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Chattisgarh में स्वीकार नहीं होगा NPR, आखिर क्या है NPR

CHATTISGARH सरकार ने National Population Register को छत्तीसगढ़ में लागु करने से इंकार कर दिया है। गृहमंत्री के इस बयान पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह ने कहा कि राज्य सरकार स्पष्ट करे की आखिर उन्हें एनपीआर क्यों स्वीकार नहीं है। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अमेरिका दौरे के बीच राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने यह घोषणा कर कहा कि छत्तीसगढ़ में नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को स्वीकार नहीं किया जायेगा। सीएए कानून के विरोध के बाद एनपीआर का विरोध कर के छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार सीधे केंद्र की मोदी सरकार को चुनौती दे रही है। 

क्या है National Population Register

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पहली बार 2010 में तैयार किया गया था। इसके दो प्रमुख उद्देश्य बताए गए थे। पहला- देश के सभी निवासियों के व्यक्तिगत ब्योरे का इकट्ठा करना। दूसरा-ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र के 15 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी निवासियों के फोटोग्राफ और अंगुलियों की छाप लेना। 2010 के इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को बनाने के लिए 15 बिंदुओं पर डेटा इकट्ठा किया गया था

1- व्यक्ति का नाम

2- मुखिया से संबंध

3- पिता का नाम

4- माता का नाम

5- पत्नी/पति का नाम

6- लिंग

7- जन्मतिथि

8- वैवाहिक स्थिति

9- जन्म स्थान

10- घोषित राष्ट्रीयता

11- सामान्य निवास का वर्तमान पता

12- वर्तमान पते पर रहने की अवधि

13- स्थायी निवास का पता

14- व्यवसाय/कार्यकलाप

15- शैक्षणिक योग्यता 

नए NPR यानी 2020 में आने वाले NPR में आठ नए बिंदु जोड़े गए हैं। जबकि पिता का नाम, माता का नाम और पत्नी/पति का नाम एक ही सवाल में निहित कर दिया गया है। इस तरह नए NPR में कुल 21 बिंदुओं पर जानकारी मांगी जाएगी, जिनमें ये आठ नए बिंदु जोड़े गए हैं

1- आधार नंबर (इच्छानुसार)

2- मोबाइल नंबर

3- माता-पिता का जन्मस्थान और जन्मतिथि

4- पिछला निवास पता (पहले कहां रहते थे)

5- पासपोर्ट नंबर (अगर भारतीय हैं तो)

6- वोटर आईडी कार्ड नंबर

7- पैन नंबर

8- ड्राइविंग लाइसेंस नंबर

यानी ये तमाम जानकारियां देश में रहने वाले सभी लोगों (असम को छोड़कर) से पूछी जाएंगी और इनके आधार पर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट किया जाएगा। इस नए एनपीआर में माता-पिता के जन्मस्थान वाला पहलू काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विपक्षी दल एनपीआर की प्रक्रिया को एनआरसी का ही कदम बता रहे हैं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने यह आश्वस्त किया है कि एनपीआर और एनआरसी अलग-अलग है और एनपीआर से किसी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है, यह सिर्फ देश में रहने वाले लोगों का एक रजिस्टर है। अमित शाह ने ये भी कहा है कि अगर किसी का नाम NPR में रह भी जाता है तो भी उसकी नागरिकता नहीं जाएगी।

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Last modified on Thursday, 20 February 2020 16:00

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