×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

कोमल ने मंत्री को लिखा- रुक्खड़ स्वामी से गंडई के देउर मंदिर तक बन सकता है धार्मिक पर्यटन कॉरीडोर Featured

केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल और सांसद संतोष पांडे को लिखा पत्र, अब मिलकर करेंगे चर्चा।

खैरागढ़. तपस्वी संत रुक्खड़ स्वामी के सिद्धपीठ से गंडई के देउर मंदिर तक धार्मिक पर्यटन कॉरीडोर की संभावना को देखते हुए पूर्व विधायक व संसदीय सचिव कोमल जंघेल ने खैरागढ़ विकास के लिए केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल एवं सांसद संतोष पांडेय को पत्र लिखा है। उनसे व्यक्तिगत चर्चा भी की है। Khairagarh: नींबू-पान बेचने वाले का गोमास्ता एक्ट में काटा चालान, हंगामा मचा तब लौटाई राशि

उन्होंने पत्र में बताया है कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के छुईखदान तहसील में चकनार ग्राम में मां नर्मदा पूरा इलाके के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है। जहां पर एक प्राचीन नर्मदा मंदिर एवं कुंड स्थापित है। यहां पर प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा का मेला का आयोजन भी बहुत बड़े स्वरूप में होता है, जहां हजारों लोग दर्शन करने पूजा पाठ करने स्नान करने आते हैं। मेला तीन दिनों तक चलता है।

साथ ही यहां पर नर्मदा महोत्सव का भी आयोजन होता है, जिसमें छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम रात्रि में आयोजन होता, जिसमें प्रदेश के प्रसिद्ध लोक कलाकार सम्मलित होते हैं और अपने कला का प्रदर्शन करते हैं। मां नर्मदा मंदिर राजनांदगांव जिले में स्थित है, जो राजनादगांव से 66 किमी दूर राजनादगांव कवर्धा स्टेट हाइवे पर स्थित है। लूडो खेलते वक्त कर दी दोस्त की हत्या, पैसों के विवाद पर किया चाकू से वार

नर्मदा से राजनादगांव डोंगरगढ़ नागपुर चंद्रपुर महाराष्ट्र कान्हा किसली बालाघट शिवनी मंडला जबलपुर मध्यप्रदेश, भोरमदेव कवर्धा, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग-भिलाई के लिए सीधी मार्ग से जुड़ा हुआ है। नर्मदा मंदिर का पुरातात्विक महत्व है। नर्मदा का मंदिर लगभग तीन चार सौ साल पुराना प्रतीत होता है किन्तु यहां रखी प्रस्तर प्रतिमाएं कलचुरी कालीन 10वीं-11वीं ई. की हैं। इन मूर्तियों का शिल्प वैभव बड़ा सुंदर और कलात्मक है। इनमें प्रमुख  गणेश, वीरभद्र, देवी नर्मदा बैकुंठधाम आदि प्रमुख हैं।

अलंकृत नंदी की प्रतिमा, शिव लिंग व जलहरी भी यहां स्थापित है। नर्मदा मंदिर के शिखर पर जंघा भाग में मध्य कालीन कुछ मूर्तियां विद्यमान हैं। इनमें कच्छपावतार, मत्स्यवतार, नरसिंग अवतार का सुंदर अंकन है। अत: नर्मदा मंदिर का अपना पुरातात्विक महत्व है। इसी तरह से गंडई में देउर मंदिर का भी अपना ऐतिहासिक महत्व है। देश-विदेश के शोधार्थी यहां शोध के लिए पहुंचते हैं। भारत-चीन के बीच फिर तनाव: ब्लैक टॉप पर कब्जे के साथ ही सेना ने उखाड़ दिए चीनी कैमरे और सर्विलांस सिस्टम

मां नर्मदा का इतिहास खैरागढ़ के श्री रुक्खड़ स्वामी शक्तिपीठ से भी जुड़ा है। तपस्वी संत श्री रुक्खड़ बाबा के भी सन 1800 के आसपास यहां रहने के प्रमाण हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता रहता है। पीठ से ही लगा हुआ एशिया के पहले संगीत विश्वविद्यालय परिसर है। इस तरह खैरागढ़ से लेकर नर्मदा तक और उसके बाद गंडई तक एक पर्यटन कॉरिडोर का निर्माण किया जा सकता है।

जिससे रोजगार की असीम संभावनाओं का जन्म होगा और पर्यटन के लिए सैकड़ों लोगों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे।

इससे पहले मध्यप्रदेश के सिवनी में लखनादौन के पास वन क्षेत्र को श्री रुक्खड़ वन ग्राम के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध भी रुक्खड़ स्वामी मंदिर से होना ज्ञात हुआ है।

श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर के आसपास  अन्य ऐतिहासिक महत्व वाले धार्मिक स्थल भी हैं। माँ नर्मदा मन्दिर परिसर में शिव मंदिर, लोधेश्वर महादेव मंदिर, राम मंदिर, कबीर मंदिर, कृष्ण मंदिर, गुरुघसीदास मंदिर, बूढ़ादेव मंदिर, संतोषी मंदिर, देवी मंदिर ऐसे अनेक मंदिरों की स्थापना विभिन्न समाज व संस्था द्वारा किया गया है।

नर्मदा मंदिर व कुंड का जीर्णोद्धार, मेला स्थल का कांक्रीटीकरण, प्रवेश द्वार, नाली निर्माण, सामुदायिक भवन, मंच, विद्युतीकरण, प्रसाधन, सौदर्यीकरण सहित अनेक कार्य किया जाना है। इसके लिए एकमुश्त कार्ययोजना बनाकर विकास किए जाने की आवश्यकता है।

पूर्व विधायक कोमल जंघेल ने खैरागढ़ के श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर से नर्मदा मंदिर तक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने आवश्यक कार्यवाही करने का आग्रह किया है।

कोमल ने ही की थी नर्मदा महोत्सव की शुरुआत

कोमल जंघेल 2007 से 2013 तक विधायक रहते हुए माँ नर्मदा के विकास के लिए सतत प्रयास करते रहे उन्होंने ही पहली बार नर्मदा महोत्सव का शुरुआत किया, जिसे संस्कृति विभाग से इस कार्यक्रम को जोडऩे का काम किया और आज वह परम्परा  आज भी चल रहा है। Khairagarh: नींबू-पान बेचने वाले का गोमास्ता एक्ट में काटा चालान, हंगामा मचा तब लौटाई राशि

Rate this item
(1 Vote)
Last modified on Tuesday, 01 September 2020 19:04

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.