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Khairagarh: कमीशन (commission) + करप्शन (corruption) = 'कोरोना (corona)'✍️प्राकृत शरण सिंह

पाइथागोरस प्रमेय तो हर किसी को याद ही होगा? यूनान के गणितज्ञ थे, पाइथागोरस। उन्हें ही इस प्रमेय की खोज का श्रेय दिया जाता है। इस प्रमेय को समझने के लिए जिस एकाग्रता की जरूरत है, उसी धैर्य के साथ पढ़ेंगे तो ऊपर लिखा गया पूरा समीकरण समझ में आ जाएगा।

यहां कोरोना को बतौर संक्रमण ही लें। इसी तरह कमीशन और करप्शन को व्यवस्था का हिस्सा मानें। अब इसी समीकरण पर राजस्व व नगर पालिका की हालही की हरकतों का मान रखें। इसे बिंदुवार समझेंगे तो पूरा गणित पानी की तरह सरल हो जाएगा।

नक्शे में नहीं नाला

जैन मंदिर वाला नाला राजस्व के नक्शे में नहीं है मगर मौके पर है, ये राजस्व के अफसर जान रहे। इसके बावजूद नहीं मान रहे। मान लिया तो 'आका' की बात काटनी पड़ेगी। नियम विरुद्ध निर्माण के खिलाफ कलम चलानी पड़ेगी। पंगा कौन ले? इसलिए कागज का बहाना ही बेहतर है। 'मैडम' भी समझदार हैं, सुर मिलाकर तनाव से बचने का रास्ता ढूंढ लिया है।

पालिका को लेना पड़ेगा पंगा

राजस्व के अफसरों का बहाना पालिका में बिल्कुल नहीं चलेगा। वैसे भी यहां के अफसर मौसम के हालात समझ रहे हैं। काबिल इंजीनियर अच्छे से जान चुकी हैं। 'मैडम' को भी भविष्य दिखा दी होंगी। तभी तो दीवार तोड़कर नाले का मुंह खोला गया है। अब जब नाला मान ही लिया है तो कब्जे पर भी कार्रवाई करनी होगी। यह भी देखना पड़ेगा कि नियम विरुद्ध निर्माण की परमिशन किसने दी?

कोरोना काल में खाई खीर

संक्रमण काल में संस्थाओं ने मुफ़लिसों की भूख मिटाने दाल-भात खिलाया। घर-घर राशन बांटे। कमाने का ऐसा सुनहरा मौका मिला, हाथ से कैसे जाने देते। चार लोगों ने मिलकर खिचड़ी पकाई। फिर महंगे राशन की खीर मिल बांटकर खाई। एक 'होनहार' की आंखें परिषद में खुलीं जरूर, वह भी लेकिन ज्यादा देर तक जागा नहीं रह सका। अब सारी बातें ऑफ द रिकॉर्ड हो गई हैं। देखो भैया! इसे छापना मत!

प्रमोशन की 'लख-लख' बधाइयां

समीकरण को समझने के लिए पीआईसी की प्राथमिकता समझनी होगी। सारे सदस्य संवेदनशील निकले, मामला ही कुछ ऐसा था। इसलिए कोरोना टेस्ट से पहले कर्मचारी हित के विषय निपटाकर हाथ की खुजली मिटाई गई। इसके बाद कोरोना की जांच कराने पहुंचे।

 

'चार' ने बड़ी ही चतुराई से एक 'चतुर-चालक' को छलने का प्रयास किया, लेकिन वह तो झांसे में आने से रहे! दूरी बना ली। इसलिए उन्हें असंवेदनशील घोषित करने की कोशिश की गई ताकि राजनीतिक चोले की चमक बढ़ाई जा सके। फिर भी दाग नज़र आ ही गया। 'दवा' का पता चला, जिसने हाथों की खुजली मिटाई। हिसाब रखने वाले ने ही गलती से सारे राज खोल दिए।

कोरोना की दवा आएगी, ये निश्चित है। और हाथ की खुजली मिटाने वाली इस दवा से सस्ती होगी इसकी गारंटी भी!

फिलहाल दवा बनाने वाले 'डॉक्टरों' को प्रमोशन की 'लख-लख' बधाइयां!!!!!

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Last modified on Friday, 28 August 2020 12:49

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