खैरागढ़ के राजस्व अमले की गलती का खामियाजा भुगत रहा भू-स्वामी, अब कलेक्टोरेट से चौहद्दी सुधरवाने भटका रहा है विभाग।
खैरागढ़. अमलीडीहखुर्द के भू-नक्शे को हड़बड़ी में सुधारने की कोशिश बड़ी गड़बड़ी का सबब बन गई, जिसे त्रुटि का नाम दे दिया गया। इधर सुविमल श्रीवास्तव की गुम हुई 5 डिसमिल जमीन को लेकर उन्हें ही चौहद्दी सुधरवाने कहा जा रहा है, जबकि गलती विभाग की है।
खैरागढ़ बायपास में हुए गोलमाल की सर्जरी से नित नई परतें खुल रही हैं। आपको बता दें कि 5 डिसमिल जमीन का जो टुकड़ा मौके पर नहीं मिल रहा है, उसे सुविमल ने अपने पिता गजानंद लाल श्रीवास्तव की मंशानुरूप साल 2002 में खसरा नंबर 105/4 में से ही 2000 वर्गफीट भूमि समाज को दान में देने की बात कही थी। वहां श्री चित्रगुप्त मंदिर बनना तय हुआ था।
सुविमल ने इसी टुकड़े को छोड़कर 40 डिसमिल जमीन अनिल जैन को बेची थी। हालांकि संगठन पंजीबद्ध नहीं होने के कारण दान की गई जमीन का पंजीयन नहीं हो पाया और वह जमीन वैसे ही पड़ी रही। संभवत: इसी वजह से इस टुकड़े को लेकर राजस्व अमले ने हेराफेरी की।
चौहद्दी में हेरफेर कर की गई गड़बड़ी
अनिल जैन को जमीन बेचते समय सुविमल द्वारा उल्लेखित चौहद्दी (चतुरसीमा) के अनुसार उत्तर में गेंददास, दक्षिण में बैनलाल, पूर्व में विक्रेता (सुविमल श्रीवास्तव) की बचत भूमि और पश्चिम में लांजी मार्ग का जिक्र था। इसी चौहद्दी के अनुसार जमीन की रजिस्ट्री की गई।
इसके बाद इसी चौहद्दी में हेरफेर कर पूर्व में खसरा नंबर 39/1 और पश्चिम में खसरा नंबर 101 जोड़कर गुमराह किया गया। खुद सुविमल ने कलेक्टर को भेजी शिकायत में इसका जिक्र किया है। उनका कहना है कि साल 2001 में बसंती पति पारसचंद जैन से उन्होंने 45 डिसमिल धनहा भूमि खरीदी थी। तब खसरा नंबर 105/3 था। इसके पूर्व में सूरज कुमार की डोली, पश्चिम में खैरागढ़ पांडादाह मार्ग, उत्तर में गेंददास की भूमि और दक्षिण में बैनलाल की धनहा डोली का जिक्र था। उनका कहना है कि जब उन्होंने चौहद्दी में खसरा नंबर के आधार पर जमीन खरीदी ही नहीं थी, तो बेचेंगे कैसे?
चौहद्दी में खेल कर लिखा पक्के रास्ते से लगा टुकड़ा
मुआवजा प्रकरण की सूची में नाम नहीं आने पर सुविमल श्रीवास्तव ने एसडीएम को आवेदन किया, तब उन्हें बिक्री पत्र की काफी लाने कहा गया। स्थानीय पंजीयन कार्यालय से उन्हें यह कापी नहीं दी गई, तो उन्होंने जिला पंजीयन कार्यालय से प्राप्त की। यहां से प्राप्त प्रति से गड़बड़ी उजागर हुई, जिसमें खसरा नंबर 105/4 को पक्के रास्ते से लगा हुआ टुकड़ा बताया गया है, जिसे बिक्री पत्र में लाइन से हटकर बायीं तरफ अलग से जोड़ा गया है।
सुविमल और अनिल के बिक्री पत्रक में हुआ हेरफेर लाल घेरे में।
शासन को लगाया करोड़ों का चूना
नक्शा, चतुरसीमा और बटांकन की स्थिति में भिन्नता को देखकर ऐसा लग रहा है कि शासन द्वारा निर्धारित पैमाने के अनुसार रकबा कम कर वर्ग फीट के हिसाब से मुआवजे का निर्धारण करने के लिए सारा खेल खेला गया है। इसी वजह से दस्तावेजों में हेराफेरी और कूट-रचना कर उच्चाधिकारियों को गुमराह कर शासन को करोड़ों का चूना लगाया गया है। सुविमल ने भी अपनी शिकायत में यह बात कही है।
इस पूरे मामले को लेकर तहसीलदार प्रीतम कुमार साहू का कहना है कि फिलहाल मैं नया हूं और इस प्रकरण को देखा नहीं हूं। पहले पटवारियों से इसके बारे में जानकारी लेता हूं, उसके बाद ही कुछ कह पाने में सक्षम होउंगा।