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गुरुवार 30 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बीच वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए बातचीत हुई। ये चर्चा 30 मिनट तक चली, कोरोना वायरस से जुड़ी, इकोनामी से जुड़ी देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। इस बातचीत में रघुराम राजन ने कहा "कि लॉक डाउन के दौरान मजदूरों की मदद में सरकार के 65000 करोड रुपए खर्च हो सकते हैं।"
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दोनों के बीच हुई बातचीत कल दिनभर चर्चा में रही आइए जानते हैं किन किन मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रवासी/ दिहाड़ी मजदूरों और किसानों को लेकर :
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने महत्वपूर्ण बात करते हुए प्रवासी मजदूरों और किसानों के हित की बातें की। बातचीत में गरीबों तक सीधे लाभ पहुंचाने की बात की गई, जैसा कि देश की स्थिति देखते हुए मजदूरों के पास किसानों के पास गरीबों के पास फिलहाल कोई काम नहीं है, जिससे आमदनी हो सके।
इसलिए हमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसी चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जब तक चीजें सामान्य नहीं हो जाती, हमें उनकी मदद करनी होगी। खाना और पैसा इन सब के लिए 65000 करोड रुपए खर्च हो सकते हैं। रघुराम राजन ने कहा कि हमारी इकोनामी 200 लाख करोड़ रुपए की है और हम यह कर सकते हैं यह ज्यादा नहीं है, बात गरीबों को बचाने की है तो हम यह बिल्कुल कर सकते हैं।
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कोरोना वायरस संक्रमण की जांच को लेकर :
कोरोना टेस्टिंग को लेकर बातचीत कहा गया कि हमें मास टेस्टिंग करनी होगी। भारत हर दिन 25 से 30,000 टेस्ट कर रहे हैं पर यह बहुत कम हैं, हमें इसकी संख्या बढ़ानी होगी अगर इकोनामी खोलना चाहते हैं तो कोई भी हजार- हजार के सैंपल लेने होंगे और बहुत संभलकर चतुराई से काम करना होगा।
अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की बात :
- इसे क्रमबद्ध तरीके से करना होगा। सबसे पहले उन क्षेत्रों में काम करना होगा जहां सोशल डिस्टेंसिंग के तहत काम किया जा सके। उन जगहों पर मार्केट, दफ्तर आदि खोलने चाहिए।
- यात्रा सुविधाओं को लेकर काम करने की जरूरत है खासकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लेकर हमें उन आम लोगों की रोजी-रोटी के बारे में सोचना होगा। हमें अर्थव्यवस्था को फिर से खोलना होगा हमारे पास दूसरे देशों के मुकाबले उतनी अच्छी व्यवस्था नहीं है।
कोरोना संकट से उबरने के बाद भारत को फायदा हो सकता है?
बातचीत में कहा गया कि सामान्य तौर पर इस तरह की घटना और महामारी से गुजरने के बाद देश को नुकसान ही होता है। भारत ऐसे मौके की तलाश कर सकता है जिसके जरिए अपनी उद्योगों को दुनिया तक पहुंचा सके।
बताते चलें कि रघुराम राजन वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में प्रोफेसर हैं। मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013 में आरबीआई के गवर्नर नियुक्त किए गए थे। हालांकि रघुराम राजन वर्तमान सरकार की नीतियों की आलोचना भी की है।
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