्योगिक इकाईयों में भी 1500 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला। कृषि और वानिकी उपजों में वेल्यू-एडीशन के राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए प्रयासों से प्रदेश की समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे।
परंपरागत पर्वाें, त्यौहारों का गौरव लौटा
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने लोकवाणी में कहा कि हमने ऐसे इंतजाम किए कि छत्तीसगढ़ के लोगों के मन में अपनी परंपराओं, अपनी धरोहर, अपनी संस्कृति और अपनी अस्मिता को लेकर जो गौरव का भाव सदियों से था और जो राज्य बनने के बाद कहीं कमजोर पड़ गया था। उसे किस तरह जल्दी से जल्दी वापस लाया जाए। मुख्यमंत्री ने इन श्रोताओं को जवाब देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान, एक लोक प्रदेश के रूप में है। हर अंचल की अपनी परंपराएं और संस्कृति हैं। छत्तीसगढ़ी व्यक्ति का मूल स्वभाव अपनी परंपराओं और संस्कृति के साथ जीने का है।
राज्य बनने के बाद यह उम्मीद थी कि प्रदेश का विकास अपनी सांस्कृतिक जड़ों से ही होगा। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हमने अपने परंपरागत पर्वों, त्यौहारों का गौरव लौटाया। लोकवाणी में जांजगीर-चांपा की तुलसी साहू ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि छत्तीसगढ़ के त्यौहारों तीजा-पोला और विश्व आदिवासी दिवस पर छुट्टियां देने का यह विचार कैसे आया। इसी तरह बिलासपुर की प्रतीक्षा तिवारी ने जानना चाहा कि जब पूरा देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है लेकिन इसका प्रभाव हमारे छत्तीसगढ़ पर नहीं पड़ा।
छत्तीसगढ़ की जनता ने विकासपरक नीतियों पर अटूट विश्वास प्रकट किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ भले ही अपने लोक रंगों में डूबता-उतराता रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ी चेतना, समन्वय और सद्भाव के साथ अन्याय के खिलाफ मुखर होने की रही है। 1857 के भी पहले अमर शहीद गैंदसिंह और उनके साथियों की चेतना ने आजादी का बिगुल फूंका था, जिसका विस्तार शहीद वीर नारायण सिंह तथा उनके बाद में भी पीढ़ी दर पीढ़ी होता रहा। मुझे खुशी है कि हम उस परंपरा के वाहक हैं, जिसने हमेशा न्याय की अलख जगाए रखा। हमारे पास गांधी, नेहरू, डॉ. अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के सपनों का बड़ा फलक है।
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इसलिए दो साल पहले, जब हमें सरकार की बागडोर मिली तो हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय की परंपरा को छत्तीसगढ़ में फिर से जीवित करने की थी, जिसकी लौ डेढ़ दशकों में कमजोर हो गई थी। मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने हमारी उदार, समन्वयकारी, सद्भावी और विकासपरक नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों और अभियानों पर अटूट विश्वास प्रकट किया और इन दो सालों को, न्याय की पुनसर््थापना और विस्तार का समय बनाने में हमारी मदद की।
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि मोटे तौर पर देखें तो आम जनता का सशक्तीकरण, किसानों, आदिवासियों और कमजोर तबकों को ताकत देना हमारे विकास मॉडल की मुख्य विशेषता है। आज छत्तीसगढ़ को नई आशाओं का गढ़, देश का नया विश्वास जैसी इबारतों से नवाजा जाता है, तो इसकी वजह भी प्रदेशवासियों की दृढ़ इच्छा शक्ति है, अतः मैं प्रदेशवासियों को बारम्बार नमन करता हूं।
दो वर्षाें में प्रदेश की औद्योगिक इकाईयों में हुआ 1500 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश
लोकवाणी में उद्योग और व्यापार जगत के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में उठाए गए कदमों, योजनाओं के असर के बारे में कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर परवानी, स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अनिल नचरानी, छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के श्री महेन्द्र मुकीम ने भी अपने विचार साझा करने के लिए संदेश रिकॉर्ड कराया था। इसी तरह तृतीय लिंग समुदाय की डॉक्टर विद्या राजपूत ने उद्योग नीति, तृतीय लिंग व्यक्तियों के लिए अनुकम्पा और खेल नीति में किए गए प्रावधानों का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इन लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि अमर परवानी