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Mahashivratri Mela Jagdalpur: तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित भोपालपटनम में महाशिवरात्रि को लगने वाले जिले के सबसे बड़े शिवरात्रि मेले की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस मेले में शिव-पार्वती का विवाह पूरे विधि-विधान के साथ कराया जाता है। 20 फरवरी को कलश यात्रा मंडपाच्छादन और सगाई की रस्म पूरी करने के बाद शोभायात्रा निकाली जाएगी। शिवरात्रि के दिन शिवजी की बारात निकलेगी और माता पार्वती के साथ उनका विवाह संपन्न होगा।
इस मेले में शामिल होने छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र, तेलंगाना और महाराष्ट्र से भी हज़ारों श्रध्दालु पहुंचते हैं। शिवरात्रि के दिन सुबह से ही श्रद्धालु भोपालपटनम से तीन किमी दूर स्थित तिमेड ग्राम से लगे इंद्रावती नदी में स्नान करने पहुंचते हैं।
प्रयागराज जैसा रहता है नज़ारा
हजारों श्रद्धालुओं के नदी में स्नान करने पर यहां का नजारा प्रयाग जैसा नजर आता है। यहां स्नान करने के बाद लोग शिवलिंग पर दूध और जलाभिषेक के साथ बेल पत्ती अर्पण करते हैं। इंद्रावती नदी के तट पर करीब 150 मीटर ऊंचाई पर विराजे शिवजी की पूजा करने के लिए लोग 108 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुँचते हैं।
तिमेड़ में दर्शन के उपरांत श्रद्धालु भोपालपटनम स्थित शिव मंदिर पहुंचकर शिवजी का भव्य दर्शन करते हैं। यहीं मेला भी लगता है। आंध्र के तेलुगू रीति-रिवाजों के अनुसार शिव-पार्वती कल्याणम (विवाह) के साथ ही शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसके पहले मंडपाच्छादन एवं शिवजी की बारात जिसे तेलुगू में एदरुकोल कहा जाता है, निकालकर बारात का स्वागत किया जाता है।
1800 ईंसवी में हुआ था मंदिर का निर्माण
बताते हैं, कि 1800 ईस्वी में पटनम के जमींदार द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। 1970 के दशक में यह मंदिर जमींदार के जमीन बंटवारे में सार्वजनिक धार्मिक स्थल के रूप में उसके अधिकार से पृथक हो गया। तब इस मंदिर में केवल शिवलिंग ही था और मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में था परंतु 1984 में वन विभाग एवं जन सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
1986 में इलाहाबाद से भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियां लाकर मंदिर में स्थापित करने के बाद भव्य मेले की शुरुआत की गई। मेले के लिए दूरदराज से लोग और व्यापारी यहां पहुंचने लग गए हैं। मेले के लिए बाजार भी सज-धजकर तैयार होने लगा है।