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आईएचएसडीपी योजना का सच: 2005-06 की बाढ़ के बाद पिपरिया में बनाए गए 492 मकान कंडहर में तब्दील, न पहुंच मार्ग बना और न ही खंभों में लाइटें लगीं, रह रहे केवल 13 परिवार।
खैरागढ़. तकरीबन 15 साल पहले आई बाढ़ ने खैरागढ़ में तबाही मचा दी थी। इसके बाद शासन सक्रिय हुआ। करोड़ों की योजनाएं बनाई गईं, लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी योजना सफल नहीं हुई। आईएचएसडीपी योजना इसमें से एक है, जिसके तहत साढ़े सात करोड़ रुपए खर्च कर 492 मकान बनाए गए। काश ! पानी को भी नक्शा दिखा देते साहब...
आवासहीन और कब्जा कर बसे हितग्राहियों को मकान आवंटित कर शपथ पत्र लिए गए, लेकिन उन्हें व्यवस्थापित नहीं कर पाए। शुक्रवार को बाढ़ का पानी बस स्टैंड के पीछे बसी बस्ती में भरा तो एक बार फिर अफरा-तफरी मची। उन्हें स्कूलों में शिफ्ट किया गया। नगर पालिका की लापरवाही के चलते समय रहते सुविधाएं नहीं मिली। इसलिए लोग शिफ्ट नहीं हुए।
Posted by Bhagwat Sharan Singh on Sunday, August 23, 2020
यहां भी वही पुराना किस्सा कमीशनखोरी का
पिपरिया में बने इन मकानों का निर्माण तीन ठेकेदारों ने मिलकर किया। काम अधूरा हुआ लेकिन कमीशन के चक्कर में भुगतान पूरा कर दिया गया। अब वहां कई मकानों के दरवाजे टूट चुके हैं। खिड़कियों का कोई ठौर नहीं। सडक़ का टेंडर हुआ, लेकिन वर्क ऑर्डर नहीं होने से काम ही शुरू नहीं हो पाया।
अब झांकने तक नहीं जाते पालिका के अफसर
वहां रह रहे 13 परिवार के लोगों का कहना है कि रास्ते में अंधेरा रहता है। आने-जाने में तकलीफ होती है। असुविधा के चलते यहां कोई आना नहीं चाहता और नगर पालिका के अफसर झांकने तक नहीं आते। विधायक ने कहा था- 'बाढ़ नहीं रोक पाएगा बैराज', सच साबित हुआ, जानिए कैसे?