जी, महेन्द्र मुकीम जी, अनिल नचरानी जी, विद्या राजपूत जी। आप लोगों के विचार सुनकर, मुझे बहुत अच्छा लगा, बल्कि मेरा विश्वास भी मजबूत हुआ है कि हम प्राथमिक क्षेत्र के साथ उद्योग, व्यापार जगत को भी सही दिशा में ले जाने में सफल हुए हैं। निश्चित तौर पर कृषि, वनोपज, परम्परागत रोजगार, हस्तशिल्प आदि पर आश्रित प्रदेशवासियों पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी और है। लेकिन हमने छत्तीसगढ़ को ठोस अर्थव्यवस्था का गढ़ बनाने में हर क्षेत्र की-हर संभव भागीदारी सुनिश्चित करने की नीति अपनाई है। हम उद्योग और व्यापार में लगे लोगों को भी पूरा सम्मान देते रहेंगे और व्यापक खुलेपन के वातावरण में काम करेंगे।
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विगत दो सालों में 887 औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, 15 हजार करोड़ रूपए का पूंजी निवेश और 15 हजार 400 लोगों को इन उद्योगों में रोजगार मिलना उत्साहजनक है। मनरेगा में 25 लाख से अधिक लोगों को हर रोज काम देने का उदाहरण है, बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत तक लाने का उदाहरण भी है। हम चाहेंगे कि हमारी नई औद्योगिक नीति से आदिवासी अंचलों में भी तेजी से उद्योग लगे और क्षेत्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त हो, वहीं रोजगार के नए-नए अवसर बने।
किसानों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, कमजोर वर्गाें को न्याय दिलाना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि किसानों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और कमजोर वर्ग के लोगों को न्याय दिलाना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। आज भी अगर कहीं से अन्याय की एक चिंगारी भी हमारे छत्तीसगढ़ का रूख करती है तो हम किसानों के साथ खड़े हो जाते हैं। विगत माह किसान हित में छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित होना और उसमें मण्डी कानून संशोधन विधेयक पारित होना छत्तीसगढ़ की इसी चेतना का परिणाम है। किसान भाइयों, मुझे जब आपसे या आपके परिवार के सदस्यों से यह पता चलता है कि हमारी योजनाओं का लाभ आप तक पहुंच रहा है तो मुझे वास्तव में बहुत खुशी होती है।
चाहे कर्ज माफी हो या समर्थन मूल्य पर धान का भुगतान हो, नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को बचाने की बात हो, सुराजी गांव योजना से हमारे गांवों को निरंतर मिल रही शक्ति की बात हो, राजीव गांधी किसान न्याय योजना हो, सस्ती या निःशुल्क बिजली देने का विषय हो, रोका-छेका की बात हो, हमने उन सारे पहलुओं पर ध्यान दिया है, जो तत्काल किसान और ग्रामीण हित में आवश्यक थे।
गोधन न्याय योजना में पशुपालकों को चार माह में मिली 60 करोड़ रूपए की राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना तो प्रतीक है कि किस तरह हमने सर्वहारा के हक में एक साहसिक कदम उठाया है। गोबर बेचकर भी अगर कहीं धन कमाया जा सकता है, तो वह आज सिर्फ छत्तीसगढ़ में हो रहा है। हर माह औसतन लगभग 15 करोड़ रूपए की सरकारी खरीद हो रही है, जिसके कारण 4 माह में लगभग 60 करोड़ रूपए पशुपालकों के जेब में गए हैं।
कृषि और वानिकी उपजों का वेल्यू-एडीशन से खुलेंगे समृद्धि के नए द्वार
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विकासखण्ड में फूडपार्क, धान से एथेनॉल बनाने, लाख पालन को कृषि का दर्जा, वनांचल उद्योगों को विशेष पैकेेज, लघु वनोपज की खरीदी 7 से बढ़ाकर 52 उपजों तक बढ़ाना जैसी दूरगामी प्रभाव वाली योजनाएं हैं। जिनका असर आगे चलकर दिखेगा। राज्य में कृषि और वानिकी उपजों का वेल्यू-एडीशन रोजगार, खुशहाली और समृद्धि के नये द्वार खोलेगा। श्री दिनकर साहू आपने अपनी बढ़ी आय और बचत से ट्रेक्टर खरीदने की खुशखबरी देकर तो मेरा दिल ही जीत लिया है।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा और स्वास्थ्य की नई योजनाओं की दी जानकारी
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लागू की गई राज्य सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना, बस्तर के एक स्थान से शुरू होकर पूरे प्रदेश में फैल गई। मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, डॉ. राधा बाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना और अब दाई-दीदी चलित चिकित्सालय योजना, ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे न सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाएं जरूरतमंदों के घरों तक पहुंचाई जा रही हैं बल्कि उनके माध्यम से स्वास्थ्य की चेतना भी घर-घर पहुंचाई जा रही है।
