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कोंडागांव के किसानो को मालामाल कर रही हरी मिर्च, दिल्ली तक हो रही मांग

प्रदेश में मक्का की खेती के मामले में अव्वल रहे कोंडगांव के किसान अब मक्का की खेती छोड़कर हरी मिर्च से मालामाल होने लगे हैं। मक्का के खेतों में इन दिनों हरी मिर्च की फसल लहलहा रही है। यहां से मिर्च नई दिल्ली की आजाद मंडी तक भेजी जा रही है। इसकी डिमांड भी जमकर है। फसल चक्र परिवर्तन की वजह से मिर्च की खेती इन दिनों मुफीद लगने लगी है। कोंडागांव जिलेे में जगह-जगह मिर्च के खेत दिखने लगे हैं।

कोंडागांव मक्का के उत्पादन के लिए जाना जाता रहा। 105 करोड़ की लागत से सरकार ने यहां सहकारिता के आधार पर मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का फैसला लिया है। प्लांट की सिर्फ बाउंड्रीवॉल अभी बना ही है, इसी बीच तेजी से मक्का किसानों की रूचि बदल रही है।

इस साल मिर्च के रकबे में 250 से 300 हेक्टेयर की वृद्धि संभावित

कोंडागांव में अब मिर्च की खेती करने वाले किसानों की तादाद साल दर साल बढ़ रही है। मक्का व उड़द की पारंपरिक फसलों से ज्यादा मिर्च की खेती किसानों को ज्यादा मुनाफेदार लग रही है। 2019 में एक हजार हेक्टेयर में मिर्च की खेती हुई थी। इस साल मिर्च के रकबे में 250 से 300 हेक्टेयर की वृद्धि संभावित है। मक्का हब कहे जाने वाले सातगांव, लंजोड़ा, फरसगांव, गिरोला, दूधगांव आदि गांवों में अब मिर्च की खेती की जा रही है। 

बीमारियों के प्रकोप से परेशान थे किसान 

सातगांव निवासी किसान रामेश्वर सेठिया व मुरलीधर दीवान ने बताया कि पहले खेत में बारिश के समय धान की एक फसल लेते थे। नलकूप खनन के बाद खेतों में सिंचाई की सुविधा होने से गर्मी के समय किसान मक्के की खेती करने लगे। मक्के की खेती में बीमारियों के प्रकोप से परेशान होकर अब उन्न्त तकनीक को अपनाकर मिर्च की खेती कर रहे हैं।

कम लागत में मुनाफे का सौदा है मीर्च की खेती 

मिर्च की खेती में लागत भी कम है। मुनाफा भी मक्के से बेहतर होता है। और बिमारियों से भी रहत है। रामेश्वर ने कहा कि पिछले साल भी 5.30 एकड़ में मिर्ची की फसल ली थी। तब मिर्च 25 रुपये किलो बिकी थी। इस बार रविवार को 330 कट्टा व सोमवार को 200 कट्टा मिर्ची पहली बार तोड़े हैं, जिसे 15 रुपये किलो की दर पर व्यापारियों को दे रहे हैं। अभी कीमत और बढ़ेगी।

यहां से गोंदिया व दिल्ली तक मिर्च भेजी जा रही है। मिर्च की फसल के लिए मजदूर अधिक लगते हैं। प्रतिदिन मिर्च तोड़ने के लिए गांव की 25-30 युवतियां आती हैं। युवतियों ने बताया कि वे मिर्च तोड़कर हर एक को दिन के 150 से 300 रुपये तक मिल जाते हैं।

 

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