×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

रोजी रोटी के तलाश में मजदूर कर रहे महानगरों की ओर पलायन Featured

खैरागढ़. जिले में खरीफ सीजन की धान खरीदी 31 जनवरी को पूरी हो चुकी है। किसानों को भुगतान भी मिल गया। इसके बाद मजदूरी की तलाश में ग्रामीणों ने पलायन शुरू कर दिया। हर साल हजारों श्रमिक रोजगार के लिए महानगरों की और जाते हैं। जिला प्रशासन मनरेगा योजना के तहत 100 दिन का रोजगार दे रहा है। इसके बावजूद मजदूर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जा रहे हैं।

केसीजी जिले के 221 पंचायत में 76 हजार 395 जॉब कार्डधारी हैं। इनमें 1 लाख 54 हजार से अधिक सदस्य शामिल हैं। इन्हें साल में 100 दिन गांव में रोजगार दिया जाता है। मजदूरी का भुगतान 15 दिन के भीतर किया जाता है। प्रति व्यक्ति 243 रुपए की मजदूरी दी जाती है। अगर एक परिवार के चार लोग काम करते हैं, तो सभी को समान वेतन मिलता है। जॉब कार्ड की सुविधा भी दी जा रही है, ताकि मजदूर गांव में ही काम करें। इसके बावजूद मजदूर गांव छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं। इनमें पढ़े-लिखे युवा भी शामिल हैं। पलायन रोकने के लिए श्रम विभाग भी सक्रिय नहीं दिखता। चुनाव खत्म होते ही बस स्टेशन से बड़ी संख्या में मजदूर परिवार सहित दूसरे राज्यों की ओर रवाना हो रहे हैं। गांवों में इनका रिकार्ड भी नहीं रखा जा रहा है।

बहुतायत में रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे निर्धन ग्रामीण व बेरोजगार युवा

पलायन करने में सबसे बड़ी संख्या निर्धनता की मार झेल रहे दिहाड़ी मजदूर और बेरोजगार युवाओं की हैं जो रोजगार की तालाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन करते हैं। फसल कटने और बिकने के बाद इनकी संख्या और बढ़ जायेगी, ऐसा पलायन को लेकर परंपरागत परिस्तिथियां दिख रही हैं। ज्यादातर परिवार खेतीहर मजदूर हैं, जिनके पास खेत नहीं (भूमिहीन) हैं वे दूसरे के खेत में मजदूरी करते हैं और खेती का सीजन खत्म होने पर दूसरे राज्य कमाने खाने चले जाते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह यह भी है कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की तहत मिलने वाली मजदूरी दर अन्य राज्यों के बडे़ शहरों में मिलने वाले मजदूरी की तुलना में काफी कम हैं। यही वजह है कि खेती किसानी के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन करते हैं। सरकार की योजनाएं और प्रशासन की कवायद भी इन्हें रोक नहीं पाती।

खैरागढ़ जिले से अब तक हजारों की संख्या में निर्धनता में रहना बसर करने वाले परिवार कमाने खाने के लिए निकल चुके हैं। पलायन करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या साल्हेवारा और जंगल गातापार इलाके की हैं। एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक केसीजी जिले से लगभग 10 हजार से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं।

गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उड़ीसा की ओर होता है पलायन

पलायन को लेकर जो वास्तविक जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक खैरागढ़ जिले के ज्यादातर ग्रामीण गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उड़ीसा की ओर पलायन करते हैं। इनमें अधिकांश ग्रामीण सुरत, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, नागपुर, अहमदाबाद, पुरी, जैसे बड़े शहर की ओर काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं।

8 हजार आवास स्वीकृत इनमें दिया जा रहा काम

जिले में वर्ष 2024-25 में मनरेगा के तहत 20 प्रतिशत काम पूरे हो चुके हैं। नया लक्ष्य अप्रैल में मिलेगा। फिलहाल मनरेगा के तहत ग्रामीणों को पर्याप्त काम नहीं मिल रहा। हालांकि, जिले में करीब 8000 हजार पीएम आवास स्वीकृत हुए हैं, जहां मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है। कुछ गांवों में भूमि समतलीकरण, तालाब और डबरी निर्माण जैसे कार्य चल रहे हैं।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.