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कटघरे में पुलिस: खैरागढ़ में युवक की मौत के जिम्मेदारों को बेल, जबकि तुमड़ीबोड़ के लापरवाह डॉक्टर को जेल

जांच के दौरान डॉ. भारद्वाज के क्लिनिक में पहुंची थी टीम। जांच के दौरान डॉ. भारद्वाज के क्लिनिक में पहुंची थी टीम। फाइल फोटो

जिले में गलत इलाज के दो मामले, लेकिन तुमड़ीबोड़ पुलिस ने लगाई धारा 304, जबकि खैरागढ़ पुलिस ने इसी में जोड़ा ‘ए’…

खैरागढ़. जिले में झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज से मौत के दो मामले सामने आए और पुलिस ने अलग-अलग कार्रवाई की। पहला मामला आया खैरागढ़ का, जिसमें पाइल्स के आपरेशन के चार दिन बाद 32 साल के युवक ने दम तोड़ दिया। दूसरा तुमड़ीबोड़ का है, जहां डॉक्टर ने शुगर पीड़ित महिला को इंजेक्शन लगाने से उसकी जान चली गई।

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खैरागढ़ का मामला दो महीने पहले का है, जिसमें युवक का ऑपरेशन करने वाले देवीलाल भवानी के पास बीएएमएस (बैचलर ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन) और इलेक्ट्रोहोम्योपैथी की डिग्री है और इन दोनों ही डिग्रियों को छत्तीसगढ़ में मान्यता नहीं है। यह बात खुद बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन बता चुके थे।

जांच के दौरान यह भी पता चल चुका था कि पुराना बस स्टैंड में रपटा के पास डॉ. अरुण भारद्वाज के मकान में चलने वाला डॉ. भवानी का क्लीनिक अवैध है। नर्सिंग होम एक्ट में उसका रजिस्ट्रेशन नहीं है। वहां मिली दवाइयों से यह भी पता चला था कि डॉ. भवानी महिलाओं का भी इलाज किया करते थे। लेकिन पुलिस ने इन सारे प्रमाणों को नजरअंदाज किया।

वहीं तुमड़ीबोड़ पुलिस ने मृतका की विसरा रिपोर्ट में रासायनिक पीस नहीं पाए जाने के बावजूद मेडिकल से जुड़े अन्य सबूतों को लेकर सीएमएचओ से पत्राचार किया। जाना कि आरोपी डॉ. गिरिश श्रीवास्तव को इलाज का अधिकार है या नहीं! डोंगरगांव के बीएमओ ने पुलिस की इस शंका का समाधान करते हुए अपने जांच प्रतिवेदन में लिखा कि डॉ. श्रीवास्तव की डिग्री महाराष्ट्र की है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में इलाज करने के लिए पंजीयन नहीं कराया है। नर्सिंग होम एक्ट के तहत भी इनका पंजीयन नहीं है और न ही इनके पास बीएमडब्ल्यू का लाइसेंस है। इसी जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की।

यहां जानिए आरोपियों पर लगी धाराओं के बारे में…

तुमड़ीबोड़ पुलिस ने आरोपी डॉ. श्रीवास्तव पर धारा 304 (गैरजमानतीय) और छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम की धारा 24 व छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्य गृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापना की धारा-4 एवं 12 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया। इसलिए डॉक्टर को जमानत नहीं मिली, उसे जेल जाना पड़ा।

इधर खैरागढ़ पुलिस ने अरोपियों डॉ. देवीलाल भवानी और डॉ. अरुण भारद्वाज के खिलाफ धारा 304 ए (जमानतीय) और छत्तीसगढ़ मेडिकल एक्ट की धारा 12 एलसीजी के तहत कार्रवाई की। इसलिए दोनों डॉक्टरों को मुचलका जमानत पर छोड़ दिया गया।

लापरवाही के प्रमुख बिंदु, जिस पर अफसरों ने नहीं दिया ध्यान

0 युवक की मौत के बाद डॉ. भवानी के क्लीनिक पहुंची टीम ने ताला खोले बिना उसे सील कर दिया, टीम में शामिल वरिष्ठ चिकित्सकों को वस्तुस्थिति देखने का मौका नहीं दिया गया।

0 क्लीनिक में लगे ताले की चाबी डॉ. भवानी के पास थी और सील लगाने के बाद टीम के सात सदस्यों में से केवल नायब तहसीलदार के हस्ताक्षर थे।

0 पुलिस ने डॉक्टरों की गैर मौजूदगी में क्लीनिक का ताला खोला और जब्त दवाइयां लेकर अस्पताल पहुंचे।

0 सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में पाइल्स के आॅपरेशन के बाद की परिस्थितियों का जिक्र ही नहीं किया। यह भी नहीं लिखा कि उसकी मौत कब और किस वजह से हुई।

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जानिए तुमड़ीबोड़ के जांच अधिकारी ने ये कहा…

रितेश मिश्रा (तुमड़ीबोड़): विसरा रिपोर्ट में रासायनिक पीस नहीं मिलने के बाद मैंने अपने अधिकारियों से पूछा और सीएमएचओ से लगातार पत्राचार किया। फिर डोंगरगांव बीएमओ के जांच प्रतिवेदन से पता चल गया कि उन्हें छत्तीसगढ़ में इलाज का अधिकार ही नहीं है। तब उपरोक्त धाराओं के तहत आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया।

डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर बढ़ाई जा सकती है धारा

इस मामले में एसपी डी श्रवण का कहना है कि तुमड़ीबोड़ वाले मामले में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट बनी थी, जिसमें डॉक्टरों ने बताया कि संबंधित डॉक्टर की डिग्री अमान्य है, इसलिए वहां धारा 304 के तहत कार्रवाई हुई है। मैं खैरागढ़ के मामले को दिखवाता हूं। अगर ऐसा हुआ तो धारा बढ़ाई जा सकती है।

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