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पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा, उपाध्यक्ष सहित भाजपा पार्षदों ने सचिव से भी की थी शिकायत। अब सात दिनों में जांच कर रिपोर्ट देगी कमेटी।
खैरागढ़. जल आवर्धन योजना के तहत बिछाई जा रही पाइप लाइन में भ्रष्टाचार को लेकर पांच सदस्यी टीम गठित की गई है। इसमें एसडीएम निष्ठा पांडेय तिवारी, नायब तहसीलदार हुलेश्वर नाथ खूंटे, अनुविभागीय अधिकारी पीएचई, पीडब्ल्यूडी और उपकोषायलय अधिकारी शामिल हैं।
आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि नगर पालिका उपाध्यक्ष रामाधार रजक एवं अन्य सात पार्षदों ने गुणवत्ताहीन कार्य एवं भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकार-कर्मचारी व पदाभिहित जनप्रतिनिधि के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर शिकायत की थी। इसी की जांच के लिए उच्चाधिकारियों के आदेश पर खुद एसडीएम ने टीम बनाई है, जो सात दिन के भीतर जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। एसडीएम निष्ठा पांडेय तिवारी ने इस बात की पुष्टि की है। Corruption का कमाल-2: शिवमंदिर रोड व टिकरापारा को छोड़ मोंगरा में बनाया पुल, नक्शे से गायब हुआ नाला
जानिए जल आवर्धन में भ्रष्टाचार का पूरा मामला
तकरीबन 32 करोड़ की इस योजना में नगर पालिका उपाध्यक्ष रामाधार रजक व भाजपा पार्षदों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इस बात की शिकायत उन्होंने सचिव से की थी। वहीं कांग्रेस के सभापति मनराखन देवांगन सहित कांग्रेस पार्षदों ने भी गुणवत्ताहीन कार्य को लेकर सवाल खड़े किए थे। हालांकि नगर पालिका परिषद की बैठक में किसी ने भी ये मुद्दा नहीं उठाया।
बाद में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जल आवर्धन में हुए भ्रष्टाचार को लेकर ध्यानाकर्षण किया। इस पर मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने वही जवाब दिया, जो नगर पालिका के अफसर देते आ रहे थे। तब विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इस मामले में जांच की मांग की थी।
मैडम! इन बिंदुओं पर होगी जांच तो खुलेगा राज
0 एस्टीमेट में पाइप लाइन बिछाने से पहले रेत-मुरुम डालने का प्रावधान है, लेकिन डाला नहीं गया है। खुद पार्षद इसके गवाह हैं।
0 नगर को जोन में बांटकर एमबी रिकॉर्ड किया गया है, जिसमें रेत-मुरुम डालने का जिक्र है, लेकिन स्थानों का उल्लेख नहीं।
0 छोटे-छोटे कार्यों के लिए पार्षदों से संतुष्टि प्रमाणपत्र लिया जाता है, लेकिन 32 करोड़ के काम को लेकर व्याप्त असंतोष को शांत करने पर्याप्त प्रमाण नहीं दिए गए।
0 सबसे अहम बात ये कि जल शोधन संयंत्र के लिए चयनित स्थान विवादों में है, इसे लेकर किसी तरह का पत्र व्यवहार नहीं किया गया है।
0 जल शोधन संयंत्र का विवाद सुलझाने से पहले पाइप लाइन बिछाने की जल्दबाजी के पीछे कमीशनखोरी की सुगबुगाहट है।