रायपुर/भिलाई. कोरोना लॉकडाउन के बीच खुली सरकारी शराब दुकानों ने कानून का मजाक बना दिया। दुकानों के खुलते ही उमड़ी भीड़ ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाईं। धारा-144 लागू होने के बावजूद पुलिस के सामने हजारों लोग एक ही जगह पर इकट्ठा हुए, लेकिन एक भी मामला नहीं बना। इस पर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि लोग अगर एक-एक कर इकट्ठे हुए हैं तो यह कानून का उल्लंघन नहीं।
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इससे पहले राज्य सरकार ने केंद्र की एडवाइजरी का हवाला देते हुए सोमवार (4 मई) को छत्तीसगढ़ की सभी शराब दुकानें खोल दी गईं। सुबह दुकानें खुलते ही भीड़ उमड़ी। रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव आदि जिलों की तस्वीरें बता रही हैं कि सुबह दुकानें खुलते ही एक-एक करके हजारों की तादाद में लोग एक ही जगह इकट्ठा हुए। शराब खरीदते से पहले और बाद में एक जगह खड़े होकर चर्चा भी करते रहे। इस बीच सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ीं।
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खाली रहे सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बनाए गए गोले
इस बीच विभिन्न दुकानों के सामने लंबी कतार लगी रही। कुछ देर तक लोग दो मीटर दूर रहे। जैसे-जैसे वक्त गुजरा नजदिकियां बढ़ती गईं और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बनाए गए गोले खाली रह गए। दोपहर 12 से एक बजे तक मौके पर तैनात जवानों ने भी सारी व्यवस्था भीड़ पर ही छोड़ दी। इसके बाद कई जगह लोग सीधे दुकानों के पास इकट्ठा हो गए।
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ऐसे में बढ़ सकता है कोरोना का खतरा
कोरोना संक्रमण काल में तकरीबन 40 दिन लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रदेशों हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर छत्तीसगढ़ लौटे हैं। ऐसे समय में राज्य की 650 शराब दुकानों में उमड़ने वाली भीड़ कोरोना संक्रमण का बड़ा माध्यम बन सकती है। इससे खतरा बढ़ेगा।
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एसएसपी यादव कह रहे नहीं हुआ उल्लंघन
बता दें कि प्रदेश में 17 मई रात 12 बजे तक धारा-144 लागू है। इस दौरान पांच या पांच से अधिक लोग एक ही जगह पर इकट्ठा नहीं हो सकते। इसके बावजूद सरकारी शराब दुकानों के सामने हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी। इस बारे में दुर्ग एसएसपी अजय यादव का कहना है कि यदि लोग एक साथ न आकर एक-एक करके आते हैं तो यह धारा 144 का उल्लंघन नहीं है।
ये तो सरासर उल्लंघन है, अपराध कायम होना चाहिए
राजनांदगांव के वरिष्ठ अधिवक्ता एचबी गाजी का कहना है कि धारा 144 का मतलब है कि एक स्थान पर पांच या पांच से अधिक व्यक्ति एक स्थान पर उपस्थित नहीं रह सकते। चाहे वह एक-एक करके इकट्ठा हुए हों या एक साथ। यह कानून का उल्लंघन है और धारा 188 के अंतर्गत अपराध भी है।
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