×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

Gaganyaan: 4000 किमी दूर किन चुनौतियों से जूझ रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री, जानिए... Featured

रूस में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री। रूस में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री। सभी तस्वीरें साभार रसिया टुडे

देखिए तो देश से तकरीबन 4000 किमी दूर रूस के गैगरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेिनंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इस गाेपनीय ट्रेनिंग के दौरान किन चुनौतियों से गुजरना पड़ रहा है


gaganyan training

मास्‍को. भारतीय वायुसेना के 4 जांबाज पायलट रूस में बहुत ही कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं ताकि देश की प्रतिष्‍ठा से जुड़ा महत्‍वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान' को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकें। रूस के गैगरिन रिसर्च एंड टेस्‍ट कॉस्‍मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में इनकी गोपनीय ट्रेनिंग चल रही है, जहां वे जोखिम उठा रहे हैं। जानिए 4000 किमी दूर वे कैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं…

12 महीने में ही बनाना है लायक तो

gaganyan training

भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को 12 महीने में ही इस मिशन के लायक बनाना है। रूसी टीवी चैनल रसिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च सेंटर में उन्हें बड़े ही गोपनीय तरीके से ट्रेनिंग दी ा रही है। ऐसे प्रशिक्षण में लगभग पांच साल लगते हैं, लेकिन भारतीय यात्रियों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया गया है। इसके जरिए उन्हें वे 12 महीने में ही ट्रेंड हो जाएंगे। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री रहे राकेश शर्मा ने भी यहीं ट्रेनिंग ली थी।

 

यात्रियों की जरूरत के मुताबिक चल रही ट्रेनिंग

gaganyan training

मास्को के ठीक बाहर स्टार सिटी में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा करने वाले गैगारिन की प्रतिमा लगी हुई है, जहां ये ट्रेनिंग चल रही। सेंटर के प्रमुख पावेल व्लेसोव का कहना है कि यह कार्यक्रम विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम को भारत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। भारतीय अधिकारियों ने भी इसमें साथ दिया है। इसमें उनकी शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। साथ ही उन्नत इंजीनियरिंग भी कराई जा रही है।

अंग्रेजी बोलने वाले सीख रहे रूसी भाषा भी

gaganyan training

चूंिक पूरी ट्रेनिंग रूसी में है, तो अंग्रेी बोलने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूसी भाषा भी सीखनी पड़ रही है। व्‍लेसोव ने कहा कि सोयूज अंतरिक्ष यान के अंदर सभी दस्‍तावेज और निर्देश रूसी भाषा में ही हैं। रूसी प्रशिक्षक भारतीयों को रूसी सिखाने के लिए कड़ी मशक्‍कत कर रहे हैं ताकि 12 महीने के तय समय में प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा िकया जा सके। वैसे तो सभी प्रशिक्षक अंग्रेजी भी अच्‍छे से बोल लेते हैं। लेकिन रूस के नियमानुसार प्रशिक्षण रूसी में ही दिया जाना है। इसलिए भारतीय यात्रियों को रूसी सीखनी पड़ रही है।

एक तो जंगल, ऊपर से भीषण ठंड में रह रहे यात्री

gaganyan training

ट्रेनिंग में विभिन्न परिस्तियों में जिंदा रहने के तरीके सिखाए जा रहे हैँ। इसके तहत उन्हें बताया जा रहा है कि अंतरिक्ष से लौटने पर यदि कुछ गड़बड़ी हो तो क्या करें? इसलिए उन्हें मास्को के जंगल और दलदल के बीच ले जाया गया है, खुखार जंगली जानवर भी हैं। पहले क्लास रूम में समझाइश के बाद उन्हें दो दलों में तीन दिन और दो रातों के लिए जिंदा रहने की वास्तविक ट्रेनिंग दी जाएगी। इस दौरान डॉक्टरों की एक टीम उनकी लगातार निगरानी करेगी। इस दौरान वे बर्फ से भरे जंगल में रहकर खुद को बचाने की कोशिश करेंगे। इस ट्रेनिंग के बाद उन्हें सात दिनों की छुट्‌टी भी मिलेगी ताकि वे पूरी तरह स्वस्थ हो सकें।

सबसे बड़ी चुनौती बना रूसी खाना

gaganyan training

ट्रेनिंग के दौरान भाषा ही नहीं रूसी खानपान भी भारतीय यात्रियों के लिए बड़ी चुनौती है। क्यों रूस का खाना भारत से काफी अलग है। हालांकि मेहमान नवाजी में रूस ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। वहां के कुक अतिथियों की पसंद-नापसंद का पूरा ख्याल रख रहे हैं। शाकाहारी खाना बनाने की भी पूरी कोशिश हो रही है। धार्मिक भावनाओं को देखते हुए भोजन से बीफ हटा दिया गया है।

ट्रेनिंग के दौरान समुद्र में भी रहेंगे यात्री

gaganyan training

बर्फीले माहोल से निकलकर सभी यात्री पहाड़ी दर्रों और समुद्र के भीतर भी रहेंगे। व्‍लेसोव को पूरा विश्‍वास है कि भारतीय अंतरिक्षयात्री इन चुनौतियों से जूझते हुए आगे बढ़ जाएंगे और सफलता हासिल करेंगे। उनका कहना है कि पायलट होने की वजह से इन अंतरिक्षयात्रियों का प्रशिक्षण आसान है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इस मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए 2022 के शुरुआती महीने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भारत रूस की मदद से इस मिशन को पूरा करने पर काम कर रहा है।

गनयान के लिए केंद्र सरकार ने दिए 10,000 करोड़

gaganyan training

महत्वाकांक्षी गगनयान प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए दिए हैं। इस मिशन के तहत तीन सदस्यीय क्रू कम से कम 7 दिन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएगा। इसके बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जिसने अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजा हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये घोषणा कि थी कि 2022 तक यह मिशन पूरा होगा। इसके बाद इसरो चीफ के सिवन भी कह चुके हैं कि 2022 तक गगनयान भेजा जा सकेगा। इससे पहले 2020 और 2021 में दो मानवरहित मिशन भेजा जाएगा।

 

Rate this item
(0 votes)
Last modified on Wednesday, 19 February 2020 07:12

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.