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हमर अस्पताल योजना के तहत सुबह 8 से रात 8 बजे तक ओपीडी खुले रखने के बारे में क्या कोई सोच सकता था, लेकिन अब यह छत्तीसगढ़ में हो रहा है। एक वर्ष में मलेरिया मुक्त बस्तर और कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ के लिए लागू की गई योजनाओं से मलेरिया में 65 प्रतिशत कमी और कुपोषण में लगभग 14 प्रतिशत की कमी आई। हमने यूनिवर्सल हेल्थ केयर का वादा किया था और दो वर्ष के भीतर हमने बीमा कंपनियों की जगह राज्य की पहल और अनुशासन से देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजनाएं डॉ. खूबचंद बघेल योजना तथा मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना संचालित करके, एक बड़ा सपना साकार किया है। जिसमें पात्रता अनुसार 50 हजार से 20 लाख रूपए तक का इलाज मरीजों को निःशुल्क मुहैया कराया जा रहा है।
बच्चों को सरकारी स्कूलों में ऊंची गुणवत्ता की शिक्षा दिलाने का इंतजाम
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब परिवारों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ऊंची गुणवत्ता की शिक्षा दिलाने का इंतजाम किया गया है। कोरोना के दौरान स्कूलों को बंद रखने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अभिनव योजनाएं लागू की गई। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने पढ़ाई तुंहर दुआर योजना के माध्यम से 40 लाख ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की गई और जहां ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कते थीं, वहां पारों-मोहल्लों-हाट-बाजारों में लाउडस्पीकर, ब्ल्यू-टूथ आदि का सहारा लेकर बच्चों को पढ़ाया।
आपके इस योगदान की और बच्चों की लगन की, जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। प्रदेश में 36 हजार से अधिक स्थानों पर, कहीं पेड़ की छांव में तो कहीं गली-चौबारों में पढ़ाई चल रही है। इंग्लिश मीडियम का हव्वा समाप्त हो जाए, इसके लिए हमने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना शुरू की। जिसके तहत एक वर्ष में 52 और अगले वर्ष के लिए भी 100 ऐसे सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है। सर्वसुविधायुक्त शालाओं के रूप में उन्नयन का काम भी चल रहा है।
लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करना हमारी सबसे जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करना हमारी सबसे जिम्मेदारी है। पत्रकार सुरक्षा कानून का प्रारूप बन चुका है। और हम कोशिश करेंगे कि इसे जल्दी से जल्दी विधानसभा में पेश कर पारित कराया जा सके। बस्तर के नक्सल हिंसा प्रभावित अंचलों विश्वास, सुरक्षा और विकास की रणनीति पर हमने काम करना शुरू किया था। यह मंत्र बस्तर सहित पूरे प्रदेश में सार्थक विकास का माध्यम बन गया है। श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में नागरिक सशक्तीकरण और सुरक्षा के नए-नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं।
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अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, महिलाएं, युवा यहां तक की कुपोषित बचपन को भी सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया गया है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 4000 रू. प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक, 52 लघु वनोपजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी, निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा और सामुदायिक पट्टों की नई पहल से न्याय का नया दौर शुरू हुआ। माता कौशल्या के मंदिर परिसर के विकास से जो अभियान शुरू किया था, वह कोरिया से सुकमा तक राम वन गमन परिपथ के विकास तक पहुंच गया है। सरोधा दादर से लेकर सतरेंगा तक पर्यटन विकास की नई आभा दिखाई पड़ रही है। वहीं राजस्व सुधार और सहूलियतों का नया दौर आम लोगों के जीवन में नई रोशनी बिखेर रहा है। एक रूपए किलो की दर पर 35 किलो चावल, बिजली बिल हाफ से लेकर खाद्यान और पोषण सुरक्षा के साथ जीवनयापन और आजीविका के नए साधनों से रोजगार के नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं।