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सिवनी गांव के पास आमनेर नदी पर रपटा में नहीं हुआ भंडार क्रय नियम का पालन, मौके पर मिले एसडीओ ने कहा- इसके बारे में ईई जानें!
खैरागढ़. प्रधानपाठ बैराज से मात्र 300 मीटर दूर आमनेर नदी पर हो रहे रपटा निर्माण में भारी गोलमाल की खबर मिली। मंगलवार तकरीबन दो बजे रागनीति की टीम मौका मुआयना करने पहुंची तो बेस में कांक्रीट के साथ बोल्डर भी दिखाई दिए। एक तरफ कांक्रीटीकरण का काम चल रहा है और दूसरी तरफ जेसीबी से खोदाई चल रही है।
बताया गया कि सिवनी रपटा के लिए 2019-2020 में एलडब्ल्यूई योजना मद से 99.86 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं। इसका ठेका नहीं दिया गया है, बल्कि विभागीय इंजीनियरों की देखरेख में ही सारा काम हो रहा है। इस एक करोड़ के निर्माण कार्य में तकरीबन 70 लाख से अधिक का मटेरियल लगना है।
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वैसे तो छत्तीसगढ़ भंडार क्रय अधिनियम के तहत इसके लिए टेंडर निकाला जाना चाहिए था, लेकिन सांठगांठ कर चहेतों को सप्लाई की जिम्मेदारी सौंप दी गई। सीमेंट, रेत, गिट्टी, छड़ आदि मटेरियल के सप्लायरों से कोटेशन मंगाकर काम दे दिया गया।
इसलिए डाल रहे प्लंप कांक्रीट
सबइंजीनियर जेके जैन इस संबंध में पहले ही बता चुके हैं कि बेस में कांक्रीट के साथ प्लंप (मोटा) कांक्रीट भी डाली जाती है। इसमें बोल्डर पत्थर ही लगते हैं। मौके पर मौजूद एसडीओ एन रामटेके से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि रपटा िनर्माण के लिए स्वीकृत राशि में काम करने के लिए एस्टीमेट में प्लंप कांक्रीट का प्रावधान रखा गया है।
टेंडर नहीं किया, टुकड़ों में खरीद रहे मटेरियल
सबइंजीनियर जेके जैन ने बताया कि रपटा निर्माण में 70 लाख से अधिक का मटेरियल लगेगा। टेंडर प्रक्रिया के बारे में पूछने पर वे बोले कि कलेक्टर रेट पर खरीदी हो रही है। कार्यपालन अभियंता को 50 हजार रुपए तक की खरीदी का पॉवर है। इसलिए पार्ट-पार्ट में मटेरियल खरीदे जा रहे हैं। यानी टुकड़ों में मटेरियल की खरीदी हो रही है।
जब यही सवाल एसडीओ रामटेके से पूछा गया कि मटेरियल खरीदी में भंडार क्रय अधिनियम का पालन क्यों नहीं किया गया है, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में कार्यपालन अभियंता ही बता पाएंगे।
अफसरों के कथन को इन दो बिंदुओं पर परखने की जरूरत
0 जानकार कह रहे हैं कि ऐसे निर्माण में कांक्रीट के बीच बोल्डर का इस्तेमाल नहीं किया जाता, अफसर कह रहे हैं कि प्लंप (मोटा) कांक्रीट का प्रावधान इसलिए रखा गया ताकि स्वीकृत राशि में निर्माण पूरा किया जा सके।
0 दूसरी तरफ टुकड़ों में 70 लाख से अधिक के मटेरियल खरीदे जा रहे हैं, जबकि बाजार के हिसाब से थोक में खरीदी करने पर वस्तु की कीमत घट जाती है। अगर मटेरियल सप्लाई के लिए टेंडर निकाला जाता तो संभवत: इसकी लागत कम होती।
जानिए यह कहता है छत्तीसगढ़ भंडार क्रय अधिनियम- 2000
छत्तीगढ़ भंडार क्रय अधिनियम-2000 के तहत सामान्यत: तीन तरह की निविदा पद्धतियां हैं।
0 एकल निविदा पद्धति: नियम 4.3.1 में ऐसी एकल वस्तु जो सांपत्तिक प्रकृति की हो तथा प्रतिस्पर्धा आवश्यक न समझी जाए, उसकी खरीदी एक फर्म से की जा सकती है, लेकिन इसकी वार्षिक आवश्यकता 5000 रुपए से अधिक की नहीं होनी चाहिए।
0 सीमित निविदा पद्धति: नियम 4.3.2 में स्पष्ट है कि 5001 से 50000 तक की वस्तु की खरीदी के लिए निर्माताओं अथवा उनके प्रतिनिधियों से सीधा संपर्क कर क्रय किया जा सकता है।
0 खुली निविदा पद्धति: इस पद्धति में हमेशा लोक विज्ञापन के द्वारा नियमानुसार खुली निविदाएं बुलकर करना चाहिए। इसमें भी राशि के अनुसार निविदा बुलाने का प्रावधान है। नियमानुसार 20 लाख से अधिक की खरीदी के लिए प्रदेश स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर के दो समाचार पत्रों में इसका प्रकाशन किया जाना चाहिए।
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