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तारन प्रकाश सिन्हा, आइएएस
देश में कोविड-19 से प्रभावित होने वालों का आंकड़ा 886 हो गया है. इनमें से 66 लोगों का इलाज चल रहा है और 19 लोगों को हमने हमेशा के लिए खो दिया है यानि कि उनकी मृत्यु हो गई है. छत्तीसगढ़ में भी आंकड़े उतने भयानक नही हैं लेकिन चिंताजनक और सावधान करने वाले जरूर हैं. राज्य में कुल 06 मरीज ही कोरोना पाजिटिव हैं इसलिए उनका इलाज एम्स में जारी है. ईश्वर करे कि उनके साथ कोई अनहोनी ना हो.
हालात वाकई बहुत चिंताजनक हैं, लेकिन राहत की बात है कि अब नियंत्रण में हैं. खासकर छत्तीसगढ़ में जहां लोग लॉकडाउन' को गंभीरता से पालन कर रहे हैं, बस कुछ लापरवाह लोगों को छोड़कर. भारत इस महामारी से जिस कुशलता के साथ निपट रहा है, उसकी दुनियाभर में तारीफ हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमारे प्रयासों की सराहना तो की है, इस महामारी की सबसे बड़ी चुनौती झेल चुके चीन ने भी तारीफ की है. कोविड-19 के जन्म से लेकर इस पर नकेल कसने तक चीन के पास लंबा अनुभव है और वह कह रहा है कि भारत समय से पहले ही इस पर विजय पा लेगा.
कोरोना के क्रूर-आतंक से पूरा विश्व सकते में है. अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के हौसले पस्त हैं. वीवीआईपी तक कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. आज की खबर है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. इसके पहले प्रिंस चार्ल्स भी चपेट में आ गए थे. जबकि ये वे लोग हैं जो सबसे ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं. फिर भी कोरोना से नहीं बच सके. इस भयंकर महामारी से निपटने के लिए भारत का मनोबल देखते ही बनता है. इसी मनोबल के बूते इस देश ने कोविड-19 को दूसरे चरण में ही अब तक थाम रखा है अन्यथा तस्वीर कुछ और होती.
यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन कह रहा है कि कोरोना को लेकर दुनिया का भविष्य, भारत के प्रयासों पर निर्भर है तो इसके गहरे निहितार्थ हैं. इसीलिए इन प्रयासों को लेकर उसके द्वारा प्रकट की गई प्रसन्नता बहुत व्यापक है. भारत के इन्हीं प्रयासों ने उसे उसके समानांतर देशों में कोरोना के विरूद्ध चल रहे अभियान में एक तरह से नेतृत्वकर्ता की भूमिका में स्वीकार्यता दी है. पहले जनता कर्फ्यू और बाद में 21 दिनों का 'लाकडाउन जैसे कड़े फैसलों के दौरान जो परिदृश्य उभरा है, उसमें यह साफ नजर आता है कि हम न केवल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं बल्कि सबसे ताकतवर और एकजुट लोकतंत्र भी हैं. वह इसलिए कि भारत की तुलना में कोविड-19 से कई गुना अधिक पीड़ित होने के बावजूद अमेरिका अब तक ऐसे फैसलों की हिम्मत नहीं जुटा पाया है.
चीन संभवतः इसीलिए चकित है कि लोकहित में कड़े फैसले तानाशाही के बिना भी लिए जा सकते हैं. कोविड-19 की पीड़ा के इस दौर में भारत न सिर्फ एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में उभरा है बल्कि उसने अपने संघीय ढांचे की ताकत का भी अहसास करा दिया है. दुनिया देख रही है कि बहु-दलीय प्रणाली वाले इस देश के प्रत्येक राजनैतिक दल का मूल सिद्धांत एक है. जब देश और मानवता पर संकट आता है तो जाति, धर्म, संप्रदाय सब हाशिये पर धकेल दिए जाते हैं. इस समय यही राजनीतिक एकजुटता देश को ताकत दे रही है.
केंद्र और राज्य, शासन और प्रशासन, जनप्रतिनिधि और जनता, इन सबकी सीमाएं टूट चुकी हैं. सबके सब इस समय एकाकार हैं. अद्भुत समन्वय और तालमेल के साथ यह देश अपने अनदेखे दुशमन के साथ जंग लड़ रहा है. चाहे वह मेडिकल स्टाफ हो या पुलिस के जवान, स्वच्छता-सैनिक या कलम के सिपाही, सभी ने साबित कर दिखाया है कि देश के लिए जो जज्बा सरहद पर लड़ने वाले सैनिक का होता है, वही जज्बा इस देश के जन-जन में है. कोविड-19 पर हम निश्चित ही विजय पा लेंगे. उसके बाद नव-निर्माण का दौर होगा. हमें अपने हौसले पर भरोसा है. हम चीन जैसे देशों को एक और बार यह कहने पर मजबूर कर देंगे कि भारत समय से पहले उठ खड़ा होगा.
( लेखक छत्तीसगढ़ शासन में जनसंपर्क आयुक्त हैं )
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