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15 साल पहले आई बाढ़ में इसी नाले के उफान के चलते डूबी थी पूरी बस्ती
खैरागढ़. राजस्व विभाग को जैन मंदिर वाला नाला भले ही दिखाई न दे, लेकिन नगर पालिका खतरा भांप चुकी थी। इसीलिए 'रागनीति' की खबरों पर गौर किया और एक दिन पहले गुरुवार (27 अगस्त) को नाले पर बनी दीवार तोड़ी। जेसीबी लगाकर गड्ढा किया। इसके चलते टिकरापारा डूबने से बच गया।
नाला खुलने से पहले 20 मिनट के बारिश में जैन मंदिर के सामने पानी भर जाता था, लेकिन गुरुवार को छिंदारी उलट चलने और प्रधानपाठ बैराज का पानी भरने के बाद पहले इतवारी बाजार में पानी भरा। इसके बाद जैन मंदिर के बाजू से लगे टिकरापारा के घरों में पानी घुसा।विश्वविद्यालय परिसर में स्थित नाले की चौड़ाई अधिक होने और जैन मंदिर की तरफ कम होने से यह स्थिति निर्मित हुई।
अभी भी दबा हुआ है बड़ा हिस्सा
जो नाला नगर पालिका ने खोदकर निकाला, उसका निर्माण किसने किया है इसे लेकर संशय है। व्यवसायी नरेंद्र बोथरा का कहना है कि 200 मीटर नाले का निर्माण उन्होंने खुद कराया है। इसके आगे नदी तक पूरा उन्हीं का खेत है। जाहिर है इसी खेत में नदी तक का नाला दबा हुआ है। पालिका को लेना पड़ेगा पंगा
पानी घुसा तो दिव्यांग को लेने पहुंची एम्बुलेंस
जैन मंदिर के बाजू से सटे परस राजपूत के घर में पानी घुसा तो उनके 37 साल के दिव्यांग बेटे आशीष को लेने एम्बुलेंस पहुंची। पालिका के कर्मचारियों की मदद से उसे पॉलिटेक्निक कॉलेज पहुंचाया गया, जहां प्रशासन ने पीड़ितों के ठहरने की व्यवस्था कर रखी है।
वीडियो में दिखिए कैसे निकाला गया दिव्यांग को
बस्ती की परवाह किए बिना पाटी जमीन
टिकरापारा के घरों में पानी घुसने का दूसरा बड़ा कारण वह जमीन है, जिसकी ऊंचाई बढ़ाई गई। टिकरापारा वासियों का कहना है कि यह जमीन रायपुर निवासी किसी व्यापारी की है। जब मिट्टी पाटी जा रही थी तब भी विरोध किया गया था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। पालिका को लेना पड़ेगा पंगा
इसलिए जेसीबी से कटवाई गई मिट्टी: शेष
इस बारे में पार्षद शेष यादव का कहना है कि सात साल पहले वहां मिट्टी पटवाकर जमीन के मालिक ने ऊंचाई बढ़ाई थी। मैंने ही जेसीबी लगवाकर मिट्टी कटवाई और पानी के लिए रास्ता बनवाया था। फिर भी फर्क नहीं पड़ा। नाला खुलने के बाद जो पानी भर रहा है, उसकी वजह यही है।