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याहू.. कोई इन्हें जंगली न कहें..✍️जितेंद्र शर्मा

फाइल फोटो फाइल फोटो न्यूज ट्रैक से साभार

याहू.. कोई इन्हें जंगली न कहें..✍️जितेंद्र शर्मा

सरकार के कुछ विभाग और उनके अफसर ऐसे होते हैं जो गाहे-बगाहे सुर्खियां बन जाते हैं। इनमें से ही एक जंगल विभाग भी है। अन्य विभागों के साथ ही इस विभाग में भ्रष्टाचार के किस्से तो आम ही होते हैं। मतलब अब इन विभागों में भ्रष्टाचार के छोटे-मोटे मामले अब खबर भी नहीं बनते, क्योंकि जनता ने भी इसे शिष्टाचार मान लिया है। और यदि कभी कोई खबर बन जाती है तो माना जाता है कि वहां पर शिष्टाचार के सामान्य नियमों को पालन नहीं हुआ होगा। सो कोई दूसरा महत्व भी नहीं देता। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब थैलियां छलकने लगती हैं, अफसरों के कदम भी डगमगाने लगते हैं। इसके कई उदाहरण भी हमारे सामने आते हैं। हाल ही में हनी ट्रेप का बड़ा मामला सामने आया था जिसमें सरकार चलाने का माद्दा रखने वाले नौकरशाहों के भी नाम सामने आए थे। मगर हुआ क्या? सो, यहां पैसा बोलता है। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। अभी ही लीजिए न। बस्तर संभाग के एक जिले में जंगल विभाग के एक अफसर पर आरोप लग गया है कि महोदय ने सोशल मीडिया में कुछ अनचाही, अशिष्ट वीडियो पोस्ट कर दिया। संभव है साहब रंगीन मिजाजी होंगे। सुरुर में यह हो गया होगा। वैसे उनके ग्रुप एडमिन महोदय बेहद सजग थे। उन्होंने तुरंत साहब को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन उन्होंने यहीं गलती कर दी। उन्हें पहले पोस्ट हटवाना था, फिर चाहे जो कार्रवाई करते। बहरहाल पोस्ट हटा नहीं और बवाल मच गया। अब जब नींद खुली बेचारे अफसर क्वारेंटाइन हो गए। मतलब अंर्तध्यान हो गए। लगता है उनमें अभी कुछ पानी बाकी है। शायद इसीलिए प्रायश्चित कर रहे हैं। पर सीनियरों का ऐसे अफसरों को सुझाव है कि उन्हें अपनी कुंडली जागृत करनी चाहिए। फिर सारे रास्ते समस्याओं को सुलझाने के खुद-ब-खुद खुल जाएंगे। और कोई आपको जंगली कहने का दु:साहस नहीं करेगा। बल्कि सम्मानितों की सूची में आपका नाम दर्ज हो जाएगा। भरोसा न हो तो बस्तर में ही इसी विभाग में पदस्थ रहे उन महोदय को पढ़ लें जिनकी कुटी में स्वीमिंग पूल जैसे ऐशो आराम की सुविधाएं थी। एक मामुली कार्रवाई को छोड़कर कोई क्या बिगाड़ लिया उनका।